Sunday, 13 March 2016



गुरु को आदर देना चाहिए, ऐसा अगर आप मानते हैं, तो इसका अर्थ यह हुआ कि आदर देने के लिए विद्यार्थी स्वतंत्र है। दे, तो दे। न दे, तो न दे। और अगर आप ऐसा मानते हैं कि गुरु है ही वही जिसको आदर दिया जाता है, तो विद्यार्थी स्वतंत्र नहीं रह जाता। मेरी दृष्टि में तो गुरु वही है, जिसे आदर दिया जाता है। अगर विद्यार्थी आदर न दे रहे हों, तो बजाय इस चिंता में पड़ने के कि विद्यार्थी कैसे आदर दें, हमें इस चिंता में पड़ना चाहिए कि गुरु हैं या नहीं हैं! गुरु खो गए हैं।
गुरु हो, और आदर न मिले, यह असंभव है। आदर न मिले, तो यह संभव है कि गुरु वहा मौजूद नहीं है। गुरु का अर्थ यह है कि जिसके पास जाकर श्रद्धा— भक्ति पैदा हो। जिसके पास जाकर लगे कि झुक जाओ। जिसके पास झुकना आनंद हो जाए। जिसके पास झुककर लगे कि भर गए। जिसके पास झुककर लगे कि कुछ पा लिया। कहीं कोई हृदय के भीतर तक स्पंदित हो गई कोई लहर।

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