Tuesday, 4 October 2016

Hattha Jodi - Siya singi

शत्रु मर्दन.और बड़े बड़े काम चुटकियो में हो जाते है इस साधना से
बाधाओं पर विजय-शत्रु मर्दन-विवाद विजय, शक्ति में निरन्तर वृद्धि।
जीवन में सभी सुख हों पर यदि जरूरत से ज्यादा आलोचक या शत्रु हों जो हमें निरन्तर नीचा दिखाने की फिराक में हों या किसी न किसी प्रकार से हमें परेशान करने की भावना रखते हों, तो हमारे सभी सुख अपने आप में बेकार हो जाते हैं। यही नहीं अपितु यदि हम पर कोई मुकदमा चल रहा हो, या हमने किसी पर मुकदमा दायर कर रखा हो या पड़ोसी अथवा प्रतिद्वन्द्वी बराबर परेशान कर रहा हो और हमें आर्थिक व्यापारिक नुकसान पहुंचाने की चेष्टा करता हो तो यह प्रयोग उत्तम है।
इस प्रयोग से शत्रु का नाश तो होता है और धीरे-धीरे शत्रु परास्त होता हुआ अपने आप में बर्बाद हो जाता है और व्यक्ति आनन्द के साथ जीवन व्यतीत करता है।
हत्था जोड़ी-
हत्था जोड़ी एक वनस्पति है, जो एक विशेष प्रजाति के पौधे की जड़ है। हत्था जोड़ी में मानव भुजा जैसी दो शाखायें होती हैं और उंगलियों के रूप में पंजे की आकृति ठीक इस तरह की होती है जैसे कोई मुट्ठी बंध हो। इस जड़ को निकालकर उसकी दोनों शाखाओ को मोड़कर परस्पर मिला देने पर हत्था जोड़ी बनती है। हत्था जोड़ी बनाने के लिये विशेष प्रक्रिया का पालन आवश्यक है। यह बहुत ही घने जंगल में पायी जाती है।
हत्था जोड़ी बहुत ही शक्तिशाली व प्रभावकारी वस्तु है मुकदमों, शत्रु संघर्ष, मारण, मूठ प्रयोग आदि बाधाओं के निवारण में प्रभावकारी है। हत्था जोड़ी को तांत्रिक विधि से प्राणप्रतिष्ठित कर दिया जाए तो साधक निश्चित रूप से चामुण्डा देवी का कृपा पात्र बन जाता है। ऐसी सिद्ध हत्था जोड़ी जिसके पास होती है उसके सारे शत्रु स्वतः ही निस्तेज हो जाते हैं। हत्था जोड़ी चामुण्डा देवी का प्रतिरूप है, यह जिसके पास होती है वह अद्भुत रूप से प्रभावशाली तथा सम्मोहन-वशीकरण शक्ति का स्वामी होता है।
साधना विधान:-
शत्रु स्तम्भन, शत्रु मारण और शत्रु विजय का या अपना ट्रासफर अपनी मन पसंद जगह करवना ho अद्वितीय प्रयोग चामुण्डा के तीक्ष्ण मंत्रों से चैतन्य और मंत्र सिद्ध प्राणप्रतिष्ठिायुक्त हत्था जोड़ी पर ही सम्पन्न होता है। हत्था जोड़ी मनुष्य को प्रकृति से प्राप्त एक वरदान हैं, जिसके माध्यम से व्यक्ति जीवन के सारे आनन्द ले पाता है।
यह रात्रिकालीन 11 दिवसीय साधना है, जिसे किसी भी मंगलवार अथवा शनिवार की रात्रि को आरम्भ किया सकता है। साधना करने से पूर्व ही साधना कक्ष को साफ-स्वच्छ कर लें तथा स्वयं गुरु चादर ओढ़ कर साधना सम्पन्न करें। साधक दक्षिण दिशा की ओर मुंह कर अपने सामने एक बाजोट पर लाल वस्त्र बिछा कर उस पर सरसों की ढेरी बना लें तथा उसके दोनों ओर तेल का दीपक लगा ले। सरसों की ढेरी पर हत्था जोड़ी स्थापित कर उस पर कुंकुम से बिन्दी लगावें। उसी कुंकुम से साधक स्वयं भी अपने मस्तक पर तिलक करें।
इसके पश्चात् निम्न मंत्र का 7 बार जप करें, प्रत्येक मंत्र जप के पश्चात् एक लौंग हत्था जोड़ी पर अर्पित करें-
॥ ॐ क्लीं ॐ ॥
इसके पश्चात् दोनों हाथ जोड़कर मां चामुण्डा से प्रार्थना करें कि -‘भगवती चामुण्डा आप मुझे सर्वत्र विजय प्रदान करें तथा मेरे सभी शत्रुओं का नाश कर दें।’
चामुण्डा के प्रार्थना के पश्चात् काली हकीक माला से चामुण्डा के निम्न तीक्ष्ण मंत्र का 7 माला मंत्र जप करें। मंत्र में जहां ‘अमुक’ शब्द आया है वहां शत्रु के नाम अथवा समस्त शत्रु का उच्चारण करें।
मंत्र:-
॥ॐ क्रीं क्रीं क्रीं ह्लीं ह्लीं ‘अमुक’ शत्रु मारय मारय ह्लीं क्रीं क्रीं क्रीं फट्॥
|| Om Kreem Kreem Kreem Hleem Hleem “Amuk” Shatru Maaraye Maaraye Hleem Kreem Kreem Kreem Phat ||
यह साधना 11 दिनों तक नित्य सम्पन्न करें,11 दिनों की साधना सम्पन्न करने के पश्चात् बारहवें दिन प्रातः समस्त साधना सामग्री को लाल वस्त्र में बांध कर किसी सूनसान जगह पर भूमि में गड्डा खोदकर गाड़ दें। इस प्रकार यह विशिष्ट प्रयोग सम्पन्न होता है। कुछ ही दिनों में इस साधना का प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगता है।
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Tuesday, 27 September 2016

Vashikaran Mantra and Much Much More

विश्व के वैज्ञानिक—वर्तुल में एक छोटी—सी बड़ी मधुर कथा प्रचलित है।
आसटरीयन वैज्ञानिक वुल्फगैंग पावली 1958 में मरा। कथा है कि ईश्वर बहुत दिन से उसकी प्रतीक्षा कर रहे थे कि वह कब मरे और कब आये; क्योंकि पावली जैसे आदमी मुश्किल से कभी होते हैं। असत्य को पकड़ने की, लोग कहते हैं, ऐसी क्षमता मनुष्य जाति के इतिहास में, विज्ञान की परंपरा में दूसरे व्यक्ति के पास नहीं थी। 
क्षणभर में असत्य को पकड़ लेना, भूल को पकड़ लेना पावली की कुशलता थी। और चाहे कितना ही खोना पड़े, कितना ही दांव पर लगाना पड़े, भूल को अस्वीकार करना या भूल को मद्देनजर करना या छिपाना उसके लिए असंभव था।
हो सकता हो ईश्वर उसकी प्रतीक्षा करता हो, क्योंकि सत्य के खोजी की प्रतीक्षा ही ईश्वर कर सकता है।
पावली मरा, और कथा है कि ईश्वर ने पावली से कहा कि तू भी अनूठा आदमी है। छोटी—छोटी भूलों के लिए तूने अपनी न—मालूम कितनी रातें बिना सोये बिताई हैं। और निश्चित ही जीवन के बहुत से रहस्य, वह भौतिकविद था, फिजिसिस्ट था भौतिक शास्त्र के बहुत से रहस्य तुझे अनजाने रह गये होंगे और तू प्रतीक्षा कर रहा होगा कि कब परमात्मा से मिलना हो तो उनसे पूछ सके।तुझे कुछ पूछना तो नहीं है?
मैं खुश हूं। पावली ने कहा कि धन्यभागी, हे प्रभु, एक सवाल मुझे वर्षो से चिंतित कर रहा है, और मेरे मित्रों ने, मेरे साथियों ने जितने भी सिद्धांत खोजे वह सब गलत थे और मामला हल नहीं हो पाया। जब आप ही मौजूद हैं, जिन्होंने जगत को बनाया तो अब हल होने में कोई कठिनाई नहीं है।
उसने भौतिक—शास्त्र का एक उलझा हुआ सवाल ईश्वर से पूछा। उसने कहा कि प्रोटान और इलेक्‍ट्रान दोनों के मास में अठारह सौ गुना का फर्क है। प्रोटान का मास इलेक्‍ट्रान के मास से अठारह सौ गुना ज्यादा है। लेकिन दोनों का विद्युत चार्ज बराबर है; यह बड़ी हैरान करनेवाली बात है। ऐसा कैसे हो पाया? क्या कारण है? जरूर कोई कारण होगा।
ईश्वर ने अपनी टेबिल के ऊपर से कुछ कागजात उठाये और पावली को दिये और कहा कि यह रहा सारा सिद्धांत, इस भेद का सारा सिद्धांत, इस भेद का सारा रहस्य ! पावली गौर से पढ़ गया। फिर से दुबारा लौटकर उसने पढ़ा। तीसरी बार फिर नजर डाली और ईश्वर के हाथ में देते हुए कहा, "स्टिल रांग——अभी भी गलत है।'
कहानी कहती है कि ईश्वर बहुत प्रसन्न हुआ और उसने कहा कि मैंने गलत ही तुझे पकड़ाया था। मैं जानना चाहता था कि ईश्वर को भी गलत कहने की क्षमता तुझ में है या नहीं।
ईश्वर की प्रतिष्ठा से और बड़ी कोई प्रतिष्ठा नहीं हो सकती; लेकिन सत्य के खोजी की आड़ में अगर ईश्वर भी आता हो तो उसे भी हटा देना आवश्यक है।

Sunday, 25 September 2016

नारी,स्त्री,औरत,महिला,लड़की को वश में करने का एक मात्र मंत्र यही है , Ladie Vashikaran Mantra

Hattha Jodi , हत्था जोड़ी र्लभ सामग्री तंत्र साधको की प्रिय वस्तु - हत्था जोड़ी .. प्रिय मित्रो , आज बहुत दिनों के बाद एक छोटी सी पोस्ट दे रहा हु हत्था जोड़ी पर , जैसा की नाम से ही स्पस्ट होता है

दुर्लभ सामग्री
तंत्र साधको की प्रिय वस्तु - हत्था जोड़ी ..
प्रिय मित्रो , आज बहुत दिनों के बाद एक छोटी सी पोस्ट दे रहा हु हत्था जोड़ी पर , जैसा की नाम से ही स्पस्ट होता है कि हत्था जोड़ी की रचना दो हाथो के जैसी होती है ! यदि आप को कही हत्था जोड़ी मिल जाय और आप उसका अवलोकन करे तो पायेगे कि किसी ने पंजेनुमा दो हाथ आपस में मिला रखे है ! इसे सिद्ध कर लिया जाय तो यह अत्यन्त चमत्कारी प्रभाव दिखाती है !
कैसे सिद्ध करे - मित्रो बहुत से लोगो के पास हत्था जोड़ी होगी किन्तु यदि हमको सिद्ध करना ही न आये तो हम भला कैसे लाभ प्राप्त कर सकते है ? तो आज मैं आप सब के समक्ष उस विधि पर प्रकाश डाल रहा हु जिसको करने से आप के पास जो हत्था जोड़ी है वो पूर्णतया सिद्ध और चैतन्य हो जाएगी तत्पश्चात यदि इस हत्था जोड़ी पर आप कोई भी प्रयोग संपन्न करेगे तो आप का प्रयोग पूर्ण फलदायी होगा और यदि कोई प्रयोग नहीं भी करते है सिर्फ अपने धन के स्थान पर स्थापित भी कर लेते है तो भी यह पूर्ण फलदायी होगा ! हत्था जोड़ी प्राप्त होने पर इसको तेल शोधन से सर्व प्रथम सिद्ध किया जाता है इसके लिए आप पहले किसी पात्र में हत्था जोड़ी को रख कर जल से फिर दूध - दही- घी - शहद - शक्कर पुनः जल से शुद्ध कर साफ़ वस्त्र से पोछकर किसी अन्य पात्र ( कटोरी ) में इसको रखे और ऊपर से तिल का इतना तेल भर दे कि हत्था जोड़ी उसमें पूरी डूब जाय ! इस पात्र को सावधानी पूर्वक ऐसे स्थान पर रख दे जहाँ कोई छेड़छाड़ न करे ! कुछ दिन के अंतराल के उपरान्त हत्थाजोड़ी वाले पात्र का निरिक्षण करते रहे ! यदि तेल कम हो जाता है तो पुनः उस पात्र में तेल भर दे ! ऐसा मैंने देखा है कि हत्था जोड़ी तेल सोखती है ! हत्थाजोड़ी जब तेल सोखना बंद कर दे तो उसे निकाल ले ! इसके उपरान्त चाँदी कि डिब्बी में सिंदूर भरकर उसमें रखे ! बसंत पंचमी - महाशिवरात्रि या होली दहन की रात पूर्व दिशा की और मुह कर लाल आसन पर बैठ जाय एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर २५० ग्राम अक्षत की ढेरी बनाकर उसके ऊपर चाँदी की डिब्बी हत्था जोड़ी सहित रखे पास में ही माता लक्ष्मी का चित्र और ताम्र लोटे में जल भरकर पास में रखे और सर्वप्रथम गणेश - गुरु पूजन करने के बाद हत्था जोड़ी का गंध - अक्षत - लाल पुष्प - से पूजन कर केसर -एक जोड़ी लौंग अर्पित करे और धुप - दीप से पूजन कर लाल रंग की मिठाई का भोग लगाये और नेत्र बंद कर अपनी समस्त कामनाओ की पूर्ति करने के लिए तथा सुख- समृद्धि प्रदान करने का निवेदन करे , इसके बाद लाल चन्दन कि माला से मात्र ०१ माला पूर्ण एकाग्रता से निम्न मंत्र का जप करे !
मंत्र - "हत्थाजोड़ी अति महिमाधरी कामणगारी , खरी प्यारी , राज-प्रजा सब मोहनगारी सेवतफल पावे सब नरनारी , केसर कर्पूर से करू मैं पूजा, दुश्मन के बल को तू दे बुझा , मनइश्चित मांगू जो देवे , कहना कथन ही मेरा रखे , हत्थाजोड़ी मातु दुहाई , रखजे मेरी बात सवाई , मेरी भक्ति गुरु की शक्ति फुरो मंत्र ईश्वर वाचा " !!
मंत्र जप पूर्ण होने के बाद कर्पूर द्वारा माता लक्ष्मी की आरती करे ! तत्पश्चात प्रसाद ग्रहण कर ले ! जब दीपक ठंडा हो जाय तब पुष्प - केसर - और लौंग सहित डिबिया को लाल वस्त्र के एक रुमाल में बाँध कर अपनी तिजोरी - गल्ला या अलमारी में सुरक्षित रख दे ! माता लक्ष्मी के चित्र को पूजा स्थान में रख दे , लाल वस्त्र सहित अक्षत को उठा ले जो चौकी पर बिछा था और २१ रूपए के साथ किसी ब्राह्मण को दान कर दे ! ऐसा करने से हत्थाजोड़ी अभिमंत्रित होकर आपके लिए कार्य सिद्धि प्रदायक हो जाती है
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हकीक अपने आप में लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है , Vashikaran Mantra In Hindi

हकीक अपने आप में लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है, जिसके घर में दरिद्रता हो उसको चाहिए की
दीपावली के दिन मंत्र सिद्ध 21
हकीक पत्थर लेकर जमीन में गाड दें तो उस दिन से ही उसके घर में आर्थिक उन्नति होने लगती है।
2 जो व्यक्ति श्रेष्ठ धन की इच्छा रखता है उनको चाहिए कि हकीक पत्थर लेकर उसके ऊपर लक्ष्मी का चित्र या विग्रह स्थापित करें। तो निश्चय ही उसके घर में आर्थिक
उन्नति होती ही रहती है।
3 यदि 11 हकीक पत्थर लेकर किसी मदिंर में चढा दें और कहें कि मैं अमुक कार्य में विजयी होना चाहता हूँ तो निश्चय ही उस कार्यो में विजय प्राप्त करता है।
4 यदि 11 हकीक पत्थर पर शत्रु का नाम लेकर यदि जमीन में गाड दें तो उसी समय में शत्रु का पतन प्रारम्भ हो जाता है।
5 सतांन सुख के लिए दीपावली के दिन या किसी शुभ महूर्त पर 21
हकीक पत्थर लेकर पूजा करके ऊँ श्री पुत्राय महालक्ष्म्यै नमः कहकर जल में फैंकता है। तो शीघ्र ही उसके घर में पुत्र की प्राप्ति होती है।
6 दीपावली के दिन या किसी शुभ महूर्त पर लक्ष्मीं पूजन के समय दो हकीक लक्ष्मी जी के चरणो में रखे। पूजन के उपरान्त रात्रि में इन दोनो हकीक पत्थरों को घर में किसी कोने में भूमि खोद कर गाड दें इस प्रयोग से लक्ष्मी आप पर प्रसन्न
होगी और शीघ्र ही आर्थिक उन्नति से अनुभव करेगें।
7 दीपावली के दिन या किसी शुभ महूर्त पर लक्ष्मी पूजन के पश्चात एक हकीक पत्थर अपने दाएं हाथ की मुठठी में बंद कर लें और फिर "श्री" शब्द का 21 बार मानसिक जाप अर्थात मन में जाप करें और फिर इस पत्थर को अपने गल्ले में, बाक्स में,
तिजोरी में रख दें। आप देखेगें कि नित्य प्रति आय की आवक बढ रही है।
8 ऐसे व्यक्ति जो आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहें हैं उन्हे तो यह प्रयोग अवश्य ही करने चाहिए। दीपावली के दिन या किसी शुभ महूर्त पर रात्रि में पूजा-उपासना करने के पश्चात एक हकीक माला लें और उससे 108 बार "ऊँ हीं हीं श्रीं श्रीं लक्ष्मी वासुदेवाय नमः " मंत्र का जाप करें। इसके बाद इस माला
को अपने पूजा घर में रखें अथवा महालक्ष्मी के चित्र में चढा दें। शीघ्र ही आप स्वंय को आर्थिक रूप से दृढ पाएगें।
गुरुवार को लक्ष्मीनारायण मंदिर
में जा के भगवान विष्णु को
कलिंगी चढ़ाएं तथा शुद्ध घी से बने
पांच लड्डुओं का भोग चढ़ाएं। उन्हें
प्रणाम कर मन की अभिलाषा
वयक्त करें। तो निस्चय ही 3 माह से
ले के एक साल के भीतर कन्या की
विवाह हो जाता हैं ऐसा माना
जाता हैं।
जो भी व्यक्ति कर्ज से परेशान है या फिर उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर है। ऐसे लोग ये उपाय करें तो लाभ मिलेगा।

Monday, 12 September 2016

Maa Kamakhya Devi Ka Vashikaran Mantra Aghori Baba

अद्भुत वशीकरण मंत्र व पूरी विधि - वशीकरण मंत्र - करियर और प्रेम में जीत दिलाये , Latest Tips: Ladki Ko Vash Me Karne Ka Mantra- लड़की को मंत्र से पटाये

अद्भुत समोहन प्राप्ति - श्री ज्वाला मालनी साधना

सुख स्मृधी पे ग्रहण होता है गृह कलेश क्यू के घर में तनाव पूर्ण महोल ही प्रमथिक होता इसके साथ ही यदि आपका उचधिकारी आपके अनुकूल नहीं है | या आपके बच्चे या आपकी पत्नी आपके अनुकूल न हो तो भी जीवन में उदासीनता घर कर जाती है |यह साधना एक अद्भुत साधना है जो के साधक को ऐसा दिव्य स्मोहन देती है जिस से उसके कार्य सहज ही होने लगते है लोग उसकी बात का आदर करते है उसकी वाणी में अद्भुत प्रभाव आ जाता है छोटे बड़े
सभ उसको इज़त देते है | वह अपने आस पास के महोल को और लोगो को अपने अनुकूल रखने और परिचित जा अपरिचित व्यक्ति के साथ मधुर संबंध बनाने और अपने व्यक्तिगत जीवन की आ रही अनेक स्मस्याओ को दूर करने में सक्षम हो जाता है |

विधि –
१.   यह साधना 11 दिन की है | इस में हर रोज 11 माला जप अनिवर्य है |
२.   इस में आसन पीले रंग का लेना है और आपकी दिशा उतर की तरफ मुख रहेगा |
३.   देवी भगवती जा ज्वालामालनी का चित्र स्थाप्त करे | चित्र का पूजन धूप दीप नवेद पुष्प अक्षत फल आदि से करे | भोग में आप किसी भी तरह की मिठाई इस्तेमाल कर सकते है | एक पनि वाले नारियल को तिलक कर मौली बांध कर देवी माँ को अर्पित करे |
४.   फिर मूँगे की माला से निम्न मंत्र की ११ माला ११ दिन तक करे |
५.   ११ दिन के बाद सभी पुजा की हुई समगरी जल प्रवाह करदे | फल आदि प्रसाद अपने परिवार में बाँट दे |
६.   गुरु पूजन और गणेश पूजन हर साधना में अनवर्य होता है इस बात को हमेशा याद रखे |

मंत्र –
|| ॐ नमो आकर्षिनी ज्वाला मालनी देव्यै स्वाहा ||

घोर रूपिणी वशीकरण साधना


यह साधना बहुत ही तीक्ष्ण प्रवाभ रखती है | इसका उपयोग शत्रु वशीकरण के लिए और रूठी हुई पत्नी जा पति को वश में करने के लिए किया जाता है |यह भी ध्यान रखे के किसी भी अनुचित कार्य के लिए यह प्रयोग न करे अथवा आपको हानि होगी | यहा सिर्फ जिज्ञाशा के लिए यह प्रयोग दे रहा हु इसे अपने उच्च अधिकारी पत्नी अथवा पति को अनुकूल बनाने के लिए प्रयोग करे |
साधना विधि –
किसी भी अमावश ,ग्रहण काल ,दीपावली आदि शुभ महूरत में शुरू कर  इसका जाप 7 दिन में 11000 कर के सिद्ध कर ले फिर किसी भी ख्द्य पदारथ भोजन आदि जब भी आप करने बैठे उसे 7 वार अभिमंत्रिक कर जिसका भी नाम लेकर खाया जाता है उसका निहचय ही वशीकरण हो जाता है और वह आपके अनुकूल कार्य करने लगेगा और आपकी आज्ञा का पालन करेगा |
१.  किसी बेजोट पे एक लाल कपड़ा विशा दे उसके उपर एक नारियल तिल की ढेरी पे  स्थाप्त करे |
२.  नारियल का पूजन करे उस पे  सिंदूर का तिलक करे धूप दीप आदि से घोर रूपिणी को स्मरण करते हुये पूजन करे |
३.  भोग मिठाई का लगाए |
४.  दिशा दक्षिण की तरफ मुख रखे |
५.  आसन कंबल का ले जा कोई भी ऊनी आसन ले ले |
६.  माला काले हकीक जा रुद्राक्ष की ठीक रहती है |
७.  वस्त्र किसी भी तरह के पहन ले |इस साधना को शाम 8 से 10 व्जे के बीच कभी भी शुरू कर ले |
८.  मंत्र  जाप पूरा हो जाए तो नारियल किसी भी शिव मंदिर जा काली के मंदिर में कुश दक्षणा के साथ  चढ़ा दे और सफलता के लिए प्रार्थना करे |
९. गुरु पूजन और गणेश पूजन हर साधना में अनिवार्य होता है इसका ध्यान रखे |

मंत्र---

|| ॐ नमः कट विकट घोर रूपिणी स्वाहा ||

साबर मोहनी जाल

साबर तंत्र में इस साधना को मोहनी जाल के नाम से जाना जाता है | इसका प्रयोग  कभी विफल नहीं जाता !इस से जहाँ अपने उच्च अधिकारी को अपने अनुकूल बना सकते है | वही अपने आस पास के वातावरण को अपने विरोध होने से  रोक सकते है | अपनी झगड़ालू पत्नी जा पति को भी अपने वश में  कर उसे अनुकूलता दे सकते है | कई लोग इस प्रयोग का गलत इस्तेमाल कर लेते है | उन्हें कहता हू कोई भी ऐसा कार्य ना करे जो समाजिक दृष्टि से अनुकूल ना
हो | सिर्फ आवश्कता पड़ने पर ही यह प्रयोग करे | यह प्रयोग जिज्ञाशा के लिए दे रहा हू | इस लिए इसे सद्कार्य हेतु इस्तेमाल करे नहीं तो शक्ति कई वार विपरीत स्थिति भी पैदा कर देती है | यह घर से भी साध्य व्यक्ति  को भी  बुला लेता है | ऐसा परखा हुआ है | मोहनी जाळ फेकना आसन है, मगर उठाना उतना ही मुश्किल इस लिए  इसे इस्तेमाल करने से पहले पुनः  सोच विचार कर ले  | इस का प्रयोग अति  शक्तिशाली है | इस से अपने प्रतिबंधिओ
को अपने अनुकूल कर मन चाहा कार्य संपन करा  सकते है | यह प्रयोग पहली  वार आपके समक्ष  ला रहा हू |

साधना विधि --
१. इसे लाल वस्त्र धारण कर करना चाहिए |
२. आसन कुषा का या कबल का ले सकते है |
३. दिशा उतर रहेगी |
४. मन्त्र जाप पाँच  माला करना है | इस के लिए लाल चन्दन या कुंकुम की माला या काले हकीक  की माला इस्तेमाल कर सकते है |
५ तेल का दीपक साधना काल में जलता रहेगा जब तक आप मन्त्र जाप करते है | दीपक में तिल का तेल इस्तेमाल करे तो जयादा उचित है |
६. सोलह किस्म का सिंगार ले आये उसे वेजोट पे लाल वस्त्र विछा के उस पर रख दे और सात किस्म की मिठाई भी रख दे इस के  इलावा छोटी इलाची और एक शीशी  इतर पास रखे और एक मीठा पान का बीड़ा रख दे |
७. साधना के बाद छोटी इलाची और इतर को छोड़ कर शेष  समग्री किसी निर्जन स्थान  पे उसी लाल वस्त्र में बांध कर  छोड़ दे अथवा नदी में प्रवाहित करदे |
८. वशीकरन के लिए एक इलाची ७ वार यह मन्त्र पढ़  किसी को खिला दे |
९. जब आप किसी अधिकारी से मिलने जा रहे हो जो आपका कार्य नहीं कर रहा तो थोरा इतर लगा के चले जाये वोह आपकी बात जरुर सुनेगा |
१०. इसे २१ दिन करना है और मन शुद रखे |
११. सारी समग्री लाल वस्त्र पे रख के उस में तेल का दिया किसी पात्र में रख कर  लगा दे और मन्त्र जाप शुरू करने से पहले गणेश पूजन गुरु पूजन और श्री भैरव  पूजन अनिवर्य है |
१२. उस दिये  पे एक मिटी के  पात्र पर थोड़ा घी लगा के दिये  से थोड़ा उचा रख सकते है | काजल उतरने के लिए !उस काजल से तीव्र  संमोहन होता है | उसे आँखों में लगा के जिसे भी देखेगे समोहित हो जायेगा !

साधना करते वक़्त ख्याल रखे कई वार मोहिनी भयानक रूप में सामने आ जाती है | जिस के काले वस्त्र होते है और रंग काला होता है | होठो पे ढेर सारी सुर्खी लगी होती है | आंखे बिजली की तरह चमक रही होती है | ऐसी हालत में डरे न नहीं तो मेहनत बेकार हो जाती है | और ना ही उसकी आंखो में देखने का प्रयत्न करे नहीं तो आप समोहित हो जाएगे और साधना रुक जाएगी बहुत धार्य से काम ले जब तक वो वर मांगने को न कहे तब तक बोले न सिर्फ
अपने मंत्र जप पे ध्यान दे | जब आपका बचन हो जाए तो उसे कहे के जब भी मैं आपको याद कर इस मंत्र का जप कर जिसे समोहित करना चाहु कर सकु आप ऐसा वर दे इस से समोहन की शक्ति आपको दे देगी उसे सिंगार मिठाई पान आदि प्रदान करे वोह खुश हो कर आपको सकल स्मोहन का बचन दे देगी अगर ऐसा न भी हो तो भी मंत्र सिद्ध हो जाता है और कार्य करने लगता है | ऐसा सिर्फ इस लिए लिखा है के मेरा ऐसा अनुभव है | जो मैं समझता हु किसी के साथ भी ऐसा
हो सकता है | पर अक्सर मंत्र सिद्ध हो जाता है और कार्य करने लगता है | साधना के बाद आप इसके प्रयोग की पुष्टि कर सकते है | भूल कर भी गलत कार्यओ में इसका इस्तेमाल न करे इस का कई वार विपरीत परिणाम भी भुगतना पै सकता है |

साबर मंत्र
मोहिनी मोहिनी  मैं करा मोहिनी  मेरा नाम |
राजा  मोहा प्रजा  मोहा मोहा शहर ग्राम ||
त्रिंजन बैठी नार मोहा चोंके बैठी को |
स्तर बहतर जिस गली  मैं जावा सौ मित्र सौ वैरी को ||
वाजे मन्त्र फुरे वाचा |
देखा  महा मोहिनी  तेरे इल्म का तमाशा ||

गणेश मोहिनी साधना

मोहिनी साधनए तो बहुत है इन सभी में गणेश मोहिनी साधना श्रेष्ट कही गई है | वैसे तो मोहिनी साधनाये  अपना पूर्ण प्रभाव रखती है | इन में से श्री गोरखनाथ मोहिनी ,शाह हजरत अली की सुलेमानी मोहिनी ,मोहमंद सहब की शाम कोर मोहिनी और पंज पीर मोहिनी प्रयोग वीर हनुमान मोहिनी रतड़ी मोहिनी बीबों मोहनी  साबर साधनायों  में बेमिसाल मानी गई है ! जहां मैं गणेश मोहिनी दे रहा हु यह मेरी अनुभूत साधना है ! ऐसी साधनाए
मिलना भी सोभाग्य माना जाता है |साबर तंत्र , साधना के हर पहलू को उजागर करती है | चाहे वोह  वीर साधना हो जा यक्षणी साधना साबर तंत्र आश्चर्ज से भरा हुया है !साधना तो दे रहा हु पर किसी भी हालत में इसका गलत प्रयोग न करे अथवा परिणाम भी आपको भुगतने पड़ेगे मैं जहां साधको की जिज्ञाशा के लिए यह अनुभूत साधना दे रहा हु कोई भी तर्क कुतर्क माईने नहीं रखता | बहुत ही बेमिसाल साधना है | यह किसी भी असभव  कार्य को सभव
करने का बल रखती है | इसे करने के लिए अनुष्ठान करना पड़ता है यह एक दिन की साधना है और इसे घर में नहीं करना है | घर में करने से फलदायी नहीं होगी यह बात आप याद रखे |

विधि –इस के लिए निम्न वस्तुए 21-21 रुपेए की लेकर मिला ले !
1 –स्लीरा
2-लाल चंदन पाउडर
3-सफ़ेद चंदन पाउडर
4 बादाम
5 शुयायारे
5 गिरि गोला
6 किसमिस
7 सरियाला
8 अगर
9 तगर
और जटा मासी और एक 1.50 किलो हवन स्मगरी आधा किलो तिल काले,
यह समान किसी भी पंसारी की दुकान से आसानी से मिल जाता  है ! अगर कोई चीज न भी मिले तो भी कोई बात नहीं आप हवन में फूल मखाने और कमल  गट्टे  भी मिला सकते है | एक कटोरी शकर और आधा किलो शुद्ध घी मिला कर समग्री तयार कर ले और इस हवन के लिए आम की लकड़ चाहिए अब किसी भी नजदीक जंगल में जा कर रात्री को गणपती का पूजन और उस के बाद 1100 आहुति देनी है | इस मंत्र से ऐसा करने से साधना सिद्ध हो जाती है हवन करते हुए इस बात का ख्याल
रखे के जंगल को आग न लगे इस लिए जा तो निर्जन सथान जा नदी का किनारा भी बेहतर है | रात 9 व्जे के पहचान्त हवन शुरू करे इस में तीन घंटे से ज्यादा  का समय लग जाता है | भोग के लिए पाँच लड्डू रख ले और पुजा के पहचान्त साधना पूर्ण होने के बाद उहने वोही छोड़ दे और घर आ जाए जा जहां आपने स्टे की है वहाँ आ जाए | सिंदूर  की एक डीबी साथ ले जाए और उसे खोल कर पास रख ले जब  साधना पूर्ण  हो जाए तो उसे साथ ले आए इस का तिलक सभी को
समोहित कर  देगा |
जहां एक बात जरूर कहनी चाहुगा कई लोग अपनी अनुकूलता के लिए साधना के नियम बना लेते है जब परिणाम सही नहीं मिलते तो साधना को गलत कह देते है | इस लिए साधना में दिये हुये नियमो की पालना अनिवार्य है !
साधना करने से पूर्व गुरु पूजन कर आज्ञा ले ले और फिर जंगल में जा कर  रात 9 से 1 वजे तक साधना संम्पन कर ले इस में किसी प्रकार  की हानी नहीं होती इस लिए सभी ड़र दिल से निकाल दे !

साबर मंत्र –
ॐ गणपती वीर वसे मसान ,जो मैं मांगु सो तुम आन !
पाँच लड्डू वा सिर संदूर त्रीभुवन  मांगे चंपे के फूल!
अष्ट कुली नाग मोहा जो नाड़ी 72 कोठा मोहु !
इंदर की  बैठी सभा मोहु आवती जावती ईस्त्री मोहु !
जाता जाता पुरुष मोहु ! डावा अंग वसे नर सिंह जीवने क्षेत्र पाला ये!
आवे मारकरनता सो जावी हमारे पाउ पड्न्ता!
गुरु की शक्ति हमारी भगती चलो मंत्र आदेश गुरुका !

महा मोहिनी साधना

हर व्यक्ति चाहता के वोह सभ से सुंदर दिखे और हर लड़की चाहती है के उसे अपूर्व सोंदर्य प्राप्ति हो इस के लिए इंसान चाहे औरत दोनों प्रयत्न शील रहते है !तरह तरह के साधन अपनाते है !सोंदर्य सिर्फ बाहर का नहीं अंतर में भी सोंदर्य हो वाणी में सोंदर्य हो चेहरे पे तेज हो तो वोह हर इंसान को अपने मोह पाश में बांध लेता है ! योगमाया देवी सोंदर्य और आकर्षण की प्रति मूर्ति है !इस से बढ़ कर कोई सुंदर नहीं !

यह किसी भी साधक को सोंदर्य प्रदान कर सकती है इस के लिए यह एक अनुभूत साधना है !इस से व्यक्ति के हर पहलू से सोंदर्य आ जाता है जहां महलाए भी अपने में एक विशेष आकर्षण महसूस करती है !तेज और मादकता उनके चेहरे से छल्क उठती है और वह अपने सोंदर्य में किसी को भी बांधने की शक्ति अर्जित कर लेती है !इस के लिए यह साधना बहुत लाभकारी है !आप भी एक वार इसे संपन कर अपने को विशेष सोंदर्य से श्राभोर करे !

यह आसान साधना है और इसे भी मोहिनी एकादशी को शुरू कर 11 दिन में पूर्ण करना है !इस हिसाब से आप 11 माला हर रोज कर सकते है !कुल मंत्र 7000 जप कर सकते है जा 11 दिन 11 माला कर ले !इस के लिए जो समगरी चाहिए आपके पास चाँदी की जा नवरतनों की माला हो जा सफटिक की माला का प्रयोग कर ले जा नवरंगी माला भी ले सकते है जैसी माला इन में से मिले प्रयोग में ले ले ! दूसरा आपके पास भगवान विष्णु का और योगा माया का चित्र जा मूर्ति हो
!नगेंदर निखिल !
विधि ---
सभ से पहले आप किसी बेजोट पे पे लाल वास्तर विशा कर देवी की और भगवान विष्णु की प्रितमा का स्थापन करे अगर प्रितमा जा विग्रयाह न हो तो तो सुंदर चित्र का स्थापन कर ले !सभ से पहले गुरु पूजन और श्री गणेश पूजन करे सद्गुरु का चित्र भी साथ में स्थापन करे और पूजन के बाद आज्ञा लेकर साधना शुरू करे !

देवी की प्रितमा पे गुलाबी रंग का वस्त्र चढ़ाए और केसर कुंकुम ,धूप दीप पुष्प नवेध के लिए शुद्ध घी की बनी हुई मिठाई आदि का भोग लगाए फल चढ़ाये और एक मीठा पान भी अर्पित करे इस पुजा में केसर और पान विशेष स्थान रखता है इस लिए यह दोनों चीजे खास कर पुजा में समलित करे हर रोज पूजन करना है वस्त्र एक वार चढ़ा सकते है बाकी समान रोज नया ले और पहला समान किसी पात्र में उठा के रख दे !इसके साथ ही भगवान विष्णु की
आराधना करे और चित्र का पूजन करे !

फिर उकत माला से 11 माला निमन मंत्र का जप करे !ऐसा आपको 11 दिन करना है !11 दिन के बाद सारी स्मगरी जो पूजन के वक्त आपने उठा ली थी उसे जल प्रवाह कर दे और चित्र को पुजा स्थान में स्थापन कर दे इस प्रकार यह साधना पूर्ण हो जाती है !इस में आसन पीला और दिशा पच्छिम को मुख रखे !
मंत्र -- ॐ वं वं वं क्रीं आकर्षिणी स्वाहा !!

विश्व मोहिनी साधना

साधना विधि –
एक देवी की प्रितमा(मूर्ति ) स्थापत करे अगर देवी योग माया की मूर्ति न मिले तो दुर्गा की मूर्ति स्थापन कर ले ! फिर उसे सुंगदत द्रव्य से ईशनान कराये और उस पे इत्र और चुनरी चढ़ाए ! 16 प्रकार का सिंगार ले और जहां बेजोटपे लाल वास्तर के उपर देवी की मूर्ति स्थापन करनी है और उसके सहमने बेजोट पे ही 16 सिंगार रख देने है और सात किसम की मिठाई का भोग लगाए और एक तिल की ढेरी पे तिल के तेल का दिया लगा दे जो देवी के
चित्र के ठीक सहमने रखे देवी का पंचो उपचार पूजन करना है फल फूल धूप दीप नवेध अक्षत आदि से लाल रंग के फूल चढ़ाये देवी ! और सहमने ही लाल रंग के आसान पे लाल रंग के वस्त्र पहन कर बैठे दिशा पूर्व की तरफ मुख रखे ! पूजन से पहले गुरु जी और गणेश पूजन कर आज्ञा ले और देवी का पूजन करे फिर सफटिक जा मोती की माला से जप करे !आप एकादशी से शुरू करके 7 दिनो में जप पूर्ण कर सकते है !

साधना के बाद सिंगार का समान जा तो किसी मंदिर में कुश दक्षणा के साथ चढ़ा दे जा किसी कन्या को दे दे अगर संभव न हो तो नदी के पास किनारे पे छोड़ दे !साधना का समय रात को करे 8 से शुरू कर कभी भी कर ले !मंत्र संख्या 9000 हजार है !आप चाहे एक सप्ताह में कर ले जा जैसा आप उचित समझे ! दिन संख्या निर्धारित नहीं है जप 9000 करना है !आप चाहे तो 16 माला रोज कर एक सप्ताह में जप पूर्ण कर सकते है !इस तरीके से भी साधना पूर्ण हो जाती
है !जप मधुरता से ही करे जल्दबाज़ी न करे इसी लिए एक सप्ताह का वक़्त दिया है ! जल्दबाज़ी में कभी धीरे जा तेजी से जाप करना श्रेष्ठ नहीं है क्यू के यह साधना बहुत तीक्ष्ण है ! साधना काल में ब्रह्मचर्य अनिवार्य है !

मंत्र –ॐ ह्रीं सर्व चक्र मोहिनी जाग्रय जाग्रय ॐ हुं स्वाहा !!

कृष्ण समोहन बाण साधना

जहाँ बात समोहन की हो तो श्री कृष्ण जी का चित्रण अपने आप हो जाता है और सिर शरधा से अपने आप झुक  जाता है और जीवन में प्रेम की लहर दौड़ जाती है शरीर में रोमाच  पैदा होने लगता है !हवा से संगीत तरंगे प्रवाहित होने लगती है !सारा वातावर्ण एक महक से भर उठता है !बदलो की गडगडाहट से मेघ  संगीत लहरी वजने लगती है !यह सभी समोहन तो है जो प्रकिरती हमेशा करती है !और आप स्मोहत होते चले जाते है !दृश्य आप को अपनी और
आकर्षित करते है !प्रकिरती का यही गुण अपनाकर साधक शरेष्ट बन जाता है और  प्रकिरती से एकाकार हो जाता है तो जीवन में सुगंध वियाप्त होती ही है !जब तक प्रकिरती तत्व आप में नहीं आता कैसे एक अप्सरा और य्क्ष्नी को बुला पयोगे संभव ही नहीं है !कैसे किनरी को अपने बस में कर पयोगे इस तत्व के बिना नहीं हो सकता क्यों के एक प्रकिरती ही है जो सभ को अपनी और आकर्षित करती है !जहाँ सन्यासी प्रकिरती को पूरी तरह अपना
लेते है !तभी तो शरेष्ट बन पाते है और प्रकिरती उन्हें स्व पालने लगती है !अगर साधक बन कर इस तथ्य को अपनायो गे तो सहज ही समझ जायोगे की प्रकिरती क्या चाहती है आपसे आप त्राटक करते हो जा कोई साधना उस में प्रकिरती को ही निहारते हो उसी प्रकिरती में व्याप्त सुगंध आप की आँखों के रस्ते आप में भी व्याप्त हो जाती है !प्रकिरती को निहारना ही अभियाश है और अपना लेना समोहन और प्रेम का संगीत जा प्रकिरती संगीत
सुनना किरिया है उसे समझ लेना समोहन है !अब सवाल यह है ऐसा क्या करे के प्रकिरती का संगीत समझ य़ा जाये और समोहन की किरिया अपने आप संपन हो जाये जैसे प्रकिरती में स्व ही होती है !उच्च कोटि के फकीरों और संतो में एक कहावत कही जाती है "कुदरत नार फकीरी की "अर्थात कुदरत जा प्रकिरती को अपना लेना ही जीवन की पूर्णता है !और जही श्री कृष्ण जी का दिव्य सन्देश है !क्यों के वोह वार वार कहते है अर्जुन तुम मुझे
पहचानो मैं नदियों में गंगा नदी हू दरखतो में पीपल हू अदि अदि ऐसे बहुत उधारन दे कर अर्जुन को समझाया !क्यों के श्री कृष्ण पूरण समोहन का रूप थे और प्रकिरती को अपना चुके थे तभी जरे जरे में व्याप्त थे !इस लिए कृष्ण नाम से वडा कोई समोहन मंत्र नहीं है !जहाँ एक समोहन बाण साधना दे रहा हू जो गोपनीय तो है ही और अपने आप में पूरण समोहन लिए हुए है मेरी स्व की परखी हुयी है !

साधना विधि ---
१ इसे अष्टमी जा श्री कृष्ण जम्नाष्ट्मीके दिन और बंसंत पंचमी से शुरू किया जा सकता है यह २१ दिन की साधना है !
२ इस में जाप वज्यंती माला से करे !
३ मन्त्र जाप २१ माला करना है !
४ जप के वक़्त सुध घी की ज्योत लगा दे !
५ गुरु पूजन गणेश पूजन और श्री कृष्ण पूजन अनिवार्य है !
६ भोग के लिए दूध का बना परशाद मिश्री में छोटी इलाची मिला के पास रख ले !
७ हो सके तो षोडश परकार से पूजन करे नहीं तो मिलत उपचार जैसा आपको आता है कर ले !
७ वस्त्र पीले और आसन पीला !
८ दिशा उतर रहेगी !
९ साधना के अंत में पलाश की लकड़ी ड़ाल कर उस में घी से दस्मांश हवन करना है !ऐसा करने से साधना सिद्ध हो जाती है और आपकी आँखों में समोहन छा जाता है !
इस का प्रयोग भलाई के कार्यो में लगाये यह अमोघ शक्ति है !

मन्त्र----|| ॐ कलीम कृष्णाय समोहन बाण साध्य हुं फट ||

चेतावनी - यहाँ लिखी गई तंत्र से जुडी सभी साधनाये साधको के ज्ञानवर्धन मात्र के लिए दी गई  है ! यदि कोई साधक कोई भी साधना अथवा प्रयोग करना चाहता है तो गुरु दीक्षा , और गुरु के मारगदर्शन में करे ! बिना गुरु दीक्षा और बिना गुरु आज्ञा भूल कर भी कोई साधना अथवा प्रयोग न करे !

Friday, 2 September 2016

स्फटिक — आर्थिक तंगी का नाश

4….स्फटिक — आर्थिक तंगी का नाश करता है ! यह विभिन्न क्षेत्रों में सफलता दिलाने वाला और विघ्रो को मिटाने वाला होता है !
स्फटिक एक रंगहीन, पारदर्शी, निर्मल और शीत प्रभाव वाला उपरत्न है। इसको कई नामों से जाना जाता है, जैसे- ‘सफ़ेद बिल्लौर’, अंग्रेज़ी में ‘रॉक क्रिस्टल’, संस्कृत में ‘सितोपल’, शिवप्रिय, कांचमणि और फिटक आदि। इसे फिटकरी भी कहा जाता है। सामान्यत: यह काँच जैसा प्रतीत होता है, परंतु यह काँच की अपेक्षा अधिक दीर्घजीवी होता है। कटाई में काँच के मुकाबले इसमें कोण अधिक उभरे होते हैं। इसकी प्रवृत्ति[2] ठंडी होती है। अत: ज्वर, पित्त-विकार, निर्बलता तथा रक्त विकार जैसी व्याधियों में वैद्यजन इसकी भस्मी का प्रयोग करते हैं। स्फटिक को नग के बजाय माला के रूप में पहना जाता है। स्फटिक माला को भगवती लक्ष्मी का रूप माना जाता है।
रासायनिक संरचना
स्फटिक की रासायनिक संरचना सिलिकॉन डाइऑक्साइड है। तमाम क्रिस्टलों में यह सबसे अधिक साफ, पवित्र और ताकतवर है। स्फटिक शुद्ध क्रिस्टल है, या फिर यह भी कहा जा सकता है कि अंग्रेज़ी में शुद्ध क्वार्टज क्रिस्टल का देसी नाम स्फटिक है। ‘प्योर स्नो’ या ‘व्हाइट क्रिस्टल’ भी इसी के नाम हैं। यह सफ़ेदी लिए हुए रंगहीन, पारदर्शी और चमकदार होता है। यह सफ़ेद बिल्लौर अर्थात रॉक क्रिस्टल से हू-ब-हू मिलता है।
विशेषताएँ
स्फटिक की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह पहनने वाले किसी भी पुरुष या स्त्री को एकदम स्वस्थ रखता है। इसके बारे में यह भी माना जाता है कि इसे धारण करने से भूत-प्रेत आदि की बाधा से मुक्त रहा जा सकता है। कई प्रकार के आकार और प्रकारों में स्फटिक मिलता है। इसके मणकों की माला फैशन और हीलिंग पावर्स दोनों के लिहाज से लोकप्रिय है। यह इंद्रधनुष की छटा-सी खिल उठती है। इसे पहनने मात्र से ही शरीर में इलैक्ट्रोकैमिकल संतुलन उभरता है और तनाव-दबाव से मुक्त होकर शांति मिलने लगती है। स्फटिक की माला के मणकों से रोजाना सुबह लक्ष्मी देवी का मंत्र जप करना आर्थिक तंगी का नाश करता है। स्फटिक के शिवलिंग की पूजा-अर्चना से धन-दौलत, खुशहाली और बीमारी आदि से राहत मिलती है तथा सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती हैं।
रुद्राक्ष और मूंगा के साथ पिरोया गया स्फटिक का ब्रेसलेट खूब पहना जाता है। इससे व्यक्ति को डर और भय नहीं लगता। उसकी सोच-समझ में तेजी और विकास होने लगता है। मन इधर-उधर भटकने की स्थिति में, सुख-शांति के लिए स्फटिक पहनने की सलाह दी जती है। कहते हैं कि स्फटिक के शंख से ईश्वर को जल तर्पण करने वाला पुरुष या स्त्री जन्म-मृत्यु के फेर से मुक्त हो जता है।
इसकी प्रवृत्ति [तासीर] ठंडी होती है। अत: ज्वर, पित्त-विकार, निर्बलता तथा रक्त विकार जैसी व्याधियों में वैद्यजन इसकी भस्मी का प्रयोग करते हैं। स्फटिक कंप्यूटर से निकलने वाले ‘बुरे’ रेडिएशन (यानी हानिकारक विकिरण) को अपनी ओर खींचकर सोख लेती है । स्फटिक को नग के बजाय माला के रू प में पहना जाता है। स्फटिक माला को भगवती लक्ष्मी का रू प माना जाता है। अन्य उपयोग इस प्रकार हैं-
लक्ष्मी प्राप्ति के लिए इसे पूजा स्थल में रखें तथा इससे “ú श्री लक्ष्म्यै
स्फटिक को हीरे का उपरत्न कहा जाता है। स्फटिक को कांचमणि, बिल्लोर, बर्फ का पत्थर तथा अंग्रेजी में रॉक क्रिस्टल कहा जाता है। यह एक पारदर्शी रत्न है। इसे स्फटिक मणि भी कहा जाता है। स्फटिक बर्फ के पहाड़ों पर बर्फ के नीचे टुक ड़े के रूप में पाया जाता है। यह बर्फ के समान पारदर्शी और सफेद होता है। यह मणि के समान है। इसलिए स्फटिक के श्रीयंत्र को बहुत पवित्र माना जाता है। यह यंत्र ब्रम्हा, विष्णु, महेश यानि त्रिमूर्ति का स्वरुप माना जाता है।स्फटिक श्रीयंत्र का स्फटिक का बना होने के कारण इस पर जब सफेद प्रकाश पड़ता है तो ये उस प्रकाश को परावर्तित कर इन्द्र धनुष के रंगों के रूप में परावर्तित कर देती है।
यदि आप चाहते है कि आपकी जिन्दगी भी खुशी और सकारात्मक ऊर्जा के रंगों से भर जाए तो घर में स्फटिक श्रीयंत्र स्थापित करें। यह यंत्र घर से हर तरह की नेगेटिव एनर्जी को दूर करता है। घर में पॉजिटिव माहौल को बनाता है। जिस घर में यह यंत्र स्थापित कर दिया जाता है वहां पैसा बरसने लगता है साथ ही जो भी व्यक्ति इसे स्थापित करता है उसके जीवन में नाम पैसा दौलत शोहरत सब कुछ होता है।
स्फटिक की सबसे बड़ी खूबी है कि यह पहनने वाले या वाली को एकदम फिट रखता है और बताते हैं कि इसका साथ भूत-प्रेत बाधा से मुक्त रखता है।
स्फटिक में दिव्य शक्तियां या ईश्वरीय पावर्स मौजूद होती हैं। इस कदर कि स्फटिक में बंद एनर्जी के जरिए आपकी तमन्नाओं को ईश्वर तक खुद-ब-खुद पहुंचाता जता है। फिर यह धारण करने वाले के मनमर्जी मुताबिक काम करता जता है और आपके दिमाग या मन में किसी किस्म के नकारात्मक विचार हरगिज नहीं पनप पाते।
स्फटिक किस्म-किस्म के आकार और प्रकार में आता है। स्फटिक के मणकों की माला फैशन और हीलिंग पावर्स दोनों लिहाज से लोकप्रिय है। यह इंद्रधनुष की छटा-सी खिल उठती है। इसे पहनने भर से शरीर में इलैक्ट्रोकैमिकल संतुलन उभरता है और तनाव-दबाव से मुक्त होकर शांति मिलने लगती है। स्फटिक की माला के मणकों से रोजना सुबह लक्ष्मी देवी का मंत्र जप करना आर्थिक तंगी का नाश करता है। स्फटिक के शिवलिंग की पूज-अर्चना से धन-दौलत, खुशहाली, बीमारी से राहत और पॉजिटिव पावर्स प्राप्त होती हैं।
रुद्राक्ष और मूंगा संग पिरोई स्फटिक का ब्रेसलेट हीलिंग यंत्र के तौर पर खूब पहना जाता है। इससे डर-भय छूमंतर होते देर नहीं लगती। सोच-समझ में तेजी और विकास होने लगता है। मन इधर-उधर भटकने की स्थिति में, सुख-शांति के लिए स्फटिक के पेंडेंट पहनने की सलाह दी जती है और बताते हैं कि स्फटिक के शंख से ईश्वर को जल तर्पण करने वाला या वाली जन्म-मृत्यु के फेर से मुक्त हो जता है। साथ-साथ खुशकिस्मती आपके घर-आंगन में वास करने लगती है।
एक खास बात और है-अगर आपके बेटे या बेटी का पढ़ाई-लिखाई में मन न लगे और एकाग्रता के अभाव के चलते वह पढ़ाई में कमजोर हो तो फौरन स्फटिक का पिरामिड उसके स्टडी टेबल या स्टडी रूम में रखने से उत्तम नतीजे आने लगते हैं। यही नहीं, स्फटिक यंत्र के सहारे तमाम रुकावटें हटती जती हैं। आपको सही समझ-बूझ से नवाजता है स्फटिक।
इसकी रासायनिक संरचना सिलिकॉन
डाइआक्साइड है। तमाम क्रिस्टलों में यह सबसे ज्यादा साफ, पवित्र और ताकतवर है। यह है लिब्रा यानी तुला और टॉरस या कहें वृष राशियों का बर्थ स्टोन, लेकिन इसे हर राशि वाला या वाली पहन या रख सकता या सकती है। कीमत केवल 750 रुपये

Wednesday, 31 August 2016

Dus Mahavidhya Tantrik Sadhak

Dus Mahavidhya Tantrik Sadhak
धन कुबेर साधना 1



धन और सुख की कामना किसे नहीं होती | अगर भाग्य साथ नहीं दे रहा तो मांत्रिक शक्ति का आसरा लेना गलत नहीं है | मेहनत तो करनी ही पड़ेगी चाहे साधना हो या आपके अपने कार्य  क्षेत्र  इस के लिए अपने को मन से तयार करे और प्रसन चित से साधना करे | सच्चे मन से किया कार्य कभी विफल नहीं होता फिर साधना का आधार तो आस्था है | धन की समस्या आ रही है तो इसके लिए कुबेर साधना बहुत लाभकारी है | आज के युग में धन के बिना सभी कार्य अधूरे रहते है | जहां मैं एक कुबेर देवता की साधना दे रहा हु जो की षोडश वर्णीय मंत्र साधना कहलती है | इस के प्रवाभ से धन धन्य की कमी का साहमना कभी नहीं करना पड़ता बस अपने मन को पवित्र करे और साधना करे भगवान आपको जरूर सफलता देंगे |
विधि –
1.  यह साधना किसी भी शुभ महूरत धन तेरस ,दीपावली ,नवरात्रि और किसी भी शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार को शुरू करे |
2.  इस मंत्र का जाप शिव मंदिर में करे जा बिल्ब के पेड़ के नीचे बैठ के भी किया जा सकता है |
3.  मंत्र  जाप सवा लाख करना है | इसके के लिए आप २१ दिन जा अपनी सुविदा अनुसार दिन ले सकते है | जप साक्ष्य रोज उतनी ही रहेगी जितनी पहले दिन की हो |
4.  आसन कुशा का उतम है | न मिले तो कोई भी लाल रंग का आसन ले ले |
5.  दिशा उतर ठीक है |
6.  साधना काल में घी का दीपक जलता रहना चाहिए |
7.  भगवान शंकर का पूजन कर आज्ञा ले और गुरु पूजन व गणेश पूजन कर साधना शुरू करे |
8.  भोग के लिए कोई भी शुद्ध घी की मिठाई ले सकते है | फिर भी दूध से बनी मिठाई उत्म रहती है |
9.  अपने साम्हने कुबेर यंत्र की स्थापना करे अगर आपके पास पारद शिवलिंग घर में है तो उसके पास बैठ कर भी कर सकते है | यंत्र का पूजन पंचौपचार विधि से करे |और प्रार्थना करे के आपके जीवन में धन की कभी कमी न आए और आपके सभी कार्य निरविघ्न संपन होते रहे | फिर आप अपने गुरु मंत्र का २ माला जप कर ले और कुबेर मंत्र का जप अपने दिनो के अनुसार कर ले आप को कुल १२५० मलाए जपना है |
10. साधना पूर्ण होने पे यंत्र को पुजा स्थान में स्थाप्त कर दे और शेष पूजन सामाग्री अगर घर में कर रहे है तो जल प्रवाह करदे अगर मंदिर में कर रहे है तो वोही छोड़ दे |
11. शिव कृपा से आप की साधना सफल हो तो छोटे बच्चो को भोजन जा मिठाई आदि बाँट दे |
 कई वार यह  साधना करते समय बहुत बड़ा काला नाग सामने आ जाता है | जिस से डरे न क्यू के यह कुबेर देव ही होते है |यह सिर्फ मेरा अनुभव है हर साधक को ऐसा हो यह जरूरी नहीं |

 मंत्र  -

|| ॐ श्रीं ॐ ह्रीं श्रीं कलीं श्रीं कलीं ॐ वितेश्वराय नमः ||

धन कुबेर साधना 2



यह कुबेर का रूप सर्व मंगल स्वरूपी है | धन आदि जीवन में प्राप्त होता रहे और सभी कार्य नियमत रूप से चलते रहे भाग्य साथ दे और हम  जो भी कार्य करे उसका हुमे पूरा फल मिले इस लिए इन की साधना की जाती है |
लाल वस्त्र पे कुबेर यंत्र का स्थापन करे | लाल पुष्प लेकर मंत्र पढ़ते हुये धन कुबेर की स्थापना यंत्र पे करे |
|| ॐ हसौं धन कुबेराये एहः आगच्छ तिष्ठ तिष्ठ स्वाहा ||
1.  दिन मंगल वार श्रेष्ठ है |
2.  वस्त्र और आसन लाल ठीक है |
3.  दिशा पूर्व की और मुख रखे |
4.  माला रुद्राक्ष  की ले और 7 ,11 जा 21 माला जप करे |
5.  यंत्र का पचौपचार पूजन करे धूप दीप आदि से |
6.  भोग खीर का लगाये यंत्र के पास ही एक पात्र में खीर का भोग रखे भोग खीर मेवे आदि का भोग लगाये |
7.  साधना टाइम शाम 7 से रात्री 10 व्जे के बीच कभी भी करे |
8.  जप पूर्ण होने पे लाल पुष्प कुंकुम मिश्र्त अक्षत आदि चढ़ाये और आरती करे कुश दिन तक मानसिक जप करते रहे भोग स्व ग्रहण करे और परिवार में बाँट दे साधना पूर्ण होने पे यंत्र और माल को पुजा स्थान में स्थाप्त कर दे बाकी शेष समगरी को उसी वस्त्र में बांध कर जल प्रवाह कर दे |


मंत्र --       || ॐ हसौं धन कुबेराये हुं ||

अमृत कुबेर साधना

अमृत कुबेर की साधना स्वास्थ लाभ रोग अति आदि की समाप्ती के लिए की जाती है | क्यू के स्वास्थ ही सभ से बड़ी पूंजी होती है | मानसिक रोग को समाप्त करने और स्मस्थ रोगो का नाश करते है |

नीले रंग का वस्त्र बेजोट पे विशाए और उस पे कुबेर यंत्र स्थापत करे |
|| ॐ हसौं अमृत कुबेराये एहः आगच्छ तिष्ठ तिष्ठ स्वाहा ||
1.  नीले रंग का वस्त्र विशा कर नीले रंग के आसन पे बैठ कर जप करे |
2.  दिन शुक्रवार ठीक है |
3.  दिशा पच्छिम  की और मुख रखे |
4.  यंत्र के पास ही एक पात्र में दही भी स्थापत करे |
5.  माला मोती की लेनी है |
6.  7 ,11 जा 21 माला जप करना है |
7.  मिठाई लड्डू बर्फी आदि का भोग लगाये | भोग स्व ग्रहण करे और परिवार आदि में बाँट दे | दही छत पे पंक्षियों को रख दे |
8.  जप पूरा होने पर कमल का पुष्प अथवा लाल फूल अक्षत आदि अर्पित करे | साधना समाप्ती पे यंत्र और माला को छोड़ कर शेष स्मगरी उसी वस्त्र में बांध कर जल प्रवाह करदे दही पक्षियो को डाल दे | साधना के बाद कुश दिन तक मानसिक जप करते रहे|

मंत्र --|| ॐ हसौं अमृत कुबेराये हुं ||

प्राण कुबेर साधना



प्राण कुबेर की साधना ऋण से मुक्ति के लिए की जाती है | धन तो आता है पर कर्ज से मुक्ति न मिल रही हो तो यह साधना बहुत लाभकारी है |
पीले वस्त्र पे कुबेर यंत्र स्थाप्त करे और कुबेर की स्थापना करे एक पीला पुष्प लेकर मंत्र पढ़ते हुये चढ़ाये |
|| ॐ हसौं प्राण कुबेराये एहः आगच्छ तिष्ठ तिष्ठ स्वाहा ||
1.  सोम वार  के दिन यह साधना करनी है |
2.  वस्त्र एवं आसन पीला रहेगा |
3.  यंत्र का पचौपचार पूजन करे | यंत्र के साथ ही शहत स्थापित करे और अर्पित करे |
4.  दिशा उतर ठीक है |
5.  पीले तथा लाल मिश्र्त पुष्प अर्पित करे |
6.  चन्दन की माला से 7,11,21 माला जप करे |
7.  फलो का प्रसाद चढ़ाए |
8.  जप समाप्ती पे फलो का प्रसाद अर्पित करे और लाल और पीले पुष्प चढ़ाए कुश दिन तक मानसिक जप करते रहे | साधना पूरी होने पे यंत्र और माला छोड़ कर बाकी समगरी जल प्रवाह कर दे |
मंत्र
|| ॐ हसौं प्राण कुबेराये हुं ||



अघोर आकस्मिक धन प्राप्ति प्रयोग





धर्म अर्थ काम और मोक्ष जीवन के चार मुख्य स्तंभ है. इन सभी पक्षों मे व्यक्ति पूर्णता प्राप्त करे यही उद्देश्यसाधना जगत का भी है. इसी लिए व्यक्ति के गृहस्थ और आध्यात्मिक दोनों पक्ष के सबंध मे साधनाओ का अस्तित्वबराबर रहा है. हमारे ऋषि मुनि जहा एक और आध्याम मे पूर्णता प्राप्त थे वही भौतिक पक्ष मे भी वह पूर्ण रूप सेसक्षम थे. साधना के सभी मार्गो मे इन मुख्य स्तंभों के अनुरूप साधनाऐ विद्यमान है ही. इस प्रकार अघोर साधनाओमे भी गृहस्थ समस्याओ सबंधित निराकरण को प्राप्त करने के लिए कई साधना विद्यमान है. इन साधनाओ काप्रभाव अत्यधिक तीक्ष्ण होता है, तथा व्यक्ति को अल्प काल मे ही साधना का परिणाम तीव्र ही मिल जाता है. धन कानिरंतर प्रवाह आज के युग मे ज़रुरी है. साधक के लिए यह एक नितांत सत्य है की सभी पक्षों मे पूर्णता प्राप्त करनीचाहिए. जब तक व्यक्ति भोग को नहीं जानेगा तब तक वह मोक्ष को भी केसे जान पाएगा. इस मुख्य चिंतन के साथहर एक प्रकार की साधना का अपना ही एक अलग स्थान है. व्यक्ति चाहे कितना भी परिश्रम करे लेकिन भाग्य साथना दे तो सफलता मिलना सहज नहीं है. ऐसे समय पर व्यक्ति को साधनाओ का सहारा लेना चाहिए तथा अपने कार्योंकी सिद्धि के लिए देवत्व का सहारा लेना चाहिए. पूर्णता प्राप्त करना हमारा हक़ है और साधनाओ के माध्यम से यहसंभव है. किसी भी कार्य के लिए व्यक्ति को आज के युग मे पग पग पर धन की आवश्यकता होती है. हर व्यक्ति कासपना होता हे की वह श्रीसम्प्पन हो. लक्ष्मी से सबंधित कई प्रयोग अघोर मार्ग मे निहित है लेकिन जब बात तीव्र धनप्राप्ति की हो तो अघोर मार्ग की साधनाए लाजवाब है. अघोरियो के प्रयोग अत्यधिक त्वरित गति से कार्य करते हैतथा इच्छापूर्ति करते है. आकस्मिक रूप से धन की प्राप्ति करने के लिए जो विधान है उसके माध्यम से व्यक्ति कोकिसी न किसी रूप मे धन की प्राप्ति होती है तथा त्वरित गति से होती है. इस महत्वपूर्ण और गुप्त विधान को साधकसम्प्पन करे तब चाहे कितने भी भाग्य रूठे हुए हो या फिर परिश्रम सार्थक नहीं हो रहे हो, व्यक्ति को निश्चित रूप सेधन की प्राप्ति होती ही है.
साधक अष्टमी या अमावस्या की रात्रि को स्मशान मे जाए तथा तेल का दीपक लगाये. अपने सामने लाल वस्त्र बिछाकर ५ सफ़ेद हकीक पत्थर रखे तथा उस पर कुंकुम की बिंदी लगाये. साधक के वस्त्र लाल रहे. तथा दिशा उत्तर या पूर्व.उसके बाद साधक सफ़ेद हकीक माला से निम्न मंत्र की २१ माला जाप करे.
ॐ शीघ्र सर्व लक्ष्मी वश्यमे अघोरेश्वराय फट
साधक को यह क्रम ५ दिन तक करना चाहिए. ५ वे दिन उन हकिक पथ्थरो को उसी लाल कपडे मे पोटली बना करअपनी तिजोरी या धन रखने के स्थान मे रख दे.

अग्नि बांधने और खोलने का अढाईआ मन्त्र



ये मन्त्र भी अपने आप में बहुत तीव्रता रखता है इस का लाभ जहा आग लगी हो उसे बांध देने से वोह बुझ जाती है और फैलने से रुक जाती है इसे कभी दुरूपयोग ना करे | इसका उत्कीलन भी साथ ही दे रहा हू मतलव बांधने और खोलने का भी सिद्ध करे इस की भी जरूरत होती है जब अग्नि पूरी तरह शांत हो जाये तो उसे खोल सकते है |

साधना विधि --
इसको पानी के किनारे बैठ कर करना है | किसी भी नदी अदि पे जाकर कर सकते हैं | जब जप पूरा हो जाये तो उठते वक़्त २ लडू नदी में ड़ाल देने है | दोनों मंत्रो में विधि एक जैसी ही है |
जप २१ माला करना है माला कोई भी ले सकते है फिर भी हकीक की जा मुंगे की ठीक रहती है | २१ दिन की साधना है |
वस्त्र कोई भी पहन सकते हो |


साबर मन्त्र अग्नि बांधने का --
ॐ नमो गुरु को आदेश
जलती बांधू बलती बांधू ,बांधू अगन स्वाई |
हनुमान का अर्का बांधू राम चन्द्र की दुहाई ||

अग्नि खोलने का मन्त्र ---
ॐ नमो गुरुको आदेश
जलती खोलू बलती खोलू ,खोलू अगन स्वाई  |
हनुमान का अर्का खोलू राम चन्द्र की दुहाई ||
बस आज के लिए इतना ही जय गुरुदेव |
प्रयोग विधि --
जहां आग लगी हो कोई भी कंकर उठा कर 21 वार मंत्र पढे और कंकर पे फूक दे | उस कंकर को जल्ती अग्नि में फेक देने से अग्नि बुझ जाती है | इसका दूसरा तरीका यह है के एक लोटा जल ले और उस पे 21 वार मंत्र पढे और अग्नि की तरफ मुख कर वहा दे |इस से भी अग्नि शांत हो जाती है | अग्नि खोलने के लिए कंकर पे 7 वार जा 21 वार मंत्र पढ़ कर दुयारा फेक दे इस से अग्नि खुल जाती है और उसके बाद दलिया बना कर किसी नदी आदि पे दे जा बच्चो को बाँट दे दलिया देते वक़्त किसी पात्र में एक सुलगता हुया उपला रखे और उस पे थोरा घी डाल कर पाँच वार दलिया डाले थोरा थोरा और धूप आदि लगा कर वरुण देव को नमस्कार करे | और अग्नि देव से क्षमा प्रार्थना करे और अशिरबाद ले |



धनदा यक्षिणी साधना



यक्षिणी साधना जहां धन देती है वही आपकी कामना पूर्ति भी करती है | जीवन में आ रही प्रेशनियों को सहज समझ कर उनका निवारण करने का गुण प्रदान करती है | एक सच्चे मित्र की तरह साथ देती हुई साधक का हर प्रकार से मंगल करती है | यक्षिणीये माता की सहचरिए होती है और साधक की साधना में निखार ला देती है | सही मैयने में देखा जाए तो यक्षिणी साधना जीवन में बसंत ऋतु के समान है | जब साधक निरंतर साधना करते हुए ऊर्जा को सहन करते करते मन से कुश तपस के कारण ऊब सा जाता है या  यह कहू के तेज को सहन करने की वजह से कई वार मन की स्थिति ऐसी हो जाती है के उसके लिए जीवन में मन में एक विराग पैदा होने से उदासी सी आ जाती है | ऐसे वक़्त में यक्षिणी उसे नई उमंग देते हुए मन को आनंद से भर देती है | उसके जीवन में वर्षा की फुयार की तरह कार्य करती है | जब साधक आनंद से सराबोर होता है तो साधना करने की ललक उसे जीवन में और शक्ति अर्जित करने को प्रेरत करती है |  यह साधक के जीवन में प्रेम को समझने का गुण पैदा करती है | उसके जीवन को धन धन्य आदि सुख प्रदान करती है | धनदा यक्षिणी की साधना मंत्र शाश्तरों में नाना प्रकार से दी हुई है | जीवन में सवर्ण क्षण होते है जब साधक किसी यक्षिणी का सहचर्या प्राप्त करता है | यक्षिणी साधना दुर्लव है पर दुष्कर नहीं यह सहज ही संपन हो जाती है बस इसे समझने की जरूरत है |जो साधक जीवन में धन आदि सुख चाहते है उन्हे यह साधना संपन करनी चाहिए और यह साधना साधक के मन में साधना के प्रति प्रेरणा पैदा करती है |                      
जहां मैं धनदा यक्षिणी की साधना दे रहा हु आशा करता हु यह साधना आपके जीवन को जरूर नई दिशा देगी इस के लिए साधना के नियमो की पालना करनी अनिवर्य है | यक्षिणी रूप सोंद्र्य से परिपूर्ण होती है यह साधक का काया कल्प तक कर देती है | धनदा यक्षिणी 20 -22 वर्ष की सोंद्र्य की मूर्ति है |इसकी आंखे झील सी गहराई लिए हुई नीली दिखाई देती है | गोर वरणीय मुख के दोनों तरफ दो वालों की वल खाती दो लटाए और लंबी वेणी वालो पे कजरा सा लगाए सुंदर रूप चंद्रमा जैसा जिस सोंद्र्य की आप कल्पना भी नहीं कर सकते उसके वारे अधिक कुश नहीं कह सकता और प्रेम से मन को प्रफुल्त सी करती हुई जब आपके साहमने आती है तो उस वक़्त कैसा मंजर होता है यह आप स्व कर के देख ले | मेरा इस यक्षिणी ने कई वार साथ दिया जब भी जीवन में उदासीन क्षण आए इसने मुझे सँभाला और हमेशा मित्रवत विहार किया जब भी मुझे इसकी सलाह की जरूरत पड़ी एक सच्चे मित्र की तरह मुझे सलाह दी और कई वार ऐसे क्षण आए जब मैंने अपने आपको अकेला सा महसूस किया लेकिन इसने मुझे कभी अकेले पन का एहसास नहीं होने दिया जब भी ऐसा टाइम आया इसको मैंने मेरे कंदे पर अपनी बाजू रखते हुए अपने साथ खड़ी पाया |मैंने कभी इस से धन की लालसा नहीं की लेकिन मेरा कोई कार्य रुका भी नहीं बहुत समय हो गया इस साधना को किए हुये | कुश वर्षो से बेशक मैंने इसे याद नहीं किया फिर भी कभी कभी यह खुद मुझे याद दिला ही देती है | कई वार ऐसे क्षण आए जब यह स्व आके मिली एक दोस्त की तरह | यह बाते हर एक को नहीं बिताई जाती क्यू के यह साधना के निजी अनुभव होते है | जब मैंने यह साधना की थी तो धनदा यक्षिणी स्तोत्र जरूर करता था साथ में | तभी एक दिन एक सोंद्र्य की मूर्ति मेरे साहमने अचानक आ गई और जिसे देखते ही आदमी अपने होश तक खो देता है पर मैंने हमेशा इन शक्तिओ से मित्रवत ही रहा हु और  शुद्ध प्रेम पूर्ण ही रहा हु | बस अंत जही कहुगा का के जीवन में अगर प्रेम की परिभाषा अगर समझनी है तो आप यक्षिणी का सहचर्या प्राप्त करे | सद्गुरु आपको सफलता प्रदान करे |

विधि –

  १. यह साधना 21 दिन की है | 21 दिन में स्वा लाख मंत्र जप जरूरी है |
  २. इसके लिए दो सामग्री  यक्षिणी  यंत्र और यक्षिणी माला आप गुरुधाम  से प्राप्त कर सकते है | अगर सामग्री न हो तो इसे करने के लिए एक लाल वस्त्र पे यक्षिणी की नारी रूप की सुंदर तस्वीर बना कर अथवा मूर्ति आदि बना कर भी की जा सकती है यह साधको को सुविदा के लिए बता रहा हु जा आप सफटिक या  पारद  श्री यंत्र पे भी इसका प्रयोग कर सकते हैं | माला अगर यक्षिणी माला न हो तो लाल चन्दन की माला श्रेष्ठ रहती है |
  ३. वस्त्र पीले अनसिले पहने  मतलव आप पीली धोती और पीतांबर ले सकते है |
  ४. दिशा उतर ठीक है |
  ५. मंत्र जप २१ दिन में स्वा लाख करना है |
  ६. गुरु जी और गणेश जी का पंचौपचार पूजन करे साधना के लिए अनुमति ले फिर यक्षिणी यंत्र जो के अपने साहमने एक बेजोट पे पीला जा लाल वस्त्र विशा के स्थाप्त करना है उसका पूजन करे | पूजन में धूप, दीप , फल, फूल, अक्षत, नवेद आदि के लिए मिठाई जो दूध की बनी हो और इतर आदि चढ़ा कर पुजा करे |
  ७. पूजन के बाद आप गुरु मंत्र जाप ५ माला कर ले तो बेहतर है नहीं तो २ माला  पहले और २ माला बाद में कर ले |
  ८. घी का दीपक पुजा काल के दोरान जलता रहे | सुगंध आदि के लिए अगरवती आदि लगा दे |फिर आप मंत्र जाप करे और जप पूर्ण होने पर जप समर्पित सद्गुरु जी अथवा यक्षिणी यंत्र पे भी कर सकते है |
  ९. साधना शुरू करने से पहले कुबेर देवता का पूजन अवश्य करे इस से साधना में सफलता की सभावना बढ़ जाती है |

मंत्र –

|| ॐ धं ह्रीं श्रीं रतिप्रिये स्वाहा ||

यह नौ अक्षर का मंत्र है इसका स्वा लाख जप करने से साधक को शीर्घ ही सिद्धि प्राप्त होती है |इस यक्षिणी विशेष मंत्र की आराधना से घर की दरिद्रता दूर हो जाती है |

सर्व फल प्रदायनी सिद्धि यक्षिणी



यह साधना शिव तंत्र नाम की पुस्तक से मुझे प्राप्त हुई थी जिसे मैंने आजमा के देखा है। इस का काफी प्रभाव अनुभूत किया यह साधक के मन में उठने वाली इच्छाओं के जाल को भेद देती है | विभिन्न प्रकार की कामनाओं को पूर्ण कर देती है | साधक की इच्छा से उसे कोई भी वस्तु प्रदान कर देती है | जैसे दुर्लभ जड़ी-बूटी, पुष्प, तांत्रिक वस्तुए और कई प्रकार की दुर्लभ कही जाने वाली समग्री की प्राप्ति का जरिया बना देती है | बस इस साधना में धैर्य की जरूरत होती है साथ ही साथ एक योग्य मार्गदर्शक की भी| इस साधना के प्रभाव से मैंने समस्त प्रकार के बांधे हांसिल किए ऐसी दुर्लव जड़ी बूटी भी हासल की जिस को हाथ में बांध कर साधना करने से तत्काल सिद्धि मिल जाती है देव प्रत्यक्षीकरण हो जाता है यह दुर्लभ वस्तुओँ का उल्लेख करना ठीक नहीं रहेगा इस लिए सीधे साधना पर आते है |                      

विधि –
 इस साधना को एकांत में करना है इस लिए ऐसी जगह चुने जहां कोई आता जाता न हो आप अपने घर में ऐसे कमरे का चयन भी कर सकते है जिस में आपके सिवाय कोई और न जाए |
इस साधना में वस्त्र बिना सिलाई वाले जैसे लाल धोती कंबल आदि धारण किया जा सकता है औरते साड़ी पहन सकती है |
 साधना के समय दीप तेल का जलता रहेगा | धूप गूगल का इस्तेमाल करे |
दिशा उत्तर दिशा की और मुख करे | माला लाल चन्दन की लेनी है |
जहां तक हो सके एक समय भोजन करे |हाँ फल कभी भी लिए जा सकते हैं |
बेजोट पे लाल वस्त्र बिछा दे उस पे एक दूसरे को काटते हुए त्रिकोण बनाए जिसे मैथुन चक्र भी कहते है | यह लाल चन्दन यां कुंकुम से बनाए | उस के बीच एक सुपारी रख से उसके दायी और एक अन्य सुपारी मौली बांध कर रखे जिस पर गणेश जी का पूजन करना है | उस सुपारी का पूजन पंचौपचार से करे गुडहल का लाल रंग  का पुष्प अर्पित करे |
 साधना प्रारंभ होने से पूर्ण होने तक भूमि शयन और ब्रह्मचर्य जरूरी है |
प्रतिदिन मेवा, मिठाई, पान इत्यादि का भोग लगाना आवश्यक है | भोजन ग्रहण करने से पूर्व देवी के लिए भोग पहले निकाल कर रखे उसका भोग लगा कर स्वयं खाये देवी का भोग लगाया हुया भोजन किसी बट वृक्ष के नीचे रख आए साथ में किसी मिट्टी के बर्तन में जल भी साथ रखे और बिना पीछे देखे वापिस आए अगर पीछे से कोई आवाज पड़े तो पीछे मूड कर न देखे यह कर्म तब तक चलेगा जब तक साधना पूर्ण न हो |
कुल सवा लाख मन्त्रों का जप करना है। प्रतिदिन 51 माला  जप अनिवार्य है |
यूं तो मैंने सभी नियम बता दिये है फिर भी कोई कमी लगे तो मुझ से बात कर ले मुझे खुशी होगी आपका मार्गदर्शन करके |

-साबर मंत्र –

|| ॐ श्री काक कमल वर्धने सर्व कार्य सरवाथान देही देही सर्व सिद्धि पादुकाया हं क्षं श्री द्वादशान दायिने सर्व सिद्धि प्रदाया स्वाहा ||


इस मंत्र का सवा लाख जप करे और अंत में गेहूं और चने मिला कर दसवां हिस्सा हवन करे मतलव 12500 मंत्रो से हवन करे | घी में गेहूं और चने मिला ले हवन के लिए | हवन की रात्री साधना कक्ष में ही सोये देवी प्रसन्न होकर वरदान मांगने को कहे तो आप अपनी इच्छा से वर मांग ले | इस प्रकार साधना सिद्ध हो जाती है और साधक की हर कामना पूर्ण होती है | साधना समाप्ती के बाद समस्त पूजन की हुई सामग्री बेजोट पर बिछे वस्त्र में बांध कर जल में प्रवाहित कर दें अथवा किसी निर्जन स्थान पे छोड़ दे |



चेतावनी - यहाँ लिखी गई तंत्र से जुडी सभी साधनाये साधको के ज्ञानवर्धन मात्र के लिए दी गई  है ! यदि कोई साधक कोई भी साधना अथवा प्रयोग करना चाहता है तो गुरु दीक्षा , और गुरु के मारगदर्शन में करे ! बिना गुरु दीक्षा और बिना गुरु आज्ञा भूल कर भी कोई साधना अथवा प्रयोग न करे !

Monday, 29 August 2016

आप किसी भी सामूहिक स्थान पर मीटिंग या भाषण के लिए जा रहे है तो आपको गुंजा(gunja ) की माला धारण करनी चाहिए यह दूसरों पर अच्छा प्रभाव डालता है-
बार -बार आप किसी की नजर लगने के शिकार होते है तो चिन्ता की बात नहीं बुरी नजर से बचाने के लिए गुंजा का ब्रेसलेट(Bracelet ) धारण करना चाहिए ये आपको बुरी नजर से बचाएगा -
यदि आप किसी व्यक्ति को वशीभूत करना चाह रहे है तो उसके कपड़ों में गुंजा के दाने अभिमंत्रित करके रख दें जब तक वे दाने उस व्यक्ति के कपड़े से बंधे रहेंगे वह वशीकरण के प्रभाव में रहेगा -अभिमंत्रित मन्त्र यहाँ सुरक्षा की द्रष्टि से नहीं लिख रहा हूँ क्युकि लोग इसका दुरूपयोग न करे-इसका प्रयोग दिवाली,ग्रहण,होली, पूर्णिमा और आमवस्या के दिन ही करा जाना सबसे उत्तम प्रभाव देता है-
आप यदि गुंजा की माला धारण करते है तो आप सामूहिक सम्मोहन भी कर सकते है -
इसके उपयोग की इक्षा रखने वाले का सकारात्मक पहलू हो किसी के अनिष्ट की आकांक्षा रखने पर ये प्रयोग असफल ही रहता है-

Friday, 26 August 2016

रुद्राक्ष ब्रेसलेट, Vashikaran Mantra

रुद्राक्ष ब्रेसलेट दिया जा रहा है। जो पाठकों को काफी प्रिय है। रुद्राक्ष शिव को परम प्रिय है। इसमें स्वयं शिव निवास करते हैं। वैज्ञानिक तौर पर रुद्राक्ष में चुंबकीय, विद्युतीय एवं आकर्षण शक्तियां पायी जाती हैं। इसके स्पर्श एवं उपयोग से अनेक पापों से छुटकारा मिलता है। इससे दीर्घायु एवं स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। रुद्राक्ष के उपयोग से स्नायु रोग, स्त्रियों के रोग, गले के रोग, रक्तचाप, मिरगी, दमा, नेत्र रोग, सिर दर्द आदि कई बीमारियों में लाभ होता है। श्रद्धा-भक्ति से धारण किया गया रुद्राक्ष संपूर्ण कामनाओं को सिद्ध करता है। जिस प्रकार सीढ़ी के बिना ऊपर चढ़ना असंभव होता है; उसी प्रकार माला के बिना मंत्र जप का पूर्ण फल नहीं मिल पाता है। उपयोग विधि श्राद्ध, होलाष्टक, सूतक आदि के माह को छोड़ कर अन्य किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के प्रथम सप्ताह के सोम, बुध, गुरु, शनिवार आदि किसी भी वार को, सूर्याेदय के समय, स्नानादि कर के प्र्रस्तुत ब्रेसलेट को पंचामृत, गंगा जल अथवा कच्चे दूध में धो कर, स्वच्छ बर्तन में पुष्पों के आसन पर रख कर, श्रद्धा- विश्वासपूर्वक, ‘ú नमः शिवाय’ का यथाशक्ति उच्चारण तथा धूप, दीप, नैवेद्य आदि समर्पण कर के उपयोग किया जा सकता है। उपयोग से लाभ Û किसी भी असाध्य बीमारी में लाभ पाने के लिए निरंतर हाथ में धारण करें। Û पुत्रादि प्राप्ति एवं उनके सुख के लिए इसे पूजा स्थल में स्थापित कर के, शिव समान पूजा-आराधना करने से लाभ होता है। Û स्थिरता, निर्भयता, क्षमाशीलता की प्राप्ति तथा अहंकार आदि के शमन के लिए इस ब्रेसलेट को शिव मंदिर में सोमवार की सुबह शिवभक्त को दान करना चाहिए। Û रक्त, मानसिक एवं दिल के दौरे की बीमारियों में लाभ पाने के लिए ब्रेसलेट को शिव लिंग पर रख कर अभिषेक कर के धारण करने से लाभ होता है। Û यह ब्रेसलेट शनि की खराब साढ़े साती, ढैय्या एवं टोना, टोटका आदि के बुरे प्रभाव से रक्षा करता है। Û छोटे कार्यकर्ता, मिल मजदूर एवं रोगी को यह ब्रेसलेट अति शीघ्र लाभ देता है। Û विद्यार्थी अथवा बौद्धिक कार्यों से संबंधित जातक को धारण कर के सरस्वती का स्मरण, चिंतन करना लाभकारी होगा। Û रक्तचाप की बीमारी में लाभ पाने के लिए इसे निरंतर धारण करना चाहिए। शुद्धता एवं सावधानी ब्रेसलेट की शुद्धता दीर्घ समय तक बनी रहे, इसके लिए धारक रात को सोते समय ब्रेसलेट को उतार दें तथा किसी शुद्ध स्थान पर रखें। सुबह उठ कर ब्रेसलेट को नमन कर के पुनः धारण करना चाहिए। शुद्ध ब्रेसलेट को धारण कर के मृतक शरीर के पास, प्रसूति गृह आदि में नहीं जाना चाहिए। भूल से, या अन्य किसी कारण से ब्रेसलेट अशुद्ध हो जाने पर पुनः उसे श्रद्धापूर्वक गंगाजल एवं कच्चे दूध में धो कर, सामान्य पूजन कर के उपयोग करें। मंत्र: ¬ नमः शिवाय

Thursday, 25 August 2016

Sphatik ke fayde

आपको कई विद्वान और पड़े पंडित मिल जायेंगे जो की स्फटिक के कई लाभ के बारे में बतला सकते है | परन्तु आपको कही भी जाने की जरुरत नहीं है क्योंकि मैंने Sphatik ke fayde और इससे होने वाले benefits के बारे में विस्तार से बतलाया है:
Sphatik माला व्यक्ति के शरीर की गर्मी को नीचे लाता है।
Monday के दिन sphatik माला धारण करने से इंसान के मन में शान्ती बना रहता हैं और सिर दर्द भी नहीं होता।
स्फटिक माला इंसान को सभी तरह के डर और क्रोध से मुक्त करता है।
Sphatik माला इंसान को गलत चीजों से बचाता है।
ज्यादा fever होने पर sphatik माला को पानी से धोकर कुछ देर तक नाभि के उपर रखने से fever कम हो जाता है।
स्फटिक माला या फिर इसका रत्न को भी अपनी तिजोरी(Vault) में रखने से Business में benefits मिलता हैं।
अगर बच्चो का पढ़ाई-लिखाई में मन नहीं लगता हो और वे अपना mind पढ़ाई में concentrate ना कर पा रहें हो तो उनके study table या study room में sphatik का Pyramid रख देना चाहिए इससे उत्तम नतीजे दिखने लगेंगे ।
जो कोई भी sphatik की माला धारण करता है उसे अपने दुश्मनो का डर नहीं रहता है।
ज्योतिष का मनना है की अगर sphatik माला को पूरे विधि-विधान के साथ और पूरे श्रद्धा के साथ धारण किया जाये तो इंसान को सभी काम में सफलता मिलने लगती है और उनके सभी समस्याओं का अंत भी होने लगता है।
स्फटिक माला से सरस्वती मंत्र का Chanting करने पर जल्द हीं success होता हे

Wednesday, 24 August 2016

काला जादू ख़त्म करता है और बुरी नज़र से बचाव करता है सुलेमानी हकीक

1. काला जादू ख़त्म करता है और बुरी नज़र से बचाव
करता है |
2 .नौकरी और व्यवसाय में आ रही अड़चनो को दूर करता
है ।
3 . सुलेमानी हकीक को धारण करने के बाद लोग आपकी
तरफ आकर्षित होने लगते है और आपको महत्त्व देने लगते
है ।
4 . सुलेमानी हकीक एक ऐसा चमत्कारी पत्थर है जो
आपको लोगो की बुरी नजर से बचा कर रखता है ।
5. आपका व्यवसाय काला जादू या टोना - टोटका की
वजह से मंदा चल रहा है तो सुलेमानी हकीक पत्थर
उसका काट कर देता है और व्यवसाय में बढ़ोतरी होती
है
6 . अगर घर में बरकत नही होती है तो बरकत होने लगती है |
7 . अगर आपके शत्रु ज़्यादा है या आपका शत्रु आपको
परेशान करता है या आप पर जादू टोना करवाता है तो
आपका उसके किए हुए जादू टोना से बचाव करता है
और आपके शत्रु को परास्त करता है | आपका शत्रु आपके
सामने शक्तिहीन हो जाता है |
8. अगर आपकी सेहत सही नही रहती है आप बार बार
बीमार होते है तो आपको सुलेमानी हकीक धारण
करना चाहिए उस से आपकी सेहत में काफ़ी अच्छा
सुधार होगा
9. सुलेमानी हकीक राहु, केतु और शनि द्वारा आ रही
बाधाओ को दूर करता है और व्यक्ति को सफलता
मिलने लगती है |
10. आपको सुलेमानी हकीक शनिवार को धारण करना है
व मध्यमा उंगली (middle finger) में धारण करना है व
चाँदी की अंगूठी में धारण करना है व सीधे हाथ में
करना है |
अगर आप उंगली में धारण नही करना चाहते है तो चाँदी
के लॉकेट में भी गले में धारण कर सकते है शनिवार के
दिन |
सुलेमानी हकीक को कोई भी व्यक्ति
धारण कर सकता है
आपको सुलेमानी हकीक कोरियर सर्विस या स्पीड पोस्ट से भेजा जायगा और ट्रॅकिंग नंबर दिया जायगा |
सवाल और उनके जवाब :-
सवाल: सुलेमानी हकीक को कैसे धारण करें ?
जवाब: आपको सुलेमानी हकीक शनिवार को चाँदी की अंगूठी में बनवा के सीधे हाथ की मध्यमा उंगली (middle finger) में धारण करना है |
सवाल: सुलेमानी हकीक कैसे मिलेगा ?
जवाब: आपको अपने घर का पता देना है और आपके घर के पते पर सुलेमानी हकीक कौरीयर सर्विस या स्पीड पोस्ट ( डाक ) से भेजा जायगा और ट्रॅकिंग नंबर और रसीद दी जाएगी | आपको यह 5-6 दिन में मिल जाएगा ।
सवाल: क्या सुलेमानी हकीक को कोई भी राशि या लग्न वाला व्यक्ति धारण कर सकता है ?
जवाब : हाँ ।
सवाल : क्या सुलेमानी हकीक मिलने के बाद पेमेंट कर सकते है ?
जवाब : जी नहीं (COD) यह सुविधा उपलब्ध नहीं हे

काली हल्दी से जुड़े टोटके जल्दी खाली नहीं जाते

खास बात यह है कि काली हल्दी से जुड़े टोटके जल्दी खाली नहीं जाते हैं। काली हल्दी बड़े काम की है…
इस धरती पर प्रकृति ने जो कुछ भी उत्पन्न किया है, वह बेवजह नहीं है। बहुत सी वस्तुएं है, जिनके बारे में हम अज्ञान हैं। आज हम आपको कुछ ऐसी ही दुर्लभ वस्तुओं में से एक काली हल्दी के बारे में बताएंगे जिसे आप अपने जीवन में उपयोग करके अनेक प्रकार की समस्याओं से निजात पाकर सुखद एंव समृद्धिदायक जीवन व्यतीत कर सकेंगे। खास बात यह है कि काली हल्दी से जुड़े टोटके जल्दी खाली नहीं जाते हैं। काली हल्दी बड़े काम की है। वैसे तो काली हल्दी का मिल पाना थोड़ा मुश्किल है, किंतु फिर भी यह पंसारी की दुकानों में मिल जाती है। यह हल्दी काफी उपयोगी और लाभकारक है।
1- यदि परिवार में कोई व्यक्ति निरंतर अस्वस्थ्य रहता है, तो प्रथम गुरुवार को आटे के दो पेड़े बनाकर उसमें गीली चीने की दाल के साथ गुड़ और थोड़ी सी पिसी काली हल्दी को दबाकर रोगी व्यक्ति के ऊपर से सात बार उतार कर गाय को खिला दें। यह उपाय लगातार तीन गुरुवार करने से आश्चर्यजनक लाभ मिलेगा।
2- यदि किसी व्यक्ति या बच्चे को नजर लग गई है, तो काले कपड़े में हल्दी को बांधकर 7 बार ऊपर से उतार कर बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें।
3- किसी की जन्मपत्रिका में गुरु और शनि पीडि़त हैं, तो वह जातक यह उपाय करें- शुक्लपक्ष के प्रथम गुरुवार से नियमित रूप से काली हल्दी पीसकर तिलक लगाने से ये दोनों ग्रह शुभ फल देने लगेंगे।
4- यदि किसी के पास धन आता तो बहुत किंतु टिकता नहीं है, उन्हें यह उपाय अवश्य करना चाहिए। शुक्लपक्ष के प्रथम शुक्रवार को चांदी की डिब्बी में काली हल्दी , नागकेशर व सिंदूर को साथ में रखकर मां लक्ष्मी के चरणों से स्पर्श करवा कर धन रखने के स्थान पर रख दें। यह उपाय करने से धन रुकने लगेगा।
5- यदि आपके व्यवसाय में निरंतर गिरावट आ रही है, तो शुक्ल पक्ष के प्रथम गुरुवार को पीले कपड़े में काली हल्दी , 11 अभिमंत्रित गोमती चक्र , चांदी का सिक्का व 11 अभिमंत्रित धनदायक कौडि़यां बांधकर 108 बार ‘ऊँ नमो भगवते वासुदेव नमः’ का जाप कर धन रखने के स्थान पर रखने से व्यवसाय में प्रगतिशीलता आ जाती है।
6- यदि आपका व्यवसाय मशीनों से संबंधित है और आए दिन कोई महंगी मशीन आपकी खराब हो जाती है, तो आप काली हल्दी को पीसकर केसर व गंगा जल मिलाकर प्रथम बुधवार को उस मशीन पर स्वास्तिक बना दें। यह उपाय करने से मशीन जल्दी खराब नहीं होगी।
7- दीपावली के दिन पीले वस्त्रों में काली हल्दी के साथ एक चांदी का सिक्का रखकर धन रखने के स्थान पर रख देने से वर्ष भर मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।

Saturday, 20 August 2016

हत्था जोड़ी HATTHA JODI

तंत्र साधको की प्रिय वस्तु - हत्था जोड़ी ..
प्रिय मित्रो , आज बहुत दिनों के बाद एक छोटी सी पोस्ट दे रहा हु हत्था जोड़ी पर , जैसा की नाम से ही स्पस्ट होता है कि हत्था जोड़ी की रचना दो हाथो के जैसी होती है ! यदि आप को कही हत्था जोड़ी मिल जाय और आप उसका अवलोकन करे तो पायेगे कि किसी ने पंजेनुमा दो हाथ आपस में मिला रखे है ! इसे सिद्ध कर लिया जाय तो यह अत्यन्त चमत्कारी प्रभाव दिखाती है !
कैसे सिद्ध करे - मित्रो बहुत से लोगो के पास हत्था जोड़ी होगी किन्तु यदि हमको सिद्ध करना ही न आये तो हम भला कैसे लाभ प्राप्त कर सकते है ? तो आज मैं आप सब के समक्ष उस विधि पर प्रकाश डाल रहा हु जिसको करने से आप के पास जो हत्था जोड़ी है वो पूर्णतया सिद्ध और चैतन्य हो जाएगी तत्पश्चात यदि इस हत्था जोड़ी पर आप कोई भी प्रयोग संपन्न करेगे तो आप का प्रयोग पूर्ण फलदायी होगा और यदि कोई प्रयोग नहीं भी करते है सिर्फ अपने धन के स्थान पर स्थापित भी कर लेते है तो भी यह पूर्ण फलदायी होगा ! हत्था जोड़ी प्राप्त होने पर इसको तेल शोधन से सर्व प्रथम सिद्ध किया जाता है इसके लिए आप पहले किसी पात्र में हत्था जोड़ी को रख कर जल से फिर दूध - दही- घी - शहद - शक्कर पुनः जल से शुद्ध कर साफ़ वस्त्र से पोछकर किसी अन्य पात्र ( कटोरी ) में इसको रखे और ऊपर से तिल का इतना तेल भर दे कि हत्था जोड़ी उसमें पूरी डूब जाय ! इस पात्र को सावधानी पूर्वक ऐसे स्थान पर रख दे जहाँ कोई छेड़छाड़ न करे ! कुछ दिन के अंतराल के उपरान्त हत्थाजोड़ी वाले पात्र का निरिक्षण करते रहे ! यदि तेल कम हो जाता है तो पुनः उस पात्र में तेल भर दे ! ऐसा मैंने देखा है कि हत्था जोड़ी तेल सोखती है ! हत्थाजोड़ी जब तेल सोखना बंद कर दे तो उसे निकाल ले ! इसके उपरान्त चाँदी कि डिब्बी में सिंदूर भरकर उसमें रखे ! बसंत पंचमी - महाशिवरात्रि या होली दहन की रात पूर्व दिशा की और मुह कर लाल आसन पर बैठ जाय एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर २५० ग्राम अक्षत की ढेरी बनाकर उसके ऊपर चाँदी की डिब्बी हत्था जोड़ी सहित रखे पास में ही माता लक्ष्मी का चित्र और ताम्र लोटे में जल भरकर पास में रखे और सर्वप्रथम गणेश - गुरु पूजन करने के बाद हत्था जोड़ी का गंध - अक्षत - लाल पुष्प - से पूजन कर केसर -एक जोड़ी लौंग अर्पित करे और धुप - दीप से पूजन कर लाल रंग की मिठाई का भोग लगाये और नेत्र बंद कर अपनी समस्त कामनाओ की पूर्ति करने के लिए तथा सुख- समृद्धि प्रदान करने का निवेदन करे , इसके बाद लाल चन्दन कि माला से मात्र ०१ माला पूर्ण एकाग्रता से निम्न मंत्र का जप करे !
मंत्र - "हत्थाजोड़ी अति महिमाधरी कामणगारी , खरी प्यारी , राज-प्रजा सब मोहनगारी सेवतफल पावे सब नरनारी , केसर कर्पूर से करू मैं पूजा, दुश्मन के बल को तू दे बुझा , मनइश्चित मांगू जो देवे , कहना कथन ही मेरा रखे , हत्थाजोड़ी मातु दुहाई , रखजे मेरी बात सवाई , मेरी भक्ति गुरु की शक्ति फुरो मंत्र ईश्वर वाचा " !!
मंत्र जप पूर्ण होने के बाद कर्पूर द्वारा माता लक्ष्मी की आरती करे ! तत्पश्चात प्रसाद ग्रहण कर ले ! जब दीपक ठंडा हो जाय तब पुष्प - केसर - और लौंग सहित डिबिया को लाल वस्त्र के एक रुमाल में बाँध कर अपनी तिजोरी - गल्ला या अलमारी में सुरक्षित रख दे ! माता लक्ष्मी के चित्र को पूजा स्थान में रख दे , लाल वस्त्र सहित अक्षत को उठा ले जो चौकी पर बिछा था और २१ रूपए के साथ किसी ब्राह्मण को दान कर दे ! ऐसा करने से हत्थाजोड़ी अभिमंत्रित होकर आपके लिए कार्य सिद्धि प्रदायक हो जाती है
wharsapp +91 9896153833

Thursday, 18 August 2016

सुलेमानी हकीक लॉकेट

सुलेमानी हकीक लॉकेट जो पलक झपकते किस्मत बदल दे |


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गोपित्त

जांगम द्रव्यों में गोरोचन आज के जमाने में एक दुर्लभ वस्तु हो गया है।वैसे नकली गोरोचन पूजा-पाठ की दुकानों में भरे पड़े हैं।छोटी-छोटी प्लास्टिक की शीशियों में उपलब्ध होने वाले पीले से पदार्थ को गोरोचन से दूर का भी सम्बन्ध नहीं है।
गोरोचन मरी हुयी गाय के शरीर से प्राप्त होता है।कुछ विद्वान का मत है कि यह गाय के मस्तक में पाया जाता है,किन्तु वस्तुतः इसका नाम "गोपित्त" है,यानी कि गाय का पित्त। शरीर में सर्वव्यापी पित्त का मूल स्थान पित्ताशय(Gallbladar) होता है।पित्ताशय की पथरी आजकल की आम बीमारी जैसी है।मनुष्यों में इसे शल्यक्रिया द्वारा बाहर निकाल दिया जाता है।गाय की इसी बीमारी से गोरोचन प्राप्त होता है।वैसे स्वस्थ गाय में भी किंचित मात्रा में पित्त तो होगा ही- उसके पित्ताशय में,जिसे आसानी से प्राप्त किया जा सकता है। मस्तक के एक खास भाग पर भी यह पदार्थ- गोल,चपटे,तिकोने,लम्बे,चौकोर- विभिन्न आकारों में एकत्र हो जाता है,जिसे चीर कर निकाला जा सकता है।हल्की लालिमायुक्त पीले रंग का यह एक अति सुगन्धित पदार्थ है,जो मोम की तरह जमा हुआ सा होता है।ताजी अवस्था में लस्सेदार,और सूख जाने पर कड़ा- कंकड़ जैसा हो जाता है।
गोपित्त,शिवा,मंगला,मेध्या,भूत-निवारिणी,वन्द्य आदि इसके अनेक नाम हैं,किन्तु सर्वाधिक प्रचलित नाम गोरोचन ही है।शेष नाम साहित्यिक रुप से गुणों पर आधारित हैं।गाय का पित्त- गोपित्त।शिवा- कल्याणकारी।मंगला- मंगलकारी।मेध्या- मेधाशक्ति बढ़ाने वाला।भूत-निवारिणी- भूत से त्राण दिलाने वाला।वन्द्य- पूजादि अति वन्द्य- आदरणीय।
आयुर्वेद और तन्त्र शास्त्र में इसका विशद प्रयोग-वर्णन है।अनेक औषधियों में इसका प्रयोग होता है। यन्त्र-लेखन,तन्त्र-साधना,तथा सामान्य पूजा में भी अष्टगन्ध-चन्दन-निर्माण में गोरोचन की अहम् भूमिका है। हालाकि विभिन्न देवताओं के लिए अलग-अलग प्रकार के अष्टगन्ध होते हैं,किन्तु गोरोचन का प्रयोग लगभग प्रत्येक अष्टगन्ध में विहित है।
गोरोचन को रविपुष्य योग में साधित करना चाहिए।सुविधानुसार कभी भी प्राप्त हो जाय,किन्तु साधना हेतु शुद्ध योग की अनिवार्यता है।साधना अति सरल है- विहित योग में सोने या चांदी,अभाव में तांबे के ताबीज में शुद्ध गोरोचन को भर कर यथोपलब्ध पंचोपचार/षोडशोपचार पूजन करें।तदुपरान्त अपने इष्टदेव का सहस्र जप करें,साथ ही शिव / शिवा के मंत्रो का भी एक-एक हजार जप अवश्य कर लें।इस प्रकार साधित गोरोचन युक्त ताबीज को धारण करने मात्र से ही सभी मनोरथ पूरे होते है- षटकर्म-दशकर्म आदि सहज ही सम्पन्न होते हैं।गोरोचन में अद्भुत कार्य क्षमता है।सामान्य मसी-लिखित यन्त्र की तुलना में असली गोरोचन द्वारा तैयार की गयी मसी से कोई भी यन्त्र-लेखन का आनन्द ही कुछ और है।ध्यातव्य है कि कर्म शुद्धि,भाव शुद्धि को साथ द्रव्य शुद्धि भी अनिवार्य है।
गोरोचन के कतिपय तान्त्रिक प्रयोग-
साधित गोरोचन युक्त ताबीज को घर के किसी पवित्र स्थान में रख दें,और नियमित रुप से,देव-प्रतिमा की तरह उसकी पूजा-अर्चना करते रहें।इससे समस्त वास्तु दोषों का निवारण होकर घर में सुख-शान्ति-समृद्धि आती है।
नवग्रहों की कृपा और प्रकोप से सभी अवगत हैं।इनक प्रसन्नता हेतु जप-होमादि उपचार किये जाते हैं। किन्तु गोरोचन के प्रयोग से भी इन्हें प्रसन्न किया जा सकता है।साधित गोरोचन को ताबीज रुप में धारण करने, और गोरोचन का नियमित तिलक लगाने से समस्त ग्रहदोष नष्ट होते हैं।
प्रेतवाधा युक्त व्यक्ति को गुरुपुष्य योग में साधित गोरोचन से भोजपत्र पर सप्तशती का "द्वितीय बीज" लिख कर ताबीज की तरह धारण करा देने से विकट से विकट प्रेतवाधा का भी निवारण हो जाता है।
मृगी,हिस्टीरिया आदि मानस व्याधियों में गोरोचन(रविपुष्य योग साधित) मिश्रित अष्टगन्ध से नवार्ण मंत्र लिख कर धारण कर देने से काफी लाभ होता है।
उक्त बीमारियों में गोरोचन को गुलाबजल में थोड़ा घिसकर तीन दिनों तक लागातार तीन-तीन बार पिलाने से अद्भुत लाभ होता है।यह कार्य किसी रवि या मंगलवार से ही प्रारम्भ करना चाहिए।
षटकर्म के सभी कर्मों में तत् तत् यंत्रों का लेखन गोरोचन मिश्रित मसी से करने से चमत्कारी लाभ होता है।
धनागम की कामना से गुरुपुष्य योग में विधिवत साधित गोरोचन का चांदी या सोने के कवच में आवेष्ठित कर नित्य पूजा-अर्चना करने से अक्षय लक्ष्मी का वास होता है।
विभिन्न सौदर्य प्रसाधनों में भी गोरोचन का प्रयोग अति लाभकारी है।हल्दी,मलयागिरी चन्दन,केसर, कपूर,मंजीठ और थोड़ी मात्रा में गोरोचन मिलाकर गुलाबजल में पीसकर तैयार किया गया लेप सौन्दर्य कान्ति में अद्भुत विकास लाता है।इस लेप को चेहरे पर लगाने के बाद घंटे भर अवश्य छोड़ दिया जाय ताकि शरीर की उष्मा से स्वतः सूखे।


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Tuesday, 26 July 2016

पारद शिवलिंग - वशीकरण मंत्र व अटूट टोटके

पारद शिवलिंग…………………….
पारद (पारा) को रसराज कहा जाता है। पारद से बने शिवलिंग की पूजा करने से बिगड़े काम भी बन जाते हैं। धर्मशास्त्रों के अनुसार पारद शिवलिंग साक्षात भगवान शिव का ही रूप है इसलिए इसकी पूजा विधि-विधान से करने से कई गुना फल प्राप्त होता है तथा हर मनोकामना पूरी होती है। घर में पारद शिवलिंग सौभाग्य, शान्ति, स्वास्थ्य एवं सुरक्षा के लिए अत्यधिक सौभाग्यशाली है। दुकान, ऑफिस व फैक्टरी में व्यापारी को बढाऩे के लिए पारद शिवलिंग का पूजन एक अचूक उपाय है। शिवलिंग के मात्र दर्शन ही सौभाग्यशाली होता है। इसके लिए किसी प्राणप्रतिष्ठा की आवश्कता नहीं हैं। पर इसके ज्यादा लाभ उठाने के लिए पूजन विधिक्त की जानी चाहिए।
# पूजन की विधि ……………………
सर्वप्रथम शिवलिंग को सफेद कपड़े पर आसन पर रखें।
स्वयं पूर्व-उत्तर दिशा की ओर मुँह करके बैठ जाए।
अपने आसपास जल, गंगाजल, रोली, मोली, चावल, दूध और हल्दी, चन्दन रख लें।
सबसे पहले पारद शिवलिंग के दाहिनी तरफ दीपक जला कर रखो।
थोडा सा जल हाथ में लेकर तीन बार निम्न मन्त्र का उच्चारण करके पी लें।
प्रथम बार ॐ मुत्युभजाय नम:
दूसरी बार ॐ नीलकण्ठाय: नम:
तीसरी बार ॐ रूद्राय नम:
चौथी बार ॐशिवाय नम:
हाथ में फूल और चावल लेकर शिवजी का ध्यान करें और मन में ''ॐ नम: शिवाय`` का 5 बार स्मरण करें और चावल और फूल को शिवलिंग पर चढ़ा दें।
इसके बाद ॐ नम: शिवाय का निरन्तर उच्चारण करते रहे।
फिर हाथ में चावल और पुष्प लेकर ''ॐ पार्वत्यै नम:`` मंत्र का उच्चारण कर माता पार्वती का ध्यान कर चावल पारा शिवलिंग पर चढ़ा दें।
इसके बाद ॐ नम: शिवाय का निरन्तर उच्चारण करें।
फिर मोली को और इसके बाद बनेऊ को पारद शिवलिंग पर चढ़ा दें।
इसके पश्चात हल्दी और चन्दन का तिलक लगा दे।
चावल अर्पण करे इसके बाद पुष्प चढ़ा दें।
मीठे का भोग लगा दे।
भांग, धतूरा और बेलपत्र शिवलिंग पर चढ़ा दें।
फिर अन्तिम में शिव की आरती करे और प्रसाद आदि ले लो।
जो व्यक्ति इस प्रकार से पारद शिवलिंग का पूजन करता है इसे शिव की कृपा से सुख समृद्धि आदि की प्राप्ति होती है।
# लाभ ……………………..
इसे घर में स्थापित करने से भी कई लाभ हैं, जो इस प्रकार हैं…………………
* पारद शिवलिंग सभी प्रकार के तन्त्र प्रयोगों को काट देता है.
* पारद शिवलिंग जहां स्थापित होता है उसके १०० फ़ीट के दायरे में उसका प्रभाव होता है. इस प्रभाव से परिवार में शांति और स्वास्थ्य प्राप्ति होती है.
* पारद शिवलिंग शुद्ध होना चाहिये, हस्त निर्मित होना चाहिये, स्वर्ण ग्रास से युक्त होना चाहिये, उसपर फ़णयुक्त नाग होना चाहिये. कम से कम सवा किलो का होना चाहिये.
* य़दि बहुत प्रचण्ड तान्त्रिक प्रयोग या अकाल मृत्यु या वाहन दुर्घटना योग हो तो ऐसा शुद्ध पारद शिवलिंग उसे अपने ऊपर ले लेता है. ऐसी स्थिति में यह अपने आप टूट जाता है, और साधक की रक्षा करता है.
* पारद शिवलिंग की स्थापना करके साधना करने पर स्वतः साधक की रक्षा होती रहती है.विशेष रूप से महाविद्या और काली साधकों को इसे अवश्य स्थापित करना चाहिये.
* पारद शिवलिंग को घर में रखने से सभी प्रकार के वास्तु दोष स्वत: ही दूर हो जाते हैं साथ ही घर का वातावरण भी शुद्ध होता है।
* पारद शिवलिंग साक्षात भगवान शिव का स्वरूप माना गया है। इसलिए इसे घर में स्थापित कर प्रतिदिन पूजन करने से किसी भी प्रकार के तंत्र का असर घर में नहीं होता और न ही साधक पर किसी तंत्र क्रिया का प्रभाव पड़ता है।
* यदि किसी को पितृ दोष हो तो उसे प्रतिदिन पारद शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए। इससे पितृ दोष समाप्त हो जाता है।
* अगर घर का कोई सदस्य बीमार हो जाए तो उसे पारद शिवलिंग पर अभिषेक किया हुआ पानी पिलाने से वह ठीक होने लगता है।
* पारद शिवलिंग की साधना से विवाह बाधा भी दूर होती है।
# शुद्ध पारद शिवलिंग की पहचान*******
पारद शिवलिंग पारा अर्थात Mercury का बना होता है. आज कल बाजार में पारद शिवलिंग बने बनाए मिलते है. ये सर्वथा अशुद्ध एवं किन्ही विशेष परिस्थितियों में हानि कारक भी होते है. जैसे सुहागा एवं ज़स्ता के संयोग से बना शिवलिंग भी पारद शिवलिंग जैसा ही लगता है. इसी प्रकार एल्युमिनियम से बना शिवलिंग भी पारद शिवलिंग जैसा ही लगता है. किन्तु उपरोक्त दोनों ही शिवलिंग घर में या पूजा के लिए नहीं रखने चाहिए. इससे रक्त रोग, श्वास रोग एवं मानसिक विकृति उत्पन्न होती है. अतः ऐसे शिवलिंग या इन धातुओ से बने कोई भी देव प्रतिमा घर या पूजा के स्थान में नहीं रखने चाहिए.
पारद शिव लिंग का निर्माण क्रमशः तीन मुख्या धातुओ के रासायनिक संयोग से होता है. “अथर्वन महाभाष्य में लिखा है क़ि-“द्रत्यान्शु परिपाकेनलाब्धो यत त्रीतियाँशतः. पारदम तत्द्वाविन्शत कज्जलमभिमज्जयेत. उत्प्लावितम जरायोगम क्वाथाना दृष्टोचक्षुषः तदेव पारदम शिवलिंगम पूजार्थं प्रति गृह्यताम. अर्थात अपनी सामर्थ्य के अनुसार कम से कम कज्जल का बीस गुना पारद एवं मनिफेन (Magnesium) के चालीस गुना पारद, लिंग निर्माण के लिए परम आवश्यक है. इस प्रकार कम से कम सत्तर प्रतिशत पारा, पंद्रह प्रतिशत मणि फेन या मेगनीसियम तथा दस प्रतिशत कज्जल या कार्बन तथा पांच प्रतिशत अंगमेवा या पोटैसियम कार्बोनेट होना चाहिए.ऐसे पारद शिवलिंग को आप केवल बिना पूजा के अपने घर में रख सकते है. यदि आप चाहें तो इसकी पूजा कर सकते है. किन्तु यदि अभिषेक करना हो तो उसके बाद इस शिवलिंग को पूजा के बाद घर से बाहर कम से कम चालीस हाथ की दूरी पर होना चाहिए. अन्यथा इसके विकिरण का दुष्प्रभाव समूचे घर परिवार को प्रभावित करेगा. किन्तु यदि रोज ही नियमित रूप से अभिषेक करना हो तो इसे घर में स्थायी रूप से रखा जा सकता है. ऐसे व्यक्ति बहुत बड़े तपोनिष्ठ उद्भात्त विद्वान होते है. यह साधारण जन के लिए संभव नहीं है. अतः यदि घर में रखना हो तो उसका अभिषेक न करे.
पारद शिवलिंग यदि कोई अति विश्वसनीय व्यक्ति बनाने वाला हो तो उससे आदेश या विनय करके बनवाया जा सकता है. वैसे भी इसका परीक्षण किया जा सकता है. यदि इस शिवलिंग को अमोनियम हाईड्राक्साइड से स्पर्श कराया जाय तो कोई दुर्गन्ध नहीं निकलेगा. किन्तु पोटैसियम क्लोरेट से स्पर्श कराया जाय तो बदबू निकलने लगेगी. यही नहीं पारद शिव लिंग को कभी भी सोने से स्पर्श न करायें नहीं तो यह सोने को खा जाता है.
यद्यपि पारद शिवलिंग एवं इसके साथ रखे जाने वाले दक्षिणा मूर्ती शंख की बहुत ही उच्च महत्ता बतायी गयी है. विविध धर्म ग्रंथो में इसकी भूरी भूरी प्रशंसा की गयी है. किन्तु यदि इसके निर्माण की विश्वसनीयता पर तनिक भी संदेह हो तो इसका परित्याग ही सर्वथा अच्छा है. अतः सामान्य रूप से बाज़ार में मिलाने वाले पारद शिवलिंग के नाम पर कोई शिवलिंग तब तक न खरीदें जब तक आप उसकी शुद्धता पर आश्वस्त न हो जाएँ.
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