Wednesday 31 August 2016

Dus Mahavidhya Tantrik Sadhak

Dus Mahavidhya Tantrik Sadhak
धन कुबेर साधना 1



धन और सुख की कामना किसे नहीं होती | अगर भाग्य साथ नहीं दे रहा तो मांत्रिक शक्ति का आसरा लेना गलत नहीं है | मेहनत तो करनी ही पड़ेगी चाहे साधना हो या आपके अपने कार्य  क्षेत्र  इस के लिए अपने को मन से तयार करे और प्रसन चित से साधना करे | सच्चे मन से किया कार्य कभी विफल नहीं होता फिर साधना का आधार तो आस्था है | धन की समस्या आ रही है तो इसके लिए कुबेर साधना बहुत लाभकारी है | आज के युग में धन के बिना सभी कार्य अधूरे रहते है | जहां मैं एक कुबेर देवता की साधना दे रहा हु जो की षोडश वर्णीय मंत्र साधना कहलती है | इस के प्रवाभ से धन धन्य की कमी का साहमना कभी नहीं करना पड़ता बस अपने मन को पवित्र करे और साधना करे भगवान आपको जरूर सफलता देंगे |
विधि –
1.  यह साधना किसी भी शुभ महूरत धन तेरस ,दीपावली ,नवरात्रि और किसी भी शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार को शुरू करे |
2.  इस मंत्र का जाप शिव मंदिर में करे जा बिल्ब के पेड़ के नीचे बैठ के भी किया जा सकता है |
3.  मंत्र  जाप सवा लाख करना है | इसके के लिए आप २१ दिन जा अपनी सुविदा अनुसार दिन ले सकते है | जप साक्ष्य रोज उतनी ही रहेगी जितनी पहले दिन की हो |
4.  आसन कुशा का उतम है | न मिले तो कोई भी लाल रंग का आसन ले ले |
5.  दिशा उतर ठीक है |
6.  साधना काल में घी का दीपक जलता रहना चाहिए |
7.  भगवान शंकर का पूजन कर आज्ञा ले और गुरु पूजन व गणेश पूजन कर साधना शुरू करे |
8.  भोग के लिए कोई भी शुद्ध घी की मिठाई ले सकते है | फिर भी दूध से बनी मिठाई उत्म रहती है |
9.  अपने साम्हने कुबेर यंत्र की स्थापना करे अगर आपके पास पारद शिवलिंग घर में है तो उसके पास बैठ कर भी कर सकते है | यंत्र का पूजन पंचौपचार विधि से करे |और प्रार्थना करे के आपके जीवन में धन की कभी कमी न आए और आपके सभी कार्य निरविघ्न संपन होते रहे | फिर आप अपने गुरु मंत्र का २ माला जप कर ले और कुबेर मंत्र का जप अपने दिनो के अनुसार कर ले आप को कुल १२५० मलाए जपना है |
10. साधना पूर्ण होने पे यंत्र को पुजा स्थान में स्थाप्त कर दे और शेष पूजन सामाग्री अगर घर में कर रहे है तो जल प्रवाह करदे अगर मंदिर में कर रहे है तो वोही छोड़ दे |
11. शिव कृपा से आप की साधना सफल हो तो छोटे बच्चो को भोजन जा मिठाई आदि बाँट दे |
 कई वार यह  साधना करते समय बहुत बड़ा काला नाग सामने आ जाता है | जिस से डरे न क्यू के यह कुबेर देव ही होते है |यह सिर्फ मेरा अनुभव है हर साधक को ऐसा हो यह जरूरी नहीं |

 मंत्र  -

|| ॐ श्रीं ॐ ह्रीं श्रीं कलीं श्रीं कलीं ॐ वितेश्वराय नमः ||

धन कुबेर साधना 2



यह कुबेर का रूप सर्व मंगल स्वरूपी है | धन आदि जीवन में प्राप्त होता रहे और सभी कार्य नियमत रूप से चलते रहे भाग्य साथ दे और हम  जो भी कार्य करे उसका हुमे पूरा फल मिले इस लिए इन की साधना की जाती है |
लाल वस्त्र पे कुबेर यंत्र का स्थापन करे | लाल पुष्प लेकर मंत्र पढ़ते हुये धन कुबेर की स्थापना यंत्र पे करे |
|| ॐ हसौं धन कुबेराये एहः आगच्छ तिष्ठ तिष्ठ स्वाहा ||
1.  दिन मंगल वार श्रेष्ठ है |
2.  वस्त्र और आसन लाल ठीक है |
3.  दिशा पूर्व की और मुख रखे |
4.  माला रुद्राक्ष  की ले और 7 ,11 जा 21 माला जप करे |
5.  यंत्र का पचौपचार पूजन करे धूप दीप आदि से |
6.  भोग खीर का लगाये यंत्र के पास ही एक पात्र में खीर का भोग रखे भोग खीर मेवे आदि का भोग लगाये |
7.  साधना टाइम शाम 7 से रात्री 10 व्जे के बीच कभी भी करे |
8.  जप पूर्ण होने पे लाल पुष्प कुंकुम मिश्र्त अक्षत आदि चढ़ाये और आरती करे कुश दिन तक मानसिक जप करते रहे भोग स्व ग्रहण करे और परिवार में बाँट दे साधना पूर्ण होने पे यंत्र और माल को पुजा स्थान में स्थाप्त कर दे बाकी शेष समगरी को उसी वस्त्र में बांध कर जल प्रवाह कर दे |


मंत्र --       || ॐ हसौं धन कुबेराये हुं ||

अमृत कुबेर साधना

अमृत कुबेर की साधना स्वास्थ लाभ रोग अति आदि की समाप्ती के लिए की जाती है | क्यू के स्वास्थ ही सभ से बड़ी पूंजी होती है | मानसिक रोग को समाप्त करने और स्मस्थ रोगो का नाश करते है |

नीले रंग का वस्त्र बेजोट पे विशाए और उस पे कुबेर यंत्र स्थापत करे |
|| ॐ हसौं अमृत कुबेराये एहः आगच्छ तिष्ठ तिष्ठ स्वाहा ||
1.  नीले रंग का वस्त्र विशा कर नीले रंग के आसन पे बैठ कर जप करे |
2.  दिन शुक्रवार ठीक है |
3.  दिशा पच्छिम  की और मुख रखे |
4.  यंत्र के पास ही एक पात्र में दही भी स्थापत करे |
5.  माला मोती की लेनी है |
6.  7 ,11 जा 21 माला जप करना है |
7.  मिठाई लड्डू बर्फी आदि का भोग लगाये | भोग स्व ग्रहण करे और परिवार आदि में बाँट दे | दही छत पे पंक्षियों को रख दे |
8.  जप पूरा होने पर कमल का पुष्प अथवा लाल फूल अक्षत आदि अर्पित करे | साधना समाप्ती पे यंत्र और माला को छोड़ कर शेष स्मगरी उसी वस्त्र में बांध कर जल प्रवाह करदे दही पक्षियो को डाल दे | साधना के बाद कुश दिन तक मानसिक जप करते रहे|

मंत्र --|| ॐ हसौं अमृत कुबेराये हुं ||

प्राण कुबेर साधना



प्राण कुबेर की साधना ऋण से मुक्ति के लिए की जाती है | धन तो आता है पर कर्ज से मुक्ति न मिल रही हो तो यह साधना बहुत लाभकारी है |
पीले वस्त्र पे कुबेर यंत्र स्थाप्त करे और कुबेर की स्थापना करे एक पीला पुष्प लेकर मंत्र पढ़ते हुये चढ़ाये |
|| ॐ हसौं प्राण कुबेराये एहः आगच्छ तिष्ठ तिष्ठ स्वाहा ||
1.  सोम वार  के दिन यह साधना करनी है |
2.  वस्त्र एवं आसन पीला रहेगा |
3.  यंत्र का पचौपचार पूजन करे | यंत्र के साथ ही शहत स्थापित करे और अर्पित करे |
4.  दिशा उतर ठीक है |
5.  पीले तथा लाल मिश्र्त पुष्प अर्पित करे |
6.  चन्दन की माला से 7,11,21 माला जप करे |
7.  फलो का प्रसाद चढ़ाए |
8.  जप समाप्ती पे फलो का प्रसाद अर्पित करे और लाल और पीले पुष्प चढ़ाए कुश दिन तक मानसिक जप करते रहे | साधना पूरी होने पे यंत्र और माला छोड़ कर बाकी समगरी जल प्रवाह कर दे |
मंत्र
|| ॐ हसौं प्राण कुबेराये हुं ||



अघोर आकस्मिक धन प्राप्ति प्रयोग





धर्म अर्थ काम और मोक्ष जीवन के चार मुख्य स्तंभ है. इन सभी पक्षों मे व्यक्ति पूर्णता प्राप्त करे यही उद्देश्यसाधना जगत का भी है. इसी लिए व्यक्ति के गृहस्थ और आध्यात्मिक दोनों पक्ष के सबंध मे साधनाओ का अस्तित्वबराबर रहा है. हमारे ऋषि मुनि जहा एक और आध्याम मे पूर्णता प्राप्त थे वही भौतिक पक्ष मे भी वह पूर्ण रूप सेसक्षम थे. साधना के सभी मार्गो मे इन मुख्य स्तंभों के अनुरूप साधनाऐ विद्यमान है ही. इस प्रकार अघोर साधनाओमे भी गृहस्थ समस्याओ सबंधित निराकरण को प्राप्त करने के लिए कई साधना विद्यमान है. इन साधनाओ काप्रभाव अत्यधिक तीक्ष्ण होता है, तथा व्यक्ति को अल्प काल मे ही साधना का परिणाम तीव्र ही मिल जाता है. धन कानिरंतर प्रवाह आज के युग मे ज़रुरी है. साधक के लिए यह एक नितांत सत्य है की सभी पक्षों मे पूर्णता प्राप्त करनीचाहिए. जब तक व्यक्ति भोग को नहीं जानेगा तब तक वह मोक्ष को भी केसे जान पाएगा. इस मुख्य चिंतन के साथहर एक प्रकार की साधना का अपना ही एक अलग स्थान है. व्यक्ति चाहे कितना भी परिश्रम करे लेकिन भाग्य साथना दे तो सफलता मिलना सहज नहीं है. ऐसे समय पर व्यक्ति को साधनाओ का सहारा लेना चाहिए तथा अपने कार्योंकी सिद्धि के लिए देवत्व का सहारा लेना चाहिए. पूर्णता प्राप्त करना हमारा हक़ है और साधनाओ के माध्यम से यहसंभव है. किसी भी कार्य के लिए व्यक्ति को आज के युग मे पग पग पर धन की आवश्यकता होती है. हर व्यक्ति कासपना होता हे की वह श्रीसम्प्पन हो. लक्ष्मी से सबंधित कई प्रयोग अघोर मार्ग मे निहित है लेकिन जब बात तीव्र धनप्राप्ति की हो तो अघोर मार्ग की साधनाए लाजवाब है. अघोरियो के प्रयोग अत्यधिक त्वरित गति से कार्य करते हैतथा इच्छापूर्ति करते है. आकस्मिक रूप से धन की प्राप्ति करने के लिए जो विधान है उसके माध्यम से व्यक्ति कोकिसी न किसी रूप मे धन की प्राप्ति होती है तथा त्वरित गति से होती है. इस महत्वपूर्ण और गुप्त विधान को साधकसम्प्पन करे तब चाहे कितने भी भाग्य रूठे हुए हो या फिर परिश्रम सार्थक नहीं हो रहे हो, व्यक्ति को निश्चित रूप सेधन की प्राप्ति होती ही है.
साधक अष्टमी या अमावस्या की रात्रि को स्मशान मे जाए तथा तेल का दीपक लगाये. अपने सामने लाल वस्त्र बिछाकर ५ सफ़ेद हकीक पत्थर रखे तथा उस पर कुंकुम की बिंदी लगाये. साधक के वस्त्र लाल रहे. तथा दिशा उत्तर या पूर्व.उसके बाद साधक सफ़ेद हकीक माला से निम्न मंत्र की २१ माला जाप करे.
ॐ शीघ्र सर्व लक्ष्मी वश्यमे अघोरेश्वराय फट
साधक को यह क्रम ५ दिन तक करना चाहिए. ५ वे दिन उन हकिक पथ्थरो को उसी लाल कपडे मे पोटली बना करअपनी तिजोरी या धन रखने के स्थान मे रख दे.

अग्नि बांधने और खोलने का अढाईआ मन्त्र



ये मन्त्र भी अपने आप में बहुत तीव्रता रखता है इस का लाभ जहा आग लगी हो उसे बांध देने से वोह बुझ जाती है और फैलने से रुक जाती है इसे कभी दुरूपयोग ना करे | इसका उत्कीलन भी साथ ही दे रहा हू मतलव बांधने और खोलने का भी सिद्ध करे इस की भी जरूरत होती है जब अग्नि पूरी तरह शांत हो जाये तो उसे खोल सकते है |

साधना विधि --
इसको पानी के किनारे बैठ कर करना है | किसी भी नदी अदि पे जाकर कर सकते हैं | जब जप पूरा हो जाये तो उठते वक़्त २ लडू नदी में ड़ाल देने है | दोनों मंत्रो में विधि एक जैसी ही है |
जप २१ माला करना है माला कोई भी ले सकते है फिर भी हकीक की जा मुंगे की ठीक रहती है | २१ दिन की साधना है |
वस्त्र कोई भी पहन सकते हो |


साबर मन्त्र अग्नि बांधने का --
ॐ नमो गुरु को आदेश
जलती बांधू बलती बांधू ,बांधू अगन स्वाई |
हनुमान का अर्का बांधू राम चन्द्र की दुहाई ||

अग्नि खोलने का मन्त्र ---
ॐ नमो गुरुको आदेश
जलती खोलू बलती खोलू ,खोलू अगन स्वाई  |
हनुमान का अर्का खोलू राम चन्द्र की दुहाई ||
बस आज के लिए इतना ही जय गुरुदेव |
प्रयोग विधि --
जहां आग लगी हो कोई भी कंकर उठा कर 21 वार मंत्र पढे और कंकर पे फूक दे | उस कंकर को जल्ती अग्नि में फेक देने से अग्नि बुझ जाती है | इसका दूसरा तरीका यह है के एक लोटा जल ले और उस पे 21 वार मंत्र पढे और अग्नि की तरफ मुख कर वहा दे |इस से भी अग्नि शांत हो जाती है | अग्नि खोलने के लिए कंकर पे 7 वार जा 21 वार मंत्र पढ़ कर दुयारा फेक दे इस से अग्नि खुल जाती है और उसके बाद दलिया बना कर किसी नदी आदि पे दे जा बच्चो को बाँट दे दलिया देते वक़्त किसी पात्र में एक सुलगता हुया उपला रखे और उस पे थोरा घी डाल कर पाँच वार दलिया डाले थोरा थोरा और धूप आदि लगा कर वरुण देव को नमस्कार करे | और अग्नि देव से क्षमा प्रार्थना करे और अशिरबाद ले |



धनदा यक्षिणी साधना



यक्षिणी साधना जहां धन देती है वही आपकी कामना पूर्ति भी करती है | जीवन में आ रही प्रेशनियों को सहज समझ कर उनका निवारण करने का गुण प्रदान करती है | एक सच्चे मित्र की तरह साथ देती हुई साधक का हर प्रकार से मंगल करती है | यक्षिणीये माता की सहचरिए होती है और साधक की साधना में निखार ला देती है | सही मैयने में देखा जाए तो यक्षिणी साधना जीवन में बसंत ऋतु के समान है | जब साधक निरंतर साधना करते हुए ऊर्जा को सहन करते करते मन से कुश तपस के कारण ऊब सा जाता है या  यह कहू के तेज को सहन करने की वजह से कई वार मन की स्थिति ऐसी हो जाती है के उसके लिए जीवन में मन में एक विराग पैदा होने से उदासी सी आ जाती है | ऐसे वक़्त में यक्षिणी उसे नई उमंग देते हुए मन को आनंद से भर देती है | उसके जीवन में वर्षा की फुयार की तरह कार्य करती है | जब साधक आनंद से सराबोर होता है तो साधना करने की ललक उसे जीवन में और शक्ति अर्जित करने को प्रेरत करती है |  यह साधक के जीवन में प्रेम को समझने का गुण पैदा करती है | उसके जीवन को धन धन्य आदि सुख प्रदान करती है | धनदा यक्षिणी की साधना मंत्र शाश्तरों में नाना प्रकार से दी हुई है | जीवन में सवर्ण क्षण होते है जब साधक किसी यक्षिणी का सहचर्या प्राप्त करता है | यक्षिणी साधना दुर्लव है पर दुष्कर नहीं यह सहज ही संपन हो जाती है बस इसे समझने की जरूरत है |जो साधक जीवन में धन आदि सुख चाहते है उन्हे यह साधना संपन करनी चाहिए और यह साधना साधक के मन में साधना के प्रति प्रेरणा पैदा करती है |                      
जहां मैं धनदा यक्षिणी की साधना दे रहा हु आशा करता हु यह साधना आपके जीवन को जरूर नई दिशा देगी इस के लिए साधना के नियमो की पालना करनी अनिवर्य है | यक्षिणी रूप सोंद्र्य से परिपूर्ण होती है यह साधक का काया कल्प तक कर देती है | धनदा यक्षिणी 20 -22 वर्ष की सोंद्र्य की मूर्ति है |इसकी आंखे झील सी गहराई लिए हुई नीली दिखाई देती है | गोर वरणीय मुख के दोनों तरफ दो वालों की वल खाती दो लटाए और लंबी वेणी वालो पे कजरा सा लगाए सुंदर रूप चंद्रमा जैसा जिस सोंद्र्य की आप कल्पना भी नहीं कर सकते उसके वारे अधिक कुश नहीं कह सकता और प्रेम से मन को प्रफुल्त सी करती हुई जब आपके साहमने आती है तो उस वक़्त कैसा मंजर होता है यह आप स्व कर के देख ले | मेरा इस यक्षिणी ने कई वार साथ दिया जब भी जीवन में उदासीन क्षण आए इसने मुझे सँभाला और हमेशा मित्रवत विहार किया जब भी मुझे इसकी सलाह की जरूरत पड़ी एक सच्चे मित्र की तरह मुझे सलाह दी और कई वार ऐसे क्षण आए जब मैंने अपने आपको अकेला सा महसूस किया लेकिन इसने मुझे कभी अकेले पन का एहसास नहीं होने दिया जब भी ऐसा टाइम आया इसको मैंने मेरे कंदे पर अपनी बाजू रखते हुए अपने साथ खड़ी पाया |मैंने कभी इस से धन की लालसा नहीं की लेकिन मेरा कोई कार्य रुका भी नहीं बहुत समय हो गया इस साधना को किए हुये | कुश वर्षो से बेशक मैंने इसे याद नहीं किया फिर भी कभी कभी यह खुद मुझे याद दिला ही देती है | कई वार ऐसे क्षण आए जब यह स्व आके मिली एक दोस्त की तरह | यह बाते हर एक को नहीं बिताई जाती क्यू के यह साधना के निजी अनुभव होते है | जब मैंने यह साधना की थी तो धनदा यक्षिणी स्तोत्र जरूर करता था साथ में | तभी एक दिन एक सोंद्र्य की मूर्ति मेरे साहमने अचानक आ गई और जिसे देखते ही आदमी अपने होश तक खो देता है पर मैंने हमेशा इन शक्तिओ से मित्रवत ही रहा हु और  शुद्ध प्रेम पूर्ण ही रहा हु | बस अंत जही कहुगा का के जीवन में अगर प्रेम की परिभाषा अगर समझनी है तो आप यक्षिणी का सहचर्या प्राप्त करे | सद्गुरु आपको सफलता प्रदान करे |

विधि –

  १. यह साधना 21 दिन की है | 21 दिन में स्वा लाख मंत्र जप जरूरी है |
  २. इसके लिए दो सामग्री  यक्षिणी  यंत्र और यक्षिणी माला आप गुरुधाम  से प्राप्त कर सकते है | अगर सामग्री न हो तो इसे करने के लिए एक लाल वस्त्र पे यक्षिणी की नारी रूप की सुंदर तस्वीर बना कर अथवा मूर्ति आदि बना कर भी की जा सकती है यह साधको को सुविदा के लिए बता रहा हु जा आप सफटिक या  पारद  श्री यंत्र पे भी इसका प्रयोग कर सकते हैं | माला अगर यक्षिणी माला न हो तो लाल चन्दन की माला श्रेष्ठ रहती है |
  ३. वस्त्र पीले अनसिले पहने  मतलव आप पीली धोती और पीतांबर ले सकते है |
  ४. दिशा उतर ठीक है |
  ५. मंत्र जप २१ दिन में स्वा लाख करना है |
  ६. गुरु जी और गणेश जी का पंचौपचार पूजन करे साधना के लिए अनुमति ले फिर यक्षिणी यंत्र जो के अपने साहमने एक बेजोट पे पीला जा लाल वस्त्र विशा के स्थाप्त करना है उसका पूजन करे | पूजन में धूप, दीप , फल, फूल, अक्षत, नवेद आदि के लिए मिठाई जो दूध की बनी हो और इतर आदि चढ़ा कर पुजा करे |
  ७. पूजन के बाद आप गुरु मंत्र जाप ५ माला कर ले तो बेहतर है नहीं तो २ माला  पहले और २ माला बाद में कर ले |
  ८. घी का दीपक पुजा काल के दोरान जलता रहे | सुगंध आदि के लिए अगरवती आदि लगा दे |फिर आप मंत्र जाप करे और जप पूर्ण होने पर जप समर्पित सद्गुरु जी अथवा यक्षिणी यंत्र पे भी कर सकते है |
  ९. साधना शुरू करने से पहले कुबेर देवता का पूजन अवश्य करे इस से साधना में सफलता की सभावना बढ़ जाती है |

मंत्र –

|| ॐ धं ह्रीं श्रीं रतिप्रिये स्वाहा ||

यह नौ अक्षर का मंत्र है इसका स्वा लाख जप करने से साधक को शीर्घ ही सिद्धि प्राप्त होती है |इस यक्षिणी विशेष मंत्र की आराधना से घर की दरिद्रता दूर हो जाती है |

सर्व फल प्रदायनी सिद्धि यक्षिणी



यह साधना शिव तंत्र नाम की पुस्तक से मुझे प्राप्त हुई थी जिसे मैंने आजमा के देखा है। इस का काफी प्रभाव अनुभूत किया यह साधक के मन में उठने वाली इच्छाओं के जाल को भेद देती है | विभिन्न प्रकार की कामनाओं को पूर्ण कर देती है | साधक की इच्छा से उसे कोई भी वस्तु प्रदान कर देती है | जैसे दुर्लभ जड़ी-बूटी, पुष्प, तांत्रिक वस्तुए और कई प्रकार की दुर्लभ कही जाने वाली समग्री की प्राप्ति का जरिया बना देती है | बस इस साधना में धैर्य की जरूरत होती है साथ ही साथ एक योग्य मार्गदर्शक की भी| इस साधना के प्रभाव से मैंने समस्त प्रकार के बांधे हांसिल किए ऐसी दुर्लव जड़ी बूटी भी हासल की जिस को हाथ में बांध कर साधना करने से तत्काल सिद्धि मिल जाती है देव प्रत्यक्षीकरण हो जाता है यह दुर्लभ वस्तुओँ का उल्लेख करना ठीक नहीं रहेगा इस लिए सीधे साधना पर आते है |                      

विधि –
 इस साधना को एकांत में करना है इस लिए ऐसी जगह चुने जहां कोई आता जाता न हो आप अपने घर में ऐसे कमरे का चयन भी कर सकते है जिस में आपके सिवाय कोई और न जाए |
इस साधना में वस्त्र बिना सिलाई वाले जैसे लाल धोती कंबल आदि धारण किया जा सकता है औरते साड़ी पहन सकती है |
 साधना के समय दीप तेल का जलता रहेगा | धूप गूगल का इस्तेमाल करे |
दिशा उत्तर दिशा की और मुख करे | माला लाल चन्दन की लेनी है |
जहां तक हो सके एक समय भोजन करे |हाँ फल कभी भी लिए जा सकते हैं |
बेजोट पे लाल वस्त्र बिछा दे उस पे एक दूसरे को काटते हुए त्रिकोण बनाए जिसे मैथुन चक्र भी कहते है | यह लाल चन्दन यां कुंकुम से बनाए | उस के बीच एक सुपारी रख से उसके दायी और एक अन्य सुपारी मौली बांध कर रखे जिस पर गणेश जी का पूजन करना है | उस सुपारी का पूजन पंचौपचार से करे गुडहल का लाल रंग  का पुष्प अर्पित करे |
 साधना प्रारंभ होने से पूर्ण होने तक भूमि शयन और ब्रह्मचर्य जरूरी है |
प्रतिदिन मेवा, मिठाई, पान इत्यादि का भोग लगाना आवश्यक है | भोजन ग्रहण करने से पूर्व देवी के लिए भोग पहले निकाल कर रखे उसका भोग लगा कर स्वयं खाये देवी का भोग लगाया हुया भोजन किसी बट वृक्ष के नीचे रख आए साथ में किसी मिट्टी के बर्तन में जल भी साथ रखे और बिना पीछे देखे वापिस आए अगर पीछे से कोई आवाज पड़े तो पीछे मूड कर न देखे यह कर्म तब तक चलेगा जब तक साधना पूर्ण न हो |
कुल सवा लाख मन्त्रों का जप करना है। प्रतिदिन 51 माला  जप अनिवार्य है |
यूं तो मैंने सभी नियम बता दिये है फिर भी कोई कमी लगे तो मुझ से बात कर ले मुझे खुशी होगी आपका मार्गदर्शन करके |

-साबर मंत्र –

|| ॐ श्री काक कमल वर्धने सर्व कार्य सरवाथान देही देही सर्व सिद्धि पादुकाया हं क्षं श्री द्वादशान दायिने सर्व सिद्धि प्रदाया स्वाहा ||


इस मंत्र का सवा लाख जप करे और अंत में गेहूं और चने मिला कर दसवां हिस्सा हवन करे मतलव 12500 मंत्रो से हवन करे | घी में गेहूं और चने मिला ले हवन के लिए | हवन की रात्री साधना कक्ष में ही सोये देवी प्रसन्न होकर वरदान मांगने को कहे तो आप अपनी इच्छा से वर मांग ले | इस प्रकार साधना सिद्ध हो जाती है और साधक की हर कामना पूर्ण होती है | साधना समाप्ती के बाद समस्त पूजन की हुई सामग्री बेजोट पर बिछे वस्त्र में बांध कर जल में प्रवाहित कर दें अथवा किसी निर्जन स्थान पे छोड़ दे |



चेतावनी - यहाँ लिखी गई तंत्र से जुडी सभी साधनाये साधको के ज्ञानवर्धन मात्र के लिए दी गई  है ! यदि कोई साधक कोई भी साधना अथवा प्रयोग करना चाहता है तो गुरु दीक्षा , और गुरु के मारगदर्शन में करे ! बिना गुरु दीक्षा और बिना गुरु आज्ञा भूल कर भी कोई साधना अथवा प्रयोग न करे !

Monday 29 August 2016

आप किसी भी सामूहिक स्थान पर मीटिंग या भाषण के लिए जा रहे है तो आपको गुंजा(gunja ) की माला धारण करनी चाहिए यह दूसरों पर अच्छा प्रभाव डालता है-
बार -बार आप किसी की नजर लगने के शिकार होते है तो चिन्ता की बात नहीं बुरी नजर से बचाने के लिए गुंजा का ब्रेसलेट(Bracelet ) धारण करना चाहिए ये आपको बुरी नजर से बचाएगा -
यदि आप किसी व्यक्ति को वशीभूत करना चाह रहे है तो उसके कपड़ों में गुंजा के दाने अभिमंत्रित करके रख दें जब तक वे दाने उस व्यक्ति के कपड़े से बंधे रहेंगे वह वशीकरण के प्रभाव में रहेगा -अभिमंत्रित मन्त्र यहाँ सुरक्षा की द्रष्टि से नहीं लिख रहा हूँ क्युकि लोग इसका दुरूपयोग न करे-इसका प्रयोग दिवाली,ग्रहण,होली, पूर्णिमा और आमवस्या के दिन ही करा जाना सबसे उत्तम प्रभाव देता है-
आप यदि गुंजा की माला धारण करते है तो आप सामूहिक सम्मोहन भी कर सकते है -
इसके उपयोग की इक्षा रखने वाले का सकारात्मक पहलू हो किसी के अनिष्ट की आकांक्षा रखने पर ये प्रयोग असफल ही रहता है-

Friday 26 August 2016

रुद्राक्ष ब्रेसलेट, Vashikaran Mantra

रुद्राक्ष ब्रेसलेट दिया जा रहा है। जो पाठकों को काफी प्रिय है। रुद्राक्ष शिव को परम प्रिय है। इसमें स्वयं शिव निवास करते हैं। वैज्ञानिक तौर पर रुद्राक्ष में चुंबकीय, विद्युतीय एवं आकर्षण शक्तियां पायी जाती हैं। इसके स्पर्श एवं उपयोग से अनेक पापों से छुटकारा मिलता है। इससे दीर्घायु एवं स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। रुद्राक्ष के उपयोग से स्नायु रोग, स्त्रियों के रोग, गले के रोग, रक्तचाप, मिरगी, दमा, नेत्र रोग, सिर दर्द आदि कई बीमारियों में लाभ होता है। श्रद्धा-भक्ति से धारण किया गया रुद्राक्ष संपूर्ण कामनाओं को सिद्ध करता है। जिस प्रकार सीढ़ी के बिना ऊपर चढ़ना असंभव होता है; उसी प्रकार माला के बिना मंत्र जप का पूर्ण फल नहीं मिल पाता है। उपयोग विधि श्राद्ध, होलाष्टक, सूतक आदि के माह को छोड़ कर अन्य किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के प्रथम सप्ताह के सोम, बुध, गुरु, शनिवार आदि किसी भी वार को, सूर्याेदय के समय, स्नानादि कर के प्र्रस्तुत ब्रेसलेट को पंचामृत, गंगा जल अथवा कच्चे दूध में धो कर, स्वच्छ बर्तन में पुष्पों के आसन पर रख कर, श्रद्धा- विश्वासपूर्वक, ‘ú नमः शिवाय’ का यथाशक्ति उच्चारण तथा धूप, दीप, नैवेद्य आदि समर्पण कर के उपयोग किया जा सकता है। उपयोग से लाभ Û किसी भी असाध्य बीमारी में लाभ पाने के लिए निरंतर हाथ में धारण करें। Û पुत्रादि प्राप्ति एवं उनके सुख के लिए इसे पूजा स्थल में स्थापित कर के, शिव समान पूजा-आराधना करने से लाभ होता है। Û स्थिरता, निर्भयता, क्षमाशीलता की प्राप्ति तथा अहंकार आदि के शमन के लिए इस ब्रेसलेट को शिव मंदिर में सोमवार की सुबह शिवभक्त को दान करना चाहिए। Û रक्त, मानसिक एवं दिल के दौरे की बीमारियों में लाभ पाने के लिए ब्रेसलेट को शिव लिंग पर रख कर अभिषेक कर के धारण करने से लाभ होता है। Û यह ब्रेसलेट शनि की खराब साढ़े साती, ढैय्या एवं टोना, टोटका आदि के बुरे प्रभाव से रक्षा करता है। Û छोटे कार्यकर्ता, मिल मजदूर एवं रोगी को यह ब्रेसलेट अति शीघ्र लाभ देता है। Û विद्यार्थी अथवा बौद्धिक कार्यों से संबंधित जातक को धारण कर के सरस्वती का स्मरण, चिंतन करना लाभकारी होगा। Û रक्तचाप की बीमारी में लाभ पाने के लिए इसे निरंतर धारण करना चाहिए। शुद्धता एवं सावधानी ब्रेसलेट की शुद्धता दीर्घ समय तक बनी रहे, इसके लिए धारक रात को सोते समय ब्रेसलेट को उतार दें तथा किसी शुद्ध स्थान पर रखें। सुबह उठ कर ब्रेसलेट को नमन कर के पुनः धारण करना चाहिए। शुद्ध ब्रेसलेट को धारण कर के मृतक शरीर के पास, प्रसूति गृह आदि में नहीं जाना चाहिए। भूल से, या अन्य किसी कारण से ब्रेसलेट अशुद्ध हो जाने पर पुनः उसे श्रद्धापूर्वक गंगाजल एवं कच्चे दूध में धो कर, सामान्य पूजन कर के उपयोग करें। मंत्र: ¬ नमः शिवाय

Thursday 25 August 2016

Sphatik ke fayde

आपको कई विद्वान और पड़े पंडित मिल जायेंगे जो की स्फटिक के कई लाभ के बारे में बतला सकते है | परन्तु आपको कही भी जाने की जरुरत नहीं है क्योंकि मैंने Sphatik ke fayde और इससे होने वाले benefits के बारे में विस्तार से बतलाया है:
Sphatik माला व्यक्ति के शरीर की गर्मी को नीचे लाता है।
Monday के दिन sphatik माला धारण करने से इंसान के मन में शान्ती बना रहता हैं और सिर दर्द भी नहीं होता।
स्फटिक माला इंसान को सभी तरह के डर और क्रोध से मुक्त करता है।
Sphatik माला इंसान को गलत चीजों से बचाता है।
ज्यादा fever होने पर sphatik माला को पानी से धोकर कुछ देर तक नाभि के उपर रखने से fever कम हो जाता है।
स्फटिक माला या फिर इसका रत्न को भी अपनी तिजोरी(Vault) में रखने से Business में benefits मिलता हैं।
अगर बच्चो का पढ़ाई-लिखाई में मन नहीं लगता हो और वे अपना mind पढ़ाई में concentrate ना कर पा रहें हो तो उनके study table या study room में sphatik का Pyramid रख देना चाहिए इससे उत्तम नतीजे दिखने लगेंगे ।
जो कोई भी sphatik की माला धारण करता है उसे अपने दुश्मनो का डर नहीं रहता है।
ज्योतिष का मनना है की अगर sphatik माला को पूरे विधि-विधान के साथ और पूरे श्रद्धा के साथ धारण किया जाये तो इंसान को सभी काम में सफलता मिलने लगती है और उनके सभी समस्याओं का अंत भी होने लगता है।
स्फटिक माला से सरस्वती मंत्र का Chanting करने पर जल्द हीं success होता हे

Wednesday 24 August 2016

काला जादू ख़त्म करता है और बुरी नज़र से बचाव करता है सुलेमानी हकीक

1. काला जादू ख़त्म करता है और बुरी नज़र से बचाव
करता है |
2 .नौकरी और व्यवसाय में आ रही अड़चनो को दूर करता
है ।
3 . सुलेमानी हकीक को धारण करने के बाद लोग आपकी
तरफ आकर्षित होने लगते है और आपको महत्त्व देने लगते
है ।
4 . सुलेमानी हकीक एक ऐसा चमत्कारी पत्थर है जो
आपको लोगो की बुरी नजर से बचा कर रखता है ।
5. आपका व्यवसाय काला जादू या टोना - टोटका की
वजह से मंदा चल रहा है तो सुलेमानी हकीक पत्थर
उसका काट कर देता है और व्यवसाय में बढ़ोतरी होती
है
6 . अगर घर में बरकत नही होती है तो बरकत होने लगती है |
7 . अगर आपके शत्रु ज़्यादा है या आपका शत्रु आपको
परेशान करता है या आप पर जादू टोना करवाता है तो
आपका उसके किए हुए जादू टोना से बचाव करता है
और आपके शत्रु को परास्त करता है | आपका शत्रु आपके
सामने शक्तिहीन हो जाता है |
8. अगर आपकी सेहत सही नही रहती है आप बार बार
बीमार होते है तो आपको सुलेमानी हकीक धारण
करना चाहिए उस से आपकी सेहत में काफ़ी अच्छा
सुधार होगा
9. सुलेमानी हकीक राहु, केतु और शनि द्वारा आ रही
बाधाओ को दूर करता है और व्यक्ति को सफलता
मिलने लगती है |
10. आपको सुलेमानी हकीक शनिवार को धारण करना है
व मध्यमा उंगली (middle finger) में धारण करना है व
चाँदी की अंगूठी में धारण करना है व सीधे हाथ में
करना है |
अगर आप उंगली में धारण नही करना चाहते है तो चाँदी
के लॉकेट में भी गले में धारण कर सकते है शनिवार के
दिन |
सुलेमानी हकीक को कोई भी व्यक्ति
धारण कर सकता है
आपको सुलेमानी हकीक कोरियर सर्विस या स्पीड पोस्ट से भेजा जायगा और ट्रॅकिंग नंबर दिया जायगा |
सवाल और उनके जवाब :-
सवाल: सुलेमानी हकीक को कैसे धारण करें ?
जवाब: आपको सुलेमानी हकीक शनिवार को चाँदी की अंगूठी में बनवा के सीधे हाथ की मध्यमा उंगली (middle finger) में धारण करना है |
सवाल: सुलेमानी हकीक कैसे मिलेगा ?
जवाब: आपको अपने घर का पता देना है और आपके घर के पते पर सुलेमानी हकीक कौरीयर सर्विस या स्पीड पोस्ट ( डाक ) से भेजा जायगा और ट्रॅकिंग नंबर और रसीद दी जाएगी | आपको यह 5-6 दिन में मिल जाएगा ।
सवाल: क्या सुलेमानी हकीक को कोई भी राशि या लग्न वाला व्यक्ति धारण कर सकता है ?
जवाब : हाँ ।
सवाल : क्या सुलेमानी हकीक मिलने के बाद पेमेंट कर सकते है ?
जवाब : जी नहीं (COD) यह सुविधा उपलब्ध नहीं हे

काली हल्दी से जुड़े टोटके जल्दी खाली नहीं जाते

खास बात यह है कि काली हल्दी से जुड़े टोटके जल्दी खाली नहीं जाते हैं। काली हल्दी बड़े काम की है…
इस धरती पर प्रकृति ने जो कुछ भी उत्पन्न किया है, वह बेवजह नहीं है। बहुत सी वस्तुएं है, जिनके बारे में हम अज्ञान हैं। आज हम आपको कुछ ऐसी ही दुर्लभ वस्तुओं में से एक काली हल्दी के बारे में बताएंगे जिसे आप अपने जीवन में उपयोग करके अनेक प्रकार की समस्याओं से निजात पाकर सुखद एंव समृद्धिदायक जीवन व्यतीत कर सकेंगे। खास बात यह है कि काली हल्दी से जुड़े टोटके जल्दी खाली नहीं जाते हैं। काली हल्दी बड़े काम की है। वैसे तो काली हल्दी का मिल पाना थोड़ा मुश्किल है, किंतु फिर भी यह पंसारी की दुकानों में मिल जाती है। यह हल्दी काफी उपयोगी और लाभकारक है।
1- यदि परिवार में कोई व्यक्ति निरंतर अस्वस्थ्य रहता है, तो प्रथम गुरुवार को आटे के दो पेड़े बनाकर उसमें गीली चीने की दाल के साथ गुड़ और थोड़ी सी पिसी काली हल्दी को दबाकर रोगी व्यक्ति के ऊपर से सात बार उतार कर गाय को खिला दें। यह उपाय लगातार तीन गुरुवार करने से आश्चर्यजनक लाभ मिलेगा।
2- यदि किसी व्यक्ति या बच्चे को नजर लग गई है, तो काले कपड़े में हल्दी को बांधकर 7 बार ऊपर से उतार कर बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें।
3- किसी की जन्मपत्रिका में गुरु और शनि पीडि़त हैं, तो वह जातक यह उपाय करें- शुक्लपक्ष के प्रथम गुरुवार से नियमित रूप से काली हल्दी पीसकर तिलक लगाने से ये दोनों ग्रह शुभ फल देने लगेंगे।
4- यदि किसी के पास धन आता तो बहुत किंतु टिकता नहीं है, उन्हें यह उपाय अवश्य करना चाहिए। शुक्लपक्ष के प्रथम शुक्रवार को चांदी की डिब्बी में काली हल्दी , नागकेशर व सिंदूर को साथ में रखकर मां लक्ष्मी के चरणों से स्पर्श करवा कर धन रखने के स्थान पर रख दें। यह उपाय करने से धन रुकने लगेगा।
5- यदि आपके व्यवसाय में निरंतर गिरावट आ रही है, तो शुक्ल पक्ष के प्रथम गुरुवार को पीले कपड़े में काली हल्दी , 11 अभिमंत्रित गोमती चक्र , चांदी का सिक्का व 11 अभिमंत्रित धनदायक कौडि़यां बांधकर 108 बार ‘ऊँ नमो भगवते वासुदेव नमः’ का जाप कर धन रखने के स्थान पर रखने से व्यवसाय में प्रगतिशीलता आ जाती है।
6- यदि आपका व्यवसाय मशीनों से संबंधित है और आए दिन कोई महंगी मशीन आपकी खराब हो जाती है, तो आप काली हल्दी को पीसकर केसर व गंगा जल मिलाकर प्रथम बुधवार को उस मशीन पर स्वास्तिक बना दें। यह उपाय करने से मशीन जल्दी खराब नहीं होगी।
7- दीपावली के दिन पीले वस्त्रों में काली हल्दी के साथ एक चांदी का सिक्का रखकर धन रखने के स्थान पर रख देने से वर्ष भर मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।

Saturday 20 August 2016

हत्था जोड़ी HATTHA JODI

तंत्र साधको की प्रिय वस्तु - हत्था जोड़ी ..
प्रिय मित्रो , आज बहुत दिनों के बाद एक छोटी सी पोस्ट दे रहा हु हत्था जोड़ी पर , जैसा की नाम से ही स्पस्ट होता है कि हत्था जोड़ी की रचना दो हाथो के जैसी होती है ! यदि आप को कही हत्था जोड़ी मिल जाय और आप उसका अवलोकन करे तो पायेगे कि किसी ने पंजेनुमा दो हाथ आपस में मिला रखे है ! इसे सिद्ध कर लिया जाय तो यह अत्यन्त चमत्कारी प्रभाव दिखाती है !
कैसे सिद्ध करे - मित्रो बहुत से लोगो के पास हत्था जोड़ी होगी किन्तु यदि हमको सिद्ध करना ही न आये तो हम भला कैसे लाभ प्राप्त कर सकते है ? तो आज मैं आप सब के समक्ष उस विधि पर प्रकाश डाल रहा हु जिसको करने से आप के पास जो हत्था जोड़ी है वो पूर्णतया सिद्ध और चैतन्य हो जाएगी तत्पश्चात यदि इस हत्था जोड़ी पर आप कोई भी प्रयोग संपन्न करेगे तो आप का प्रयोग पूर्ण फलदायी होगा और यदि कोई प्रयोग नहीं भी करते है सिर्फ अपने धन के स्थान पर स्थापित भी कर लेते है तो भी यह पूर्ण फलदायी होगा ! हत्था जोड़ी प्राप्त होने पर इसको तेल शोधन से सर्व प्रथम सिद्ध किया जाता है इसके लिए आप पहले किसी पात्र में हत्था जोड़ी को रख कर जल से फिर दूध - दही- घी - शहद - शक्कर पुनः जल से शुद्ध कर साफ़ वस्त्र से पोछकर किसी अन्य पात्र ( कटोरी ) में इसको रखे और ऊपर से तिल का इतना तेल भर दे कि हत्था जोड़ी उसमें पूरी डूब जाय ! इस पात्र को सावधानी पूर्वक ऐसे स्थान पर रख दे जहाँ कोई छेड़छाड़ न करे ! कुछ दिन के अंतराल के उपरान्त हत्थाजोड़ी वाले पात्र का निरिक्षण करते रहे ! यदि तेल कम हो जाता है तो पुनः उस पात्र में तेल भर दे ! ऐसा मैंने देखा है कि हत्था जोड़ी तेल सोखती है ! हत्थाजोड़ी जब तेल सोखना बंद कर दे तो उसे निकाल ले ! इसके उपरान्त चाँदी कि डिब्बी में सिंदूर भरकर उसमें रखे ! बसंत पंचमी - महाशिवरात्रि या होली दहन की रात पूर्व दिशा की और मुह कर लाल आसन पर बैठ जाय एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर २५० ग्राम अक्षत की ढेरी बनाकर उसके ऊपर चाँदी की डिब्बी हत्था जोड़ी सहित रखे पास में ही माता लक्ष्मी का चित्र और ताम्र लोटे में जल भरकर पास में रखे और सर्वप्रथम गणेश - गुरु पूजन करने के बाद हत्था जोड़ी का गंध - अक्षत - लाल पुष्प - से पूजन कर केसर -एक जोड़ी लौंग अर्पित करे और धुप - दीप से पूजन कर लाल रंग की मिठाई का भोग लगाये और नेत्र बंद कर अपनी समस्त कामनाओ की पूर्ति करने के लिए तथा सुख- समृद्धि प्रदान करने का निवेदन करे , इसके बाद लाल चन्दन कि माला से मात्र ०१ माला पूर्ण एकाग्रता से निम्न मंत्र का जप करे !
मंत्र - "हत्थाजोड़ी अति महिमाधरी कामणगारी , खरी प्यारी , राज-प्रजा सब मोहनगारी सेवतफल पावे सब नरनारी , केसर कर्पूर से करू मैं पूजा, दुश्मन के बल को तू दे बुझा , मनइश्चित मांगू जो देवे , कहना कथन ही मेरा रखे , हत्थाजोड़ी मातु दुहाई , रखजे मेरी बात सवाई , मेरी भक्ति गुरु की शक्ति फुरो मंत्र ईश्वर वाचा " !!
मंत्र जप पूर्ण होने के बाद कर्पूर द्वारा माता लक्ष्मी की आरती करे ! तत्पश्चात प्रसाद ग्रहण कर ले ! जब दीपक ठंडा हो जाय तब पुष्प - केसर - और लौंग सहित डिबिया को लाल वस्त्र के एक रुमाल में बाँध कर अपनी तिजोरी - गल्ला या अलमारी में सुरक्षित रख दे ! माता लक्ष्मी के चित्र को पूजा स्थान में रख दे , लाल वस्त्र सहित अक्षत को उठा ले जो चौकी पर बिछा था और २१ रूपए के साथ किसी ब्राह्मण को दान कर दे ! ऐसा करने से हत्थाजोड़ी अभिमंत्रित होकर आपके लिए कार्य सिद्धि प्रदायक हो जाती है
wharsapp +91 9896153833

Thursday 18 August 2016

सुलेमानी हकीक लॉकेट

सुलेमानी हकीक लॉकेट जो पलक झपकते किस्मत बदल दे |


संपर्क करे +91 9896153833

गोपित्त

जांगम द्रव्यों में गोरोचन आज के जमाने में एक दुर्लभ वस्तु हो गया है।वैसे नकली गोरोचन पूजा-पाठ की दुकानों में भरे पड़े हैं।छोटी-छोटी प्लास्टिक की शीशियों में उपलब्ध होने वाले पीले से पदार्थ को गोरोचन से दूर का भी सम्बन्ध नहीं है।
गोरोचन मरी हुयी गाय के शरीर से प्राप्त होता है।कुछ विद्वान का मत है कि यह गाय के मस्तक में पाया जाता है,किन्तु वस्तुतः इसका नाम "गोपित्त" है,यानी कि गाय का पित्त। शरीर में सर्वव्यापी पित्त का मूल स्थान पित्ताशय(Gallbladar) होता है।पित्ताशय की पथरी आजकल की आम बीमारी जैसी है।मनुष्यों में इसे शल्यक्रिया द्वारा बाहर निकाल दिया जाता है।गाय की इसी बीमारी से गोरोचन प्राप्त होता है।वैसे स्वस्थ गाय में भी किंचित मात्रा में पित्त तो होगा ही- उसके पित्ताशय में,जिसे आसानी से प्राप्त किया जा सकता है। मस्तक के एक खास भाग पर भी यह पदार्थ- गोल,चपटे,तिकोने,लम्बे,चौकोर- विभिन्न आकारों में एकत्र हो जाता है,जिसे चीर कर निकाला जा सकता है।हल्की लालिमायुक्त पीले रंग का यह एक अति सुगन्धित पदार्थ है,जो मोम की तरह जमा हुआ सा होता है।ताजी अवस्था में लस्सेदार,और सूख जाने पर कड़ा- कंकड़ जैसा हो जाता है।
गोपित्त,शिवा,मंगला,मेध्या,भूत-निवारिणी,वन्द्य आदि इसके अनेक नाम हैं,किन्तु सर्वाधिक प्रचलित नाम गोरोचन ही है।शेष नाम साहित्यिक रुप से गुणों पर आधारित हैं।गाय का पित्त- गोपित्त।शिवा- कल्याणकारी।मंगला- मंगलकारी।मेध्या- मेधाशक्ति बढ़ाने वाला।भूत-निवारिणी- भूत से त्राण दिलाने वाला।वन्द्य- पूजादि अति वन्द्य- आदरणीय।
आयुर्वेद और तन्त्र शास्त्र में इसका विशद प्रयोग-वर्णन है।अनेक औषधियों में इसका प्रयोग होता है। यन्त्र-लेखन,तन्त्र-साधना,तथा सामान्य पूजा में भी अष्टगन्ध-चन्दन-निर्माण में गोरोचन की अहम् भूमिका है। हालाकि विभिन्न देवताओं के लिए अलग-अलग प्रकार के अष्टगन्ध होते हैं,किन्तु गोरोचन का प्रयोग लगभग प्रत्येक अष्टगन्ध में विहित है।
गोरोचन को रविपुष्य योग में साधित करना चाहिए।सुविधानुसार कभी भी प्राप्त हो जाय,किन्तु साधना हेतु शुद्ध योग की अनिवार्यता है।साधना अति सरल है- विहित योग में सोने या चांदी,अभाव में तांबे के ताबीज में शुद्ध गोरोचन को भर कर यथोपलब्ध पंचोपचार/षोडशोपचार पूजन करें।तदुपरान्त अपने इष्टदेव का सहस्र जप करें,साथ ही शिव / शिवा के मंत्रो का भी एक-एक हजार जप अवश्य कर लें।इस प्रकार साधित गोरोचन युक्त ताबीज को धारण करने मात्र से ही सभी मनोरथ पूरे होते है- षटकर्म-दशकर्म आदि सहज ही सम्पन्न होते हैं।गोरोचन में अद्भुत कार्य क्षमता है।सामान्य मसी-लिखित यन्त्र की तुलना में असली गोरोचन द्वारा तैयार की गयी मसी से कोई भी यन्त्र-लेखन का आनन्द ही कुछ और है।ध्यातव्य है कि कर्म शुद्धि,भाव शुद्धि को साथ द्रव्य शुद्धि भी अनिवार्य है।
गोरोचन के कतिपय तान्त्रिक प्रयोग-
साधित गोरोचन युक्त ताबीज को घर के किसी पवित्र स्थान में रख दें,और नियमित रुप से,देव-प्रतिमा की तरह उसकी पूजा-अर्चना करते रहें।इससे समस्त वास्तु दोषों का निवारण होकर घर में सुख-शान्ति-समृद्धि आती है।
नवग्रहों की कृपा और प्रकोप से सभी अवगत हैं।इनक प्रसन्नता हेतु जप-होमादि उपचार किये जाते हैं। किन्तु गोरोचन के प्रयोग से भी इन्हें प्रसन्न किया जा सकता है।साधित गोरोचन को ताबीज रुप में धारण करने, और गोरोचन का नियमित तिलक लगाने से समस्त ग्रहदोष नष्ट होते हैं।
प्रेतवाधा युक्त व्यक्ति को गुरुपुष्य योग में साधित गोरोचन से भोजपत्र पर सप्तशती का "द्वितीय बीज" लिख कर ताबीज की तरह धारण करा देने से विकट से विकट प्रेतवाधा का भी निवारण हो जाता है।
मृगी,हिस्टीरिया आदि मानस व्याधियों में गोरोचन(रविपुष्य योग साधित) मिश्रित अष्टगन्ध से नवार्ण मंत्र लिख कर धारण कर देने से काफी लाभ होता है।
उक्त बीमारियों में गोरोचन को गुलाबजल में थोड़ा घिसकर तीन दिनों तक लागातार तीन-तीन बार पिलाने से अद्भुत लाभ होता है।यह कार्य किसी रवि या मंगलवार से ही प्रारम्भ करना चाहिए।
षटकर्म के सभी कर्मों में तत् तत् यंत्रों का लेखन गोरोचन मिश्रित मसी से करने से चमत्कारी लाभ होता है।
धनागम की कामना से गुरुपुष्य योग में विधिवत साधित गोरोचन का चांदी या सोने के कवच में आवेष्ठित कर नित्य पूजा-अर्चना करने से अक्षय लक्ष्मी का वास होता है।
विभिन्न सौदर्य प्रसाधनों में भी गोरोचन का प्रयोग अति लाभकारी है।हल्दी,मलयागिरी चन्दन,केसर, कपूर,मंजीठ और थोड़ी मात्रा में गोरोचन मिलाकर गुलाबजल में पीसकर तैयार किया गया लेप सौन्दर्य कान्ति में अद्भुत विकास लाता है।इस लेप को चेहरे पर लगाने के बाद घंटे भर अवश्य छोड़ दिया जाय ताकि शरीर की उष्मा से स्वतः सूखे।


+91 9896153833