Tuesday 27 September 2016

Vashikaran Mantra and Much Much More

विश्व के वैज्ञानिक—वर्तुल में एक छोटी—सी बड़ी मधुर कथा प्रचलित है।
आसटरीयन वैज्ञानिक वुल्फगैंग पावली 1958 में मरा। कथा है कि ईश्वर बहुत दिन से उसकी प्रतीक्षा कर रहे थे कि वह कब मरे और कब आये; क्योंकि पावली जैसे आदमी मुश्किल से कभी होते हैं। असत्य को पकड़ने की, लोग कहते हैं, ऐसी क्षमता मनुष्य जाति के इतिहास में, विज्ञान की परंपरा में दूसरे व्यक्ति के पास नहीं थी। 
क्षणभर में असत्य को पकड़ लेना, भूल को पकड़ लेना पावली की कुशलता थी। और चाहे कितना ही खोना पड़े, कितना ही दांव पर लगाना पड़े, भूल को अस्वीकार करना या भूल को मद्देनजर करना या छिपाना उसके लिए असंभव था।
हो सकता हो ईश्वर उसकी प्रतीक्षा करता हो, क्योंकि सत्य के खोजी की प्रतीक्षा ही ईश्वर कर सकता है।
पावली मरा, और कथा है कि ईश्वर ने पावली से कहा कि तू भी अनूठा आदमी है। छोटी—छोटी भूलों के लिए तूने अपनी न—मालूम कितनी रातें बिना सोये बिताई हैं। और निश्चित ही जीवन के बहुत से रहस्य, वह भौतिकविद था, फिजिसिस्ट था भौतिक शास्त्र के बहुत से रहस्य तुझे अनजाने रह गये होंगे और तू प्रतीक्षा कर रहा होगा कि कब परमात्मा से मिलना हो तो उनसे पूछ सके।तुझे कुछ पूछना तो नहीं है?
मैं खुश हूं। पावली ने कहा कि धन्यभागी, हे प्रभु, एक सवाल मुझे वर्षो से चिंतित कर रहा है, और मेरे मित्रों ने, मेरे साथियों ने जितने भी सिद्धांत खोजे वह सब गलत थे और मामला हल नहीं हो पाया। जब आप ही मौजूद हैं, जिन्होंने जगत को बनाया तो अब हल होने में कोई कठिनाई नहीं है।
उसने भौतिक—शास्त्र का एक उलझा हुआ सवाल ईश्वर से पूछा। उसने कहा कि प्रोटान और इलेक्‍ट्रान दोनों के मास में अठारह सौ गुना का फर्क है। प्रोटान का मास इलेक्‍ट्रान के मास से अठारह सौ गुना ज्यादा है। लेकिन दोनों का विद्युत चार्ज बराबर है; यह बड़ी हैरान करनेवाली बात है। ऐसा कैसे हो पाया? क्या कारण है? जरूर कोई कारण होगा।
ईश्वर ने अपनी टेबिल के ऊपर से कुछ कागजात उठाये और पावली को दिये और कहा कि यह रहा सारा सिद्धांत, इस भेद का सारा सिद्धांत, इस भेद का सारा रहस्य ! पावली गौर से पढ़ गया। फिर से दुबारा लौटकर उसने पढ़ा। तीसरी बार फिर नजर डाली और ईश्वर के हाथ में देते हुए कहा, "स्टिल रांग——अभी भी गलत है।'
कहानी कहती है कि ईश्वर बहुत प्रसन्न हुआ और उसने कहा कि मैंने गलत ही तुझे पकड़ाया था। मैं जानना चाहता था कि ईश्वर को भी गलत कहने की क्षमता तुझ में है या नहीं।
ईश्वर की प्रतिष्ठा से और बड़ी कोई प्रतिष्ठा नहीं हो सकती; लेकिन सत्य के खोजी की आड़ में अगर ईश्वर भी आता हो तो उसे भी हटा देना आवश्यक है।

Sunday 25 September 2016

नारी,स्त्री,औरत,महिला,लड़की को वश में करने का एक मात्र मंत्र यही है , Ladie Vashikaran Mantra

Hattha Jodi , हत्था जोड़ी र्लभ सामग्री तंत्र साधको की प्रिय वस्तु - हत्था जोड़ी .. प्रिय मित्रो , आज बहुत दिनों के बाद एक छोटी सी पोस्ट दे रहा हु हत्था जोड़ी पर , जैसा की नाम से ही स्पस्ट होता है

दुर्लभ सामग्री
तंत्र साधको की प्रिय वस्तु - हत्था जोड़ी ..
प्रिय मित्रो , आज बहुत दिनों के बाद एक छोटी सी पोस्ट दे रहा हु हत्था जोड़ी पर , जैसा की नाम से ही स्पस्ट होता है कि हत्था जोड़ी की रचना दो हाथो के जैसी होती है ! यदि आप को कही हत्था जोड़ी मिल जाय और आप उसका अवलोकन करे तो पायेगे कि किसी ने पंजेनुमा दो हाथ आपस में मिला रखे है ! इसे सिद्ध कर लिया जाय तो यह अत्यन्त चमत्कारी प्रभाव दिखाती है !
कैसे सिद्ध करे - मित्रो बहुत से लोगो के पास हत्था जोड़ी होगी किन्तु यदि हमको सिद्ध करना ही न आये तो हम भला कैसे लाभ प्राप्त कर सकते है ? तो आज मैं आप सब के समक्ष उस विधि पर प्रकाश डाल रहा हु जिसको करने से आप के पास जो हत्था जोड़ी है वो पूर्णतया सिद्ध और चैतन्य हो जाएगी तत्पश्चात यदि इस हत्था जोड़ी पर आप कोई भी प्रयोग संपन्न करेगे तो आप का प्रयोग पूर्ण फलदायी होगा और यदि कोई प्रयोग नहीं भी करते है सिर्फ अपने धन के स्थान पर स्थापित भी कर लेते है तो भी यह पूर्ण फलदायी होगा ! हत्था जोड़ी प्राप्त होने पर इसको तेल शोधन से सर्व प्रथम सिद्ध किया जाता है इसके लिए आप पहले किसी पात्र में हत्था जोड़ी को रख कर जल से फिर दूध - दही- घी - शहद - शक्कर पुनः जल से शुद्ध कर साफ़ वस्त्र से पोछकर किसी अन्य पात्र ( कटोरी ) में इसको रखे और ऊपर से तिल का इतना तेल भर दे कि हत्था जोड़ी उसमें पूरी डूब जाय ! इस पात्र को सावधानी पूर्वक ऐसे स्थान पर रख दे जहाँ कोई छेड़छाड़ न करे ! कुछ दिन के अंतराल के उपरान्त हत्थाजोड़ी वाले पात्र का निरिक्षण करते रहे ! यदि तेल कम हो जाता है तो पुनः उस पात्र में तेल भर दे ! ऐसा मैंने देखा है कि हत्था जोड़ी तेल सोखती है ! हत्थाजोड़ी जब तेल सोखना बंद कर दे तो उसे निकाल ले ! इसके उपरान्त चाँदी कि डिब्बी में सिंदूर भरकर उसमें रखे ! बसंत पंचमी - महाशिवरात्रि या होली दहन की रात पूर्व दिशा की और मुह कर लाल आसन पर बैठ जाय एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर २५० ग्राम अक्षत की ढेरी बनाकर उसके ऊपर चाँदी की डिब्बी हत्था जोड़ी सहित रखे पास में ही माता लक्ष्मी का चित्र और ताम्र लोटे में जल भरकर पास में रखे और सर्वप्रथम गणेश - गुरु पूजन करने के बाद हत्था जोड़ी का गंध - अक्षत - लाल पुष्प - से पूजन कर केसर -एक जोड़ी लौंग अर्पित करे और धुप - दीप से पूजन कर लाल रंग की मिठाई का भोग लगाये और नेत्र बंद कर अपनी समस्त कामनाओ की पूर्ति करने के लिए तथा सुख- समृद्धि प्रदान करने का निवेदन करे , इसके बाद लाल चन्दन कि माला से मात्र ०१ माला पूर्ण एकाग्रता से निम्न मंत्र का जप करे !
मंत्र - "हत्थाजोड़ी अति महिमाधरी कामणगारी , खरी प्यारी , राज-प्रजा सब मोहनगारी सेवतफल पावे सब नरनारी , केसर कर्पूर से करू मैं पूजा, दुश्मन के बल को तू दे बुझा , मनइश्चित मांगू जो देवे , कहना कथन ही मेरा रखे , हत्थाजोड़ी मातु दुहाई , रखजे मेरी बात सवाई , मेरी भक्ति गुरु की शक्ति फुरो मंत्र ईश्वर वाचा " !!
मंत्र जप पूर्ण होने के बाद कर्पूर द्वारा माता लक्ष्मी की आरती करे ! तत्पश्चात प्रसाद ग्रहण कर ले ! जब दीपक ठंडा हो जाय तब पुष्प - केसर - और लौंग सहित डिबिया को लाल वस्त्र के एक रुमाल में बाँध कर अपनी तिजोरी - गल्ला या अलमारी में सुरक्षित रख दे ! माता लक्ष्मी के चित्र को पूजा स्थान में रख दे , लाल वस्त्र सहित अक्षत को उठा ले जो चौकी पर बिछा था और २१ रूपए के साथ किसी ब्राह्मण को दान कर दे ! ऐसा करने से हत्थाजोड़ी अभिमंत्रित होकर आपके लिए कार्य सिद्धि प्रदायक हो जाती है
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हकीक अपने आप में लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है , Vashikaran Mantra In Hindi

हकीक अपने आप में लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है, जिसके घर में दरिद्रता हो उसको चाहिए की
दीपावली के दिन मंत्र सिद्ध 21
हकीक पत्थर लेकर जमीन में गाड दें तो उस दिन से ही उसके घर में आर्थिक उन्नति होने लगती है।
2 जो व्यक्ति श्रेष्ठ धन की इच्छा रखता है उनको चाहिए कि हकीक पत्थर लेकर उसके ऊपर लक्ष्मी का चित्र या विग्रह स्थापित करें। तो निश्चय ही उसके घर में आर्थिक
उन्नति होती ही रहती है।
3 यदि 11 हकीक पत्थर लेकर किसी मदिंर में चढा दें और कहें कि मैं अमुक कार्य में विजयी होना चाहता हूँ तो निश्चय ही उस कार्यो में विजय प्राप्त करता है।
4 यदि 11 हकीक पत्थर पर शत्रु का नाम लेकर यदि जमीन में गाड दें तो उसी समय में शत्रु का पतन प्रारम्भ हो जाता है।
5 सतांन सुख के लिए दीपावली के दिन या किसी शुभ महूर्त पर 21
हकीक पत्थर लेकर पूजा करके ऊँ श्री पुत्राय महालक्ष्म्यै नमः कहकर जल में फैंकता है। तो शीघ्र ही उसके घर में पुत्र की प्राप्ति होती है।
6 दीपावली के दिन या किसी शुभ महूर्त पर लक्ष्मीं पूजन के समय दो हकीक लक्ष्मी जी के चरणो में रखे। पूजन के उपरान्त रात्रि में इन दोनो हकीक पत्थरों को घर में किसी कोने में भूमि खोद कर गाड दें इस प्रयोग से लक्ष्मी आप पर प्रसन्न
होगी और शीघ्र ही आर्थिक उन्नति से अनुभव करेगें।
7 दीपावली के दिन या किसी शुभ महूर्त पर लक्ष्मी पूजन के पश्चात एक हकीक पत्थर अपने दाएं हाथ की मुठठी में बंद कर लें और फिर "श्री" शब्द का 21 बार मानसिक जाप अर्थात मन में जाप करें और फिर इस पत्थर को अपने गल्ले में, बाक्स में,
तिजोरी में रख दें। आप देखेगें कि नित्य प्रति आय की आवक बढ रही है।
8 ऐसे व्यक्ति जो आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहें हैं उन्हे तो यह प्रयोग अवश्य ही करने चाहिए। दीपावली के दिन या किसी शुभ महूर्त पर रात्रि में पूजा-उपासना करने के पश्चात एक हकीक माला लें और उससे 108 बार "ऊँ हीं हीं श्रीं श्रीं लक्ष्मी वासुदेवाय नमः " मंत्र का जाप करें। इसके बाद इस माला
को अपने पूजा घर में रखें अथवा महालक्ष्मी के चित्र में चढा दें। शीघ्र ही आप स्वंय को आर्थिक रूप से दृढ पाएगें।
गुरुवार को लक्ष्मीनारायण मंदिर
में जा के भगवान विष्णु को
कलिंगी चढ़ाएं तथा शुद्ध घी से बने
पांच लड्डुओं का भोग चढ़ाएं। उन्हें
प्रणाम कर मन की अभिलाषा
वयक्त करें। तो निस्चय ही 3 माह से
ले के एक साल के भीतर कन्या की
विवाह हो जाता हैं ऐसा माना
जाता हैं।
जो भी व्यक्ति कर्ज से परेशान है या फिर उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर है। ऐसे लोग ये उपाय करें तो लाभ मिलेगा।

Monday 12 September 2016

Maa Kamakhya Devi Ka Vashikaran Mantra Aghori Baba

अद्भुत वशीकरण मंत्र व पूरी विधि - वशीकरण मंत्र - करियर और प्रेम में जीत दिलाये , Latest Tips: Ladki Ko Vash Me Karne Ka Mantra- लड़की को मंत्र से पटाये

अद्भुत समोहन प्राप्ति - श्री ज्वाला मालनी साधना

सुख स्मृधी पे ग्रहण होता है गृह कलेश क्यू के घर में तनाव पूर्ण महोल ही प्रमथिक होता इसके साथ ही यदि आपका उचधिकारी आपके अनुकूल नहीं है | या आपके बच्चे या आपकी पत्नी आपके अनुकूल न हो तो भी जीवन में उदासीनता घर कर जाती है |यह साधना एक अद्भुत साधना है जो के साधक को ऐसा दिव्य स्मोहन देती है जिस से उसके कार्य सहज ही होने लगते है लोग उसकी बात का आदर करते है उसकी वाणी में अद्भुत प्रभाव आ जाता है छोटे बड़े
सभ उसको इज़त देते है | वह अपने आस पास के महोल को और लोगो को अपने अनुकूल रखने और परिचित जा अपरिचित व्यक्ति के साथ मधुर संबंध बनाने और अपने व्यक्तिगत जीवन की आ रही अनेक स्मस्याओ को दूर करने में सक्षम हो जाता है |

विधि –
१.   यह साधना 11 दिन की है | इस में हर रोज 11 माला जप अनिवर्य है |
२.   इस में आसन पीले रंग का लेना है और आपकी दिशा उतर की तरफ मुख रहेगा |
३.   देवी भगवती जा ज्वालामालनी का चित्र स्थाप्त करे | चित्र का पूजन धूप दीप नवेद पुष्प अक्षत फल आदि से करे | भोग में आप किसी भी तरह की मिठाई इस्तेमाल कर सकते है | एक पनि वाले नारियल को तिलक कर मौली बांध कर देवी माँ को अर्पित करे |
४.   फिर मूँगे की माला से निम्न मंत्र की ११ माला ११ दिन तक करे |
५.   ११ दिन के बाद सभी पुजा की हुई समगरी जल प्रवाह करदे | फल आदि प्रसाद अपने परिवार में बाँट दे |
६.   गुरु पूजन और गणेश पूजन हर साधना में अनवर्य होता है इस बात को हमेशा याद रखे |

मंत्र –
|| ॐ नमो आकर्षिनी ज्वाला मालनी देव्यै स्वाहा ||

घोर रूपिणी वशीकरण साधना


यह साधना बहुत ही तीक्ष्ण प्रवाभ रखती है | इसका उपयोग शत्रु वशीकरण के लिए और रूठी हुई पत्नी जा पति को वश में करने के लिए किया जाता है |यह भी ध्यान रखे के किसी भी अनुचित कार्य के लिए यह प्रयोग न करे अथवा आपको हानि होगी | यहा सिर्फ जिज्ञाशा के लिए यह प्रयोग दे रहा हु इसे अपने उच्च अधिकारी पत्नी अथवा पति को अनुकूल बनाने के लिए प्रयोग करे |
साधना विधि –
किसी भी अमावश ,ग्रहण काल ,दीपावली आदि शुभ महूरत में शुरू कर  इसका जाप 7 दिन में 11000 कर के सिद्ध कर ले फिर किसी भी ख्द्य पदारथ भोजन आदि जब भी आप करने बैठे उसे 7 वार अभिमंत्रिक कर जिसका भी नाम लेकर खाया जाता है उसका निहचय ही वशीकरण हो जाता है और वह आपके अनुकूल कार्य करने लगेगा और आपकी आज्ञा का पालन करेगा |
१.  किसी बेजोट पे एक लाल कपड़ा विशा दे उसके उपर एक नारियल तिल की ढेरी पे  स्थाप्त करे |
२.  नारियल का पूजन करे उस पे  सिंदूर का तिलक करे धूप दीप आदि से घोर रूपिणी को स्मरण करते हुये पूजन करे |
३.  भोग मिठाई का लगाए |
४.  दिशा दक्षिण की तरफ मुख रखे |
५.  आसन कंबल का ले जा कोई भी ऊनी आसन ले ले |
६.  माला काले हकीक जा रुद्राक्ष की ठीक रहती है |
७.  वस्त्र किसी भी तरह के पहन ले |इस साधना को शाम 8 से 10 व्जे के बीच कभी भी शुरू कर ले |
८.  मंत्र  जाप पूरा हो जाए तो नारियल किसी भी शिव मंदिर जा काली के मंदिर में कुश दक्षणा के साथ  चढ़ा दे और सफलता के लिए प्रार्थना करे |
९. गुरु पूजन और गणेश पूजन हर साधना में अनिवार्य होता है इसका ध्यान रखे |

मंत्र---

|| ॐ नमः कट विकट घोर रूपिणी स्वाहा ||

साबर मोहनी जाल

साबर तंत्र में इस साधना को मोहनी जाल के नाम से जाना जाता है | इसका प्रयोग  कभी विफल नहीं जाता !इस से जहाँ अपने उच्च अधिकारी को अपने अनुकूल बना सकते है | वही अपने आस पास के वातावरण को अपने विरोध होने से  रोक सकते है | अपनी झगड़ालू पत्नी जा पति को भी अपने वश में  कर उसे अनुकूलता दे सकते है | कई लोग इस प्रयोग का गलत इस्तेमाल कर लेते है | उन्हें कहता हू कोई भी ऐसा कार्य ना करे जो समाजिक दृष्टि से अनुकूल ना
हो | सिर्फ आवश्कता पड़ने पर ही यह प्रयोग करे | यह प्रयोग जिज्ञाशा के लिए दे रहा हू | इस लिए इसे सद्कार्य हेतु इस्तेमाल करे नहीं तो शक्ति कई वार विपरीत स्थिति भी पैदा कर देती है | यह घर से भी साध्य व्यक्ति  को भी  बुला लेता है | ऐसा परखा हुआ है | मोहनी जाळ फेकना आसन है, मगर उठाना उतना ही मुश्किल इस लिए  इसे इस्तेमाल करने से पहले पुनः  सोच विचार कर ले  | इस का प्रयोग अति  शक्तिशाली है | इस से अपने प्रतिबंधिओ
को अपने अनुकूल कर मन चाहा कार्य संपन करा  सकते है | यह प्रयोग पहली  वार आपके समक्ष  ला रहा हू |

साधना विधि --
१. इसे लाल वस्त्र धारण कर करना चाहिए |
२. आसन कुषा का या कबल का ले सकते है |
३. दिशा उतर रहेगी |
४. मन्त्र जाप पाँच  माला करना है | इस के लिए लाल चन्दन या कुंकुम की माला या काले हकीक  की माला इस्तेमाल कर सकते है |
५ तेल का दीपक साधना काल में जलता रहेगा जब तक आप मन्त्र जाप करते है | दीपक में तिल का तेल इस्तेमाल करे तो जयादा उचित है |
६. सोलह किस्म का सिंगार ले आये उसे वेजोट पे लाल वस्त्र विछा के उस पर रख दे और सात किस्म की मिठाई भी रख दे इस के  इलावा छोटी इलाची और एक शीशी  इतर पास रखे और एक मीठा पान का बीड़ा रख दे |
७. साधना के बाद छोटी इलाची और इतर को छोड़ कर शेष  समग्री किसी निर्जन स्थान  पे उसी लाल वस्त्र में बांध कर  छोड़ दे अथवा नदी में प्रवाहित करदे |
८. वशीकरन के लिए एक इलाची ७ वार यह मन्त्र पढ़  किसी को खिला दे |
९. जब आप किसी अधिकारी से मिलने जा रहे हो जो आपका कार्य नहीं कर रहा तो थोरा इतर लगा के चले जाये वोह आपकी बात जरुर सुनेगा |
१०. इसे २१ दिन करना है और मन शुद रखे |
११. सारी समग्री लाल वस्त्र पे रख के उस में तेल का दिया किसी पात्र में रख कर  लगा दे और मन्त्र जाप शुरू करने से पहले गणेश पूजन गुरु पूजन और श्री भैरव  पूजन अनिवर्य है |
१२. उस दिये  पे एक मिटी के  पात्र पर थोड़ा घी लगा के दिये  से थोड़ा उचा रख सकते है | काजल उतरने के लिए !उस काजल से तीव्र  संमोहन होता है | उसे आँखों में लगा के जिसे भी देखेगे समोहित हो जायेगा !

साधना करते वक़्त ख्याल रखे कई वार मोहिनी भयानक रूप में सामने आ जाती है | जिस के काले वस्त्र होते है और रंग काला होता है | होठो पे ढेर सारी सुर्खी लगी होती है | आंखे बिजली की तरह चमक रही होती है | ऐसी हालत में डरे न नहीं तो मेहनत बेकार हो जाती है | और ना ही उसकी आंखो में देखने का प्रयत्न करे नहीं तो आप समोहित हो जाएगे और साधना रुक जाएगी बहुत धार्य से काम ले जब तक वो वर मांगने को न कहे तब तक बोले न सिर्फ
अपने मंत्र जप पे ध्यान दे | जब आपका बचन हो जाए तो उसे कहे के जब भी मैं आपको याद कर इस मंत्र का जप कर जिसे समोहित करना चाहु कर सकु आप ऐसा वर दे इस से समोहन की शक्ति आपको दे देगी उसे सिंगार मिठाई पान आदि प्रदान करे वोह खुश हो कर आपको सकल स्मोहन का बचन दे देगी अगर ऐसा न भी हो तो भी मंत्र सिद्ध हो जाता है और कार्य करने लगता है | ऐसा सिर्फ इस लिए लिखा है के मेरा ऐसा अनुभव है | जो मैं समझता हु किसी के साथ भी ऐसा
हो सकता है | पर अक्सर मंत्र सिद्ध हो जाता है और कार्य करने लगता है | साधना के बाद आप इसके प्रयोग की पुष्टि कर सकते है | भूल कर भी गलत कार्यओ में इसका इस्तेमाल न करे इस का कई वार विपरीत परिणाम भी भुगतना पै सकता है |

साबर मंत्र
मोहिनी मोहिनी  मैं करा मोहिनी  मेरा नाम |
राजा  मोहा प्रजा  मोहा मोहा शहर ग्राम ||
त्रिंजन बैठी नार मोहा चोंके बैठी को |
स्तर बहतर जिस गली  मैं जावा सौ मित्र सौ वैरी को ||
वाजे मन्त्र फुरे वाचा |
देखा  महा मोहिनी  तेरे इल्म का तमाशा ||

गणेश मोहिनी साधना

मोहिनी साधनए तो बहुत है इन सभी में गणेश मोहिनी साधना श्रेष्ट कही गई है | वैसे तो मोहिनी साधनाये  अपना पूर्ण प्रभाव रखती है | इन में से श्री गोरखनाथ मोहिनी ,शाह हजरत अली की सुलेमानी मोहिनी ,मोहमंद सहब की शाम कोर मोहिनी और पंज पीर मोहिनी प्रयोग वीर हनुमान मोहिनी रतड़ी मोहिनी बीबों मोहनी  साबर साधनायों  में बेमिसाल मानी गई है ! जहां मैं गणेश मोहिनी दे रहा हु यह मेरी अनुभूत साधना है ! ऐसी साधनाए
मिलना भी सोभाग्य माना जाता है |साबर तंत्र , साधना के हर पहलू को उजागर करती है | चाहे वोह  वीर साधना हो जा यक्षणी साधना साबर तंत्र आश्चर्ज से भरा हुया है !साधना तो दे रहा हु पर किसी भी हालत में इसका गलत प्रयोग न करे अथवा परिणाम भी आपको भुगतने पड़ेगे मैं जहां साधको की जिज्ञाशा के लिए यह अनुभूत साधना दे रहा हु कोई भी तर्क कुतर्क माईने नहीं रखता | बहुत ही बेमिसाल साधना है | यह किसी भी असभव  कार्य को सभव
करने का बल रखती है | इसे करने के लिए अनुष्ठान करना पड़ता है यह एक दिन की साधना है और इसे घर में नहीं करना है | घर में करने से फलदायी नहीं होगी यह बात आप याद रखे |

विधि –इस के लिए निम्न वस्तुए 21-21 रुपेए की लेकर मिला ले !
1 –स्लीरा
2-लाल चंदन पाउडर
3-सफ़ेद चंदन पाउडर
4 बादाम
5 शुयायारे
5 गिरि गोला
6 किसमिस
7 सरियाला
8 अगर
9 तगर
और जटा मासी और एक 1.50 किलो हवन स्मगरी आधा किलो तिल काले,
यह समान किसी भी पंसारी की दुकान से आसानी से मिल जाता  है ! अगर कोई चीज न भी मिले तो भी कोई बात नहीं आप हवन में फूल मखाने और कमल  गट्टे  भी मिला सकते है | एक कटोरी शकर और आधा किलो शुद्ध घी मिला कर समग्री तयार कर ले और इस हवन के लिए आम की लकड़ चाहिए अब किसी भी नजदीक जंगल में जा कर रात्री को गणपती का पूजन और उस के बाद 1100 आहुति देनी है | इस मंत्र से ऐसा करने से साधना सिद्ध हो जाती है हवन करते हुए इस बात का ख्याल
रखे के जंगल को आग न लगे इस लिए जा तो निर्जन सथान जा नदी का किनारा भी बेहतर है | रात 9 व्जे के पहचान्त हवन शुरू करे इस में तीन घंटे से ज्यादा  का समय लग जाता है | भोग के लिए पाँच लड्डू रख ले और पुजा के पहचान्त साधना पूर्ण होने के बाद उहने वोही छोड़ दे और घर आ जाए जा जहां आपने स्टे की है वहाँ आ जाए | सिंदूर  की एक डीबी साथ ले जाए और उसे खोल कर पास रख ले जब  साधना पूर्ण  हो जाए तो उसे साथ ले आए इस का तिलक सभी को
समोहित कर  देगा |
जहां एक बात जरूर कहनी चाहुगा कई लोग अपनी अनुकूलता के लिए साधना के नियम बना लेते है जब परिणाम सही नहीं मिलते तो साधना को गलत कह देते है | इस लिए साधना में दिये हुये नियमो की पालना अनिवार्य है !
साधना करने से पूर्व गुरु पूजन कर आज्ञा ले ले और फिर जंगल में जा कर  रात 9 से 1 वजे तक साधना संम्पन कर ले इस में किसी प्रकार  की हानी नहीं होती इस लिए सभी ड़र दिल से निकाल दे !

साबर मंत्र –
ॐ गणपती वीर वसे मसान ,जो मैं मांगु सो तुम आन !
पाँच लड्डू वा सिर संदूर त्रीभुवन  मांगे चंपे के फूल!
अष्ट कुली नाग मोहा जो नाड़ी 72 कोठा मोहु !
इंदर की  बैठी सभा मोहु आवती जावती ईस्त्री मोहु !
जाता जाता पुरुष मोहु ! डावा अंग वसे नर सिंह जीवने क्षेत्र पाला ये!
आवे मारकरनता सो जावी हमारे पाउ पड्न्ता!
गुरु की शक्ति हमारी भगती चलो मंत्र आदेश गुरुका !

महा मोहिनी साधना

हर व्यक्ति चाहता के वोह सभ से सुंदर दिखे और हर लड़की चाहती है के उसे अपूर्व सोंदर्य प्राप्ति हो इस के लिए इंसान चाहे औरत दोनों प्रयत्न शील रहते है !तरह तरह के साधन अपनाते है !सोंदर्य सिर्फ बाहर का नहीं अंतर में भी सोंदर्य हो वाणी में सोंदर्य हो चेहरे पे तेज हो तो वोह हर इंसान को अपने मोह पाश में बांध लेता है ! योगमाया देवी सोंदर्य और आकर्षण की प्रति मूर्ति है !इस से बढ़ कर कोई सुंदर नहीं !

यह किसी भी साधक को सोंदर्य प्रदान कर सकती है इस के लिए यह एक अनुभूत साधना है !इस से व्यक्ति के हर पहलू से सोंदर्य आ जाता है जहां महलाए भी अपने में एक विशेष आकर्षण महसूस करती है !तेज और मादकता उनके चेहरे से छल्क उठती है और वह अपने सोंदर्य में किसी को भी बांधने की शक्ति अर्जित कर लेती है !इस के लिए यह साधना बहुत लाभकारी है !आप भी एक वार इसे संपन कर अपने को विशेष सोंदर्य से श्राभोर करे !

यह आसान साधना है और इसे भी मोहिनी एकादशी को शुरू कर 11 दिन में पूर्ण करना है !इस हिसाब से आप 11 माला हर रोज कर सकते है !कुल मंत्र 7000 जप कर सकते है जा 11 दिन 11 माला कर ले !इस के लिए जो समगरी चाहिए आपके पास चाँदी की जा नवरतनों की माला हो जा सफटिक की माला का प्रयोग कर ले जा नवरंगी माला भी ले सकते है जैसी माला इन में से मिले प्रयोग में ले ले ! दूसरा आपके पास भगवान विष्णु का और योगा माया का चित्र जा मूर्ति हो
!नगेंदर निखिल !
विधि ---
सभ से पहले आप किसी बेजोट पे पे लाल वास्तर विशा कर देवी की और भगवान विष्णु की प्रितमा का स्थापन करे अगर प्रितमा जा विग्रयाह न हो तो तो सुंदर चित्र का स्थापन कर ले !सभ से पहले गुरु पूजन और श्री गणेश पूजन करे सद्गुरु का चित्र भी साथ में स्थापन करे और पूजन के बाद आज्ञा लेकर साधना शुरू करे !

देवी की प्रितमा पे गुलाबी रंग का वस्त्र चढ़ाए और केसर कुंकुम ,धूप दीप पुष्प नवेध के लिए शुद्ध घी की बनी हुई मिठाई आदि का भोग लगाए फल चढ़ाये और एक मीठा पान भी अर्पित करे इस पुजा में केसर और पान विशेष स्थान रखता है इस लिए यह दोनों चीजे खास कर पुजा में समलित करे हर रोज पूजन करना है वस्त्र एक वार चढ़ा सकते है बाकी समान रोज नया ले और पहला समान किसी पात्र में उठा के रख दे !इसके साथ ही भगवान विष्णु की
आराधना करे और चित्र का पूजन करे !

फिर उकत माला से 11 माला निमन मंत्र का जप करे !ऐसा आपको 11 दिन करना है !11 दिन के बाद सारी स्मगरी जो पूजन के वक्त आपने उठा ली थी उसे जल प्रवाह कर दे और चित्र को पुजा स्थान में स्थापन कर दे इस प्रकार यह साधना पूर्ण हो जाती है !इस में आसन पीला और दिशा पच्छिम को मुख रखे !
मंत्र -- ॐ वं वं वं क्रीं आकर्षिणी स्वाहा !!

विश्व मोहिनी साधना

साधना विधि –
एक देवी की प्रितमा(मूर्ति ) स्थापत करे अगर देवी योग माया की मूर्ति न मिले तो दुर्गा की मूर्ति स्थापन कर ले ! फिर उसे सुंगदत द्रव्य से ईशनान कराये और उस पे इत्र और चुनरी चढ़ाए ! 16 प्रकार का सिंगार ले और जहां बेजोटपे लाल वास्तर के उपर देवी की मूर्ति स्थापन करनी है और उसके सहमने बेजोट पे ही 16 सिंगार रख देने है और सात किसम की मिठाई का भोग लगाए और एक तिल की ढेरी पे तिल के तेल का दिया लगा दे जो देवी के
चित्र के ठीक सहमने रखे देवी का पंचो उपचार पूजन करना है फल फूल धूप दीप नवेध अक्षत आदि से लाल रंग के फूल चढ़ाये देवी ! और सहमने ही लाल रंग के आसान पे लाल रंग के वस्त्र पहन कर बैठे दिशा पूर्व की तरफ मुख रखे ! पूजन से पहले गुरु जी और गणेश पूजन कर आज्ञा ले और देवी का पूजन करे फिर सफटिक जा मोती की माला से जप करे !आप एकादशी से शुरू करके 7 दिनो में जप पूर्ण कर सकते है !

साधना के बाद सिंगार का समान जा तो किसी मंदिर में कुश दक्षणा के साथ चढ़ा दे जा किसी कन्या को दे दे अगर संभव न हो तो नदी के पास किनारे पे छोड़ दे !साधना का समय रात को करे 8 से शुरू कर कभी भी कर ले !मंत्र संख्या 9000 हजार है !आप चाहे एक सप्ताह में कर ले जा जैसा आप उचित समझे ! दिन संख्या निर्धारित नहीं है जप 9000 करना है !आप चाहे तो 16 माला रोज कर एक सप्ताह में जप पूर्ण कर सकते है !इस तरीके से भी साधना पूर्ण हो जाती
है !जप मधुरता से ही करे जल्दबाज़ी न करे इसी लिए एक सप्ताह का वक़्त दिया है ! जल्दबाज़ी में कभी धीरे जा तेजी से जाप करना श्रेष्ठ नहीं है क्यू के यह साधना बहुत तीक्ष्ण है ! साधना काल में ब्रह्मचर्य अनिवार्य है !

मंत्र –ॐ ह्रीं सर्व चक्र मोहिनी जाग्रय जाग्रय ॐ हुं स्वाहा !!

कृष्ण समोहन बाण साधना

जहाँ बात समोहन की हो तो श्री कृष्ण जी का चित्रण अपने आप हो जाता है और सिर शरधा से अपने आप झुक  जाता है और जीवन में प्रेम की लहर दौड़ जाती है शरीर में रोमाच  पैदा होने लगता है !हवा से संगीत तरंगे प्रवाहित होने लगती है !सारा वातावर्ण एक महक से भर उठता है !बदलो की गडगडाहट से मेघ  संगीत लहरी वजने लगती है !यह सभी समोहन तो है जो प्रकिरती हमेशा करती है !और आप स्मोहत होते चले जाते है !दृश्य आप को अपनी और
आकर्षित करते है !प्रकिरती का यही गुण अपनाकर साधक शरेष्ट बन जाता है और  प्रकिरती से एकाकार हो जाता है तो जीवन में सुगंध वियाप्त होती ही है !जब तक प्रकिरती तत्व आप में नहीं आता कैसे एक अप्सरा और य्क्ष्नी को बुला पयोगे संभव ही नहीं है !कैसे किनरी को अपने बस में कर पयोगे इस तत्व के बिना नहीं हो सकता क्यों के एक प्रकिरती ही है जो सभ को अपनी और आकर्षित करती है !जहाँ सन्यासी प्रकिरती को पूरी तरह अपना
लेते है !तभी तो शरेष्ट बन पाते है और प्रकिरती उन्हें स्व पालने लगती है !अगर साधक बन कर इस तथ्य को अपनायो गे तो सहज ही समझ जायोगे की प्रकिरती क्या चाहती है आपसे आप त्राटक करते हो जा कोई साधना उस में प्रकिरती को ही निहारते हो उसी प्रकिरती में व्याप्त सुगंध आप की आँखों के रस्ते आप में भी व्याप्त हो जाती है !प्रकिरती को निहारना ही अभियाश है और अपना लेना समोहन और प्रेम का संगीत जा प्रकिरती संगीत
सुनना किरिया है उसे समझ लेना समोहन है !अब सवाल यह है ऐसा क्या करे के प्रकिरती का संगीत समझ य़ा जाये और समोहन की किरिया अपने आप संपन हो जाये जैसे प्रकिरती में स्व ही होती है !उच्च कोटि के फकीरों और संतो में एक कहावत कही जाती है "कुदरत नार फकीरी की "अर्थात कुदरत जा प्रकिरती को अपना लेना ही जीवन की पूर्णता है !और जही श्री कृष्ण जी का दिव्य सन्देश है !क्यों के वोह वार वार कहते है अर्जुन तुम मुझे
पहचानो मैं नदियों में गंगा नदी हू दरखतो में पीपल हू अदि अदि ऐसे बहुत उधारन दे कर अर्जुन को समझाया !क्यों के श्री कृष्ण पूरण समोहन का रूप थे और प्रकिरती को अपना चुके थे तभी जरे जरे में व्याप्त थे !इस लिए कृष्ण नाम से वडा कोई समोहन मंत्र नहीं है !जहाँ एक समोहन बाण साधना दे रहा हू जो गोपनीय तो है ही और अपने आप में पूरण समोहन लिए हुए है मेरी स्व की परखी हुयी है !

साधना विधि ---
१ इसे अष्टमी जा श्री कृष्ण जम्नाष्ट्मीके दिन और बंसंत पंचमी से शुरू किया जा सकता है यह २१ दिन की साधना है !
२ इस में जाप वज्यंती माला से करे !
३ मन्त्र जाप २१ माला करना है !
४ जप के वक़्त सुध घी की ज्योत लगा दे !
५ गुरु पूजन गणेश पूजन और श्री कृष्ण पूजन अनिवार्य है !
६ भोग के लिए दूध का बना परशाद मिश्री में छोटी इलाची मिला के पास रख ले !
७ हो सके तो षोडश परकार से पूजन करे नहीं तो मिलत उपचार जैसा आपको आता है कर ले !
७ वस्त्र पीले और आसन पीला !
८ दिशा उतर रहेगी !
९ साधना के अंत में पलाश की लकड़ी ड़ाल कर उस में घी से दस्मांश हवन करना है !ऐसा करने से साधना सिद्ध हो जाती है और आपकी आँखों में समोहन छा जाता है !
इस का प्रयोग भलाई के कार्यो में लगाये यह अमोघ शक्ति है !

मन्त्र----|| ॐ कलीम कृष्णाय समोहन बाण साध्य हुं फट ||

चेतावनी - यहाँ लिखी गई तंत्र से जुडी सभी साधनाये साधको के ज्ञानवर्धन मात्र के लिए दी गई  है ! यदि कोई साधक कोई भी साधना अथवा प्रयोग करना चाहता है तो गुरु दीक्षा , और गुरु के मारगदर्शन में करे ! बिना गुरु दीक्षा और बिना गुरु आज्ञा भूल कर भी कोई साधना अथवा प्रयोग न करे !

Friday 2 September 2016

स्फटिक — आर्थिक तंगी का नाश

4….स्फटिक — आर्थिक तंगी का नाश करता है ! यह विभिन्न क्षेत्रों में सफलता दिलाने वाला और विघ्रो को मिटाने वाला होता है !
स्फटिक एक रंगहीन, पारदर्शी, निर्मल और शीत प्रभाव वाला उपरत्न है। इसको कई नामों से जाना जाता है, जैसे- ‘सफ़ेद बिल्लौर’, अंग्रेज़ी में ‘रॉक क्रिस्टल’, संस्कृत में ‘सितोपल’, शिवप्रिय, कांचमणि और फिटक आदि। इसे फिटकरी भी कहा जाता है। सामान्यत: यह काँच जैसा प्रतीत होता है, परंतु यह काँच की अपेक्षा अधिक दीर्घजीवी होता है। कटाई में काँच के मुकाबले इसमें कोण अधिक उभरे होते हैं। इसकी प्रवृत्ति[2] ठंडी होती है। अत: ज्वर, पित्त-विकार, निर्बलता तथा रक्त विकार जैसी व्याधियों में वैद्यजन इसकी भस्मी का प्रयोग करते हैं। स्फटिक को नग के बजाय माला के रूप में पहना जाता है। स्फटिक माला को भगवती लक्ष्मी का रूप माना जाता है।
रासायनिक संरचना
स्फटिक की रासायनिक संरचना सिलिकॉन डाइऑक्साइड है। तमाम क्रिस्टलों में यह सबसे अधिक साफ, पवित्र और ताकतवर है। स्फटिक शुद्ध क्रिस्टल है, या फिर यह भी कहा जा सकता है कि अंग्रेज़ी में शुद्ध क्वार्टज क्रिस्टल का देसी नाम स्फटिक है। ‘प्योर स्नो’ या ‘व्हाइट क्रिस्टल’ भी इसी के नाम हैं। यह सफ़ेदी लिए हुए रंगहीन, पारदर्शी और चमकदार होता है। यह सफ़ेद बिल्लौर अर्थात रॉक क्रिस्टल से हू-ब-हू मिलता है।
विशेषताएँ
स्फटिक की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह पहनने वाले किसी भी पुरुष या स्त्री को एकदम स्वस्थ रखता है। इसके बारे में यह भी माना जाता है कि इसे धारण करने से भूत-प्रेत आदि की बाधा से मुक्त रहा जा सकता है। कई प्रकार के आकार और प्रकारों में स्फटिक मिलता है। इसके मणकों की माला फैशन और हीलिंग पावर्स दोनों के लिहाज से लोकप्रिय है। यह इंद्रधनुष की छटा-सी खिल उठती है। इसे पहनने मात्र से ही शरीर में इलैक्ट्रोकैमिकल संतुलन उभरता है और तनाव-दबाव से मुक्त होकर शांति मिलने लगती है। स्फटिक की माला के मणकों से रोजाना सुबह लक्ष्मी देवी का मंत्र जप करना आर्थिक तंगी का नाश करता है। स्फटिक के शिवलिंग की पूजा-अर्चना से धन-दौलत, खुशहाली और बीमारी आदि से राहत मिलती है तथा सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती हैं।
रुद्राक्ष और मूंगा के साथ पिरोया गया स्फटिक का ब्रेसलेट खूब पहना जाता है। इससे व्यक्ति को डर और भय नहीं लगता। उसकी सोच-समझ में तेजी और विकास होने लगता है। मन इधर-उधर भटकने की स्थिति में, सुख-शांति के लिए स्फटिक पहनने की सलाह दी जती है। कहते हैं कि स्फटिक के शंख से ईश्वर को जल तर्पण करने वाला पुरुष या स्त्री जन्म-मृत्यु के फेर से मुक्त हो जता है।
इसकी प्रवृत्ति [तासीर] ठंडी होती है। अत: ज्वर, पित्त-विकार, निर्बलता तथा रक्त विकार जैसी व्याधियों में वैद्यजन इसकी भस्मी का प्रयोग करते हैं। स्फटिक कंप्यूटर से निकलने वाले ‘बुरे’ रेडिएशन (यानी हानिकारक विकिरण) को अपनी ओर खींचकर सोख लेती है । स्फटिक को नग के बजाय माला के रू प में पहना जाता है। स्फटिक माला को भगवती लक्ष्मी का रू प माना जाता है। अन्य उपयोग इस प्रकार हैं-
लक्ष्मी प्राप्ति के लिए इसे पूजा स्थल में रखें तथा इससे “ú श्री लक्ष्म्यै
स्फटिक को हीरे का उपरत्न कहा जाता है। स्फटिक को कांचमणि, बिल्लोर, बर्फ का पत्थर तथा अंग्रेजी में रॉक क्रिस्टल कहा जाता है। यह एक पारदर्शी रत्न है। इसे स्फटिक मणि भी कहा जाता है। स्फटिक बर्फ के पहाड़ों पर बर्फ के नीचे टुक ड़े के रूप में पाया जाता है। यह बर्फ के समान पारदर्शी और सफेद होता है। यह मणि के समान है। इसलिए स्फटिक के श्रीयंत्र को बहुत पवित्र माना जाता है। यह यंत्र ब्रम्हा, विष्णु, महेश यानि त्रिमूर्ति का स्वरुप माना जाता है।स्फटिक श्रीयंत्र का स्फटिक का बना होने के कारण इस पर जब सफेद प्रकाश पड़ता है तो ये उस प्रकाश को परावर्तित कर इन्द्र धनुष के रंगों के रूप में परावर्तित कर देती है।
यदि आप चाहते है कि आपकी जिन्दगी भी खुशी और सकारात्मक ऊर्जा के रंगों से भर जाए तो घर में स्फटिक श्रीयंत्र स्थापित करें। यह यंत्र घर से हर तरह की नेगेटिव एनर्जी को दूर करता है। घर में पॉजिटिव माहौल को बनाता है। जिस घर में यह यंत्र स्थापित कर दिया जाता है वहां पैसा बरसने लगता है साथ ही जो भी व्यक्ति इसे स्थापित करता है उसके जीवन में नाम पैसा दौलत शोहरत सब कुछ होता है।
स्फटिक की सबसे बड़ी खूबी है कि यह पहनने वाले या वाली को एकदम फिट रखता है और बताते हैं कि इसका साथ भूत-प्रेत बाधा से मुक्त रखता है।
स्फटिक में दिव्य शक्तियां या ईश्वरीय पावर्स मौजूद होती हैं। इस कदर कि स्फटिक में बंद एनर्जी के जरिए आपकी तमन्नाओं को ईश्वर तक खुद-ब-खुद पहुंचाता जता है। फिर यह धारण करने वाले के मनमर्जी मुताबिक काम करता जता है और आपके दिमाग या मन में किसी किस्म के नकारात्मक विचार हरगिज नहीं पनप पाते।
स्फटिक किस्म-किस्म के आकार और प्रकार में आता है। स्फटिक के मणकों की माला फैशन और हीलिंग पावर्स दोनों लिहाज से लोकप्रिय है। यह इंद्रधनुष की छटा-सी खिल उठती है। इसे पहनने भर से शरीर में इलैक्ट्रोकैमिकल संतुलन उभरता है और तनाव-दबाव से मुक्त होकर शांति मिलने लगती है। स्फटिक की माला के मणकों से रोजना सुबह लक्ष्मी देवी का मंत्र जप करना आर्थिक तंगी का नाश करता है। स्फटिक के शिवलिंग की पूज-अर्चना से धन-दौलत, खुशहाली, बीमारी से राहत और पॉजिटिव पावर्स प्राप्त होती हैं।
रुद्राक्ष और मूंगा संग पिरोई स्फटिक का ब्रेसलेट हीलिंग यंत्र के तौर पर खूब पहना जाता है। इससे डर-भय छूमंतर होते देर नहीं लगती। सोच-समझ में तेजी और विकास होने लगता है। मन इधर-उधर भटकने की स्थिति में, सुख-शांति के लिए स्फटिक के पेंडेंट पहनने की सलाह दी जती है और बताते हैं कि स्फटिक के शंख से ईश्वर को जल तर्पण करने वाला या वाली जन्म-मृत्यु के फेर से मुक्त हो जता है। साथ-साथ खुशकिस्मती आपके घर-आंगन में वास करने लगती है।
एक खास बात और है-अगर आपके बेटे या बेटी का पढ़ाई-लिखाई में मन न लगे और एकाग्रता के अभाव के चलते वह पढ़ाई में कमजोर हो तो फौरन स्फटिक का पिरामिड उसके स्टडी टेबल या स्टडी रूम में रखने से उत्तम नतीजे आने लगते हैं। यही नहीं, स्फटिक यंत्र के सहारे तमाम रुकावटें हटती जती हैं। आपको सही समझ-बूझ से नवाजता है स्फटिक।
इसकी रासायनिक संरचना सिलिकॉन
डाइआक्साइड है। तमाम क्रिस्टलों में यह सबसे ज्यादा साफ, पवित्र और ताकतवर है। यह है लिब्रा यानी तुला और टॉरस या कहें वृष राशियों का बर्थ स्टोन, लेकिन इसे हर राशि वाला या वाली पहन या रख सकता या सकती है। कीमत केवल 750 रुपये