रुद्राक्ष ब्रेसलेट दिया जा रहा है। जो पाठकों को काफी प्रिय है। रुद्राक्ष शिव को परम प्रिय है। इसमें स्वयं शिव निवास करते हैं। वैज्ञानिक तौर पर रुद्राक्ष में चुंबकीय, विद्युतीय एवं आकर्षण शक्तियां पायी जाती हैं। इसके स्पर्श एवं उपयोग से अनेक पापों से छुटकारा मिलता है। इससे दीर्घायु एवं स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। रुद्राक्ष के उपयोग से स्नायु रोग, स्त्रियों के रोग, गले के रोग, रक्तचाप, मिरगी, दमा, नेत्र रोग, सिर दर्द आदि कई बीमारियों में लाभ होता है। श्रद्धा-भक्ति से धारण किया गया रुद्राक्ष संपूर्ण कामनाओं को सिद्ध करता है। जिस प्रकार सीढ़ी के बिना ऊपर चढ़ना असंभव होता है; उसी प्रकार माला के बिना मंत्र जप का पूर्ण फल नहीं मिल पाता है। उपयोग विधि श्राद्ध, होलाष्टक, सूतक आदि के माह को छोड़ कर अन्य किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के प्रथम सप्ताह के सोम, बुध, गुरु, शनिवार आदि किसी भी वार को, सूर्याेदय के समय, स्नानादि कर के प्र्रस्तुत ब्रेसलेट को पंचामृत, गंगा जल अथवा कच्चे दूध में धो कर, स्वच्छ बर्तन में पुष्पों के आसन पर रख कर, श्रद्धा- विश्वासपूर्वक, ‘ú नमः शिवाय’ का यथाशक्ति उच्चारण तथा धूप, दीप, नैवेद्य आदि समर्पण कर के उपयोग किया जा सकता है। उपयोग से लाभ Û किसी भी असाध्य बीमारी में लाभ पाने के लिए निरंतर हाथ में धारण करें। Û पुत्रादि प्राप्ति एवं उनके सुख के लिए इसे पूजा स्थल में स्थापित कर के, शिव समान पूजा-आराधना करने से लाभ होता है। Û स्थिरता, निर्भयता, क्षमाशीलता की प्राप्ति तथा अहंकार आदि के शमन के लिए इस ब्रेसलेट को शिव मंदिर में सोमवार की सुबह शिवभक्त को दान करना चाहिए। Û रक्त, मानसिक एवं दिल के दौरे की बीमारियों में लाभ पाने के लिए ब्रेसलेट को शिव लिंग पर रख कर अभिषेक कर के धारण करने से लाभ होता है। Û यह ब्रेसलेट शनि की खराब साढ़े साती, ढैय्या एवं टोना, टोटका आदि के बुरे प्रभाव से रक्षा करता है। Û छोटे कार्यकर्ता, मिल मजदूर एवं रोगी को यह ब्रेसलेट अति शीघ्र लाभ देता है। Û विद्यार्थी अथवा बौद्धिक कार्यों से संबंधित जातक को धारण कर के सरस्वती का स्मरण, चिंतन करना लाभकारी होगा। Û रक्तचाप की बीमारी में लाभ पाने के लिए इसे निरंतर धारण करना चाहिए। शुद्धता एवं सावधानी ब्रेसलेट की शुद्धता दीर्घ समय तक बनी रहे, इसके लिए धारक रात को सोते समय ब्रेसलेट को उतार दें तथा किसी शुद्ध स्थान पर रखें। सुबह उठ कर ब्रेसलेट को नमन कर के पुनः धारण करना चाहिए। शुद्ध ब्रेसलेट को धारण कर के मृतक शरीर के पास, प्रसूति गृह आदि में नहीं जाना चाहिए। भूल से, या अन्य किसी कारण से ब्रेसलेट अशुद्ध हो जाने पर पुनः उसे श्रद्धापूर्वक गंगाजल एवं कच्चे दूध में धो कर, सामान्य पूजन कर के उपयोग करें। मंत्र: ¬ नमः शिवाय
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