Wednesday, 24 August 2016

काला जादू ख़त्म करता है और बुरी नज़र से बचाव करता है सुलेमानी हकीक

1. काला जादू ख़त्म करता है और बुरी नज़र से बचाव
करता है |
2 .नौकरी और व्यवसाय में आ रही अड़चनो को दूर करता
है ।
3 . सुलेमानी हकीक को धारण करने के बाद लोग आपकी
तरफ आकर्षित होने लगते है और आपको महत्त्व देने लगते
है ।
4 . सुलेमानी हकीक एक ऐसा चमत्कारी पत्थर है जो
आपको लोगो की बुरी नजर से बचा कर रखता है ।
5. आपका व्यवसाय काला जादू या टोना - टोटका की
वजह से मंदा चल रहा है तो सुलेमानी हकीक पत्थर
उसका काट कर देता है और व्यवसाय में बढ़ोतरी होती
है
6 . अगर घर में बरकत नही होती है तो बरकत होने लगती है |
7 . अगर आपके शत्रु ज़्यादा है या आपका शत्रु आपको
परेशान करता है या आप पर जादू टोना करवाता है तो
आपका उसके किए हुए जादू टोना से बचाव करता है
और आपके शत्रु को परास्त करता है | आपका शत्रु आपके
सामने शक्तिहीन हो जाता है |
8. अगर आपकी सेहत सही नही रहती है आप बार बार
बीमार होते है तो आपको सुलेमानी हकीक धारण
करना चाहिए उस से आपकी सेहत में काफ़ी अच्छा
सुधार होगा
9. सुलेमानी हकीक राहु, केतु और शनि द्वारा आ रही
बाधाओ को दूर करता है और व्यक्ति को सफलता
मिलने लगती है |
10. आपको सुलेमानी हकीक शनिवार को धारण करना है
व मध्यमा उंगली (middle finger) में धारण करना है व
चाँदी की अंगूठी में धारण करना है व सीधे हाथ में
करना है |
अगर आप उंगली में धारण नही करना चाहते है तो चाँदी
के लॉकेट में भी गले में धारण कर सकते है शनिवार के
दिन |
सुलेमानी हकीक को कोई भी व्यक्ति
धारण कर सकता है
आपको सुलेमानी हकीक कोरियर सर्विस या स्पीड पोस्ट से भेजा जायगा और ट्रॅकिंग नंबर दिया जायगा |
सवाल और उनके जवाब :-
सवाल: सुलेमानी हकीक को कैसे धारण करें ?
जवाब: आपको सुलेमानी हकीक शनिवार को चाँदी की अंगूठी में बनवा के सीधे हाथ की मध्यमा उंगली (middle finger) में धारण करना है |
सवाल: सुलेमानी हकीक कैसे मिलेगा ?
जवाब: आपको अपने घर का पता देना है और आपके घर के पते पर सुलेमानी हकीक कौरीयर सर्विस या स्पीड पोस्ट ( डाक ) से भेजा जायगा और ट्रॅकिंग नंबर और रसीद दी जाएगी | आपको यह 5-6 दिन में मिल जाएगा ।
सवाल: क्या सुलेमानी हकीक को कोई भी राशि या लग्न वाला व्यक्ति धारण कर सकता है ?
जवाब : हाँ ।
सवाल : क्या सुलेमानी हकीक मिलने के बाद पेमेंट कर सकते है ?
जवाब : जी नहीं (COD) यह सुविधा उपलब्ध नहीं हे

काली हल्दी से जुड़े टोटके जल्दी खाली नहीं जाते

खास बात यह है कि काली हल्दी से जुड़े टोटके जल्दी खाली नहीं जाते हैं। काली हल्दी बड़े काम की है…
इस धरती पर प्रकृति ने जो कुछ भी उत्पन्न किया है, वह बेवजह नहीं है। बहुत सी वस्तुएं है, जिनके बारे में हम अज्ञान हैं। आज हम आपको कुछ ऐसी ही दुर्लभ वस्तुओं में से एक काली हल्दी के बारे में बताएंगे जिसे आप अपने जीवन में उपयोग करके अनेक प्रकार की समस्याओं से निजात पाकर सुखद एंव समृद्धिदायक जीवन व्यतीत कर सकेंगे। खास बात यह है कि काली हल्दी से जुड़े टोटके जल्दी खाली नहीं जाते हैं। काली हल्दी बड़े काम की है। वैसे तो काली हल्दी का मिल पाना थोड़ा मुश्किल है, किंतु फिर भी यह पंसारी की दुकानों में मिल जाती है। यह हल्दी काफी उपयोगी और लाभकारक है।
1- यदि परिवार में कोई व्यक्ति निरंतर अस्वस्थ्य रहता है, तो प्रथम गुरुवार को आटे के दो पेड़े बनाकर उसमें गीली चीने की दाल के साथ गुड़ और थोड़ी सी पिसी काली हल्दी को दबाकर रोगी व्यक्ति के ऊपर से सात बार उतार कर गाय को खिला दें। यह उपाय लगातार तीन गुरुवार करने से आश्चर्यजनक लाभ मिलेगा।
2- यदि किसी व्यक्ति या बच्चे को नजर लग गई है, तो काले कपड़े में हल्दी को बांधकर 7 बार ऊपर से उतार कर बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें।
3- किसी की जन्मपत्रिका में गुरु और शनि पीडि़त हैं, तो वह जातक यह उपाय करें- शुक्लपक्ष के प्रथम गुरुवार से नियमित रूप से काली हल्दी पीसकर तिलक लगाने से ये दोनों ग्रह शुभ फल देने लगेंगे।
4- यदि किसी के पास धन आता तो बहुत किंतु टिकता नहीं है, उन्हें यह उपाय अवश्य करना चाहिए। शुक्लपक्ष के प्रथम शुक्रवार को चांदी की डिब्बी में काली हल्दी , नागकेशर व सिंदूर को साथ में रखकर मां लक्ष्मी के चरणों से स्पर्श करवा कर धन रखने के स्थान पर रख दें। यह उपाय करने से धन रुकने लगेगा।
5- यदि आपके व्यवसाय में निरंतर गिरावट आ रही है, तो शुक्ल पक्ष के प्रथम गुरुवार को पीले कपड़े में काली हल्दी , 11 अभिमंत्रित गोमती चक्र , चांदी का सिक्का व 11 अभिमंत्रित धनदायक कौडि़यां बांधकर 108 बार ‘ऊँ नमो भगवते वासुदेव नमः’ का जाप कर धन रखने के स्थान पर रखने से व्यवसाय में प्रगतिशीलता आ जाती है।
6- यदि आपका व्यवसाय मशीनों से संबंधित है और आए दिन कोई महंगी मशीन आपकी खराब हो जाती है, तो आप काली हल्दी को पीसकर केसर व गंगा जल मिलाकर प्रथम बुधवार को उस मशीन पर स्वास्तिक बना दें। यह उपाय करने से मशीन जल्दी खराब नहीं होगी।
7- दीपावली के दिन पीले वस्त्रों में काली हल्दी के साथ एक चांदी का सिक्का रखकर धन रखने के स्थान पर रख देने से वर्ष भर मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।

Saturday, 20 August 2016

हत्था जोड़ी HATTHA JODI

तंत्र साधको की प्रिय वस्तु - हत्था जोड़ी ..
प्रिय मित्रो , आज बहुत दिनों के बाद एक छोटी सी पोस्ट दे रहा हु हत्था जोड़ी पर , जैसा की नाम से ही स्पस्ट होता है कि हत्था जोड़ी की रचना दो हाथो के जैसी होती है ! यदि आप को कही हत्था जोड़ी मिल जाय और आप उसका अवलोकन करे तो पायेगे कि किसी ने पंजेनुमा दो हाथ आपस में मिला रखे है ! इसे सिद्ध कर लिया जाय तो यह अत्यन्त चमत्कारी प्रभाव दिखाती है !
कैसे सिद्ध करे - मित्रो बहुत से लोगो के पास हत्था जोड़ी होगी किन्तु यदि हमको सिद्ध करना ही न आये तो हम भला कैसे लाभ प्राप्त कर सकते है ? तो आज मैं आप सब के समक्ष उस विधि पर प्रकाश डाल रहा हु जिसको करने से आप के पास जो हत्था जोड़ी है वो पूर्णतया सिद्ध और चैतन्य हो जाएगी तत्पश्चात यदि इस हत्था जोड़ी पर आप कोई भी प्रयोग संपन्न करेगे तो आप का प्रयोग पूर्ण फलदायी होगा और यदि कोई प्रयोग नहीं भी करते है सिर्फ अपने धन के स्थान पर स्थापित भी कर लेते है तो भी यह पूर्ण फलदायी होगा ! हत्था जोड़ी प्राप्त होने पर इसको तेल शोधन से सर्व प्रथम सिद्ध किया जाता है इसके लिए आप पहले किसी पात्र में हत्था जोड़ी को रख कर जल से फिर दूध - दही- घी - शहद - शक्कर पुनः जल से शुद्ध कर साफ़ वस्त्र से पोछकर किसी अन्य पात्र ( कटोरी ) में इसको रखे और ऊपर से तिल का इतना तेल भर दे कि हत्था जोड़ी उसमें पूरी डूब जाय ! इस पात्र को सावधानी पूर्वक ऐसे स्थान पर रख दे जहाँ कोई छेड़छाड़ न करे ! कुछ दिन के अंतराल के उपरान्त हत्थाजोड़ी वाले पात्र का निरिक्षण करते रहे ! यदि तेल कम हो जाता है तो पुनः उस पात्र में तेल भर दे ! ऐसा मैंने देखा है कि हत्था जोड़ी तेल सोखती है ! हत्थाजोड़ी जब तेल सोखना बंद कर दे तो उसे निकाल ले ! इसके उपरान्त चाँदी कि डिब्बी में सिंदूर भरकर उसमें रखे ! बसंत पंचमी - महाशिवरात्रि या होली दहन की रात पूर्व दिशा की और मुह कर लाल आसन पर बैठ जाय एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर २५० ग्राम अक्षत की ढेरी बनाकर उसके ऊपर चाँदी की डिब्बी हत्था जोड़ी सहित रखे पास में ही माता लक्ष्मी का चित्र और ताम्र लोटे में जल भरकर पास में रखे और सर्वप्रथम गणेश - गुरु पूजन करने के बाद हत्था जोड़ी का गंध - अक्षत - लाल पुष्प - से पूजन कर केसर -एक जोड़ी लौंग अर्पित करे और धुप - दीप से पूजन कर लाल रंग की मिठाई का भोग लगाये और नेत्र बंद कर अपनी समस्त कामनाओ की पूर्ति करने के लिए तथा सुख- समृद्धि प्रदान करने का निवेदन करे , इसके बाद लाल चन्दन कि माला से मात्र ०१ माला पूर्ण एकाग्रता से निम्न मंत्र का जप करे !
मंत्र - "हत्थाजोड़ी अति महिमाधरी कामणगारी , खरी प्यारी , राज-प्रजा सब मोहनगारी सेवतफल पावे सब नरनारी , केसर कर्पूर से करू मैं पूजा, दुश्मन के बल को तू दे बुझा , मनइश्चित मांगू जो देवे , कहना कथन ही मेरा रखे , हत्थाजोड़ी मातु दुहाई , रखजे मेरी बात सवाई , मेरी भक्ति गुरु की शक्ति फुरो मंत्र ईश्वर वाचा " !!
मंत्र जप पूर्ण होने के बाद कर्पूर द्वारा माता लक्ष्मी की आरती करे ! तत्पश्चात प्रसाद ग्रहण कर ले ! जब दीपक ठंडा हो जाय तब पुष्प - केसर - और लौंग सहित डिबिया को लाल वस्त्र के एक रुमाल में बाँध कर अपनी तिजोरी - गल्ला या अलमारी में सुरक्षित रख दे ! माता लक्ष्मी के चित्र को पूजा स्थान में रख दे , लाल वस्त्र सहित अक्षत को उठा ले जो चौकी पर बिछा था और २१ रूपए के साथ किसी ब्राह्मण को दान कर दे ! ऐसा करने से हत्थाजोड़ी अभिमंत्रित होकर आपके लिए कार्य सिद्धि प्रदायक हो जाती है
wharsapp +91 9896153833

Thursday, 18 August 2016

सुलेमानी हकीक लॉकेट

सुलेमानी हकीक लॉकेट जो पलक झपकते किस्मत बदल दे |


संपर्क करे +91 9896153833

गोपित्त

जांगम द्रव्यों में गोरोचन आज के जमाने में एक दुर्लभ वस्तु हो गया है।वैसे नकली गोरोचन पूजा-पाठ की दुकानों में भरे पड़े हैं।छोटी-छोटी प्लास्टिक की शीशियों में उपलब्ध होने वाले पीले से पदार्थ को गोरोचन से दूर का भी सम्बन्ध नहीं है।
गोरोचन मरी हुयी गाय के शरीर से प्राप्त होता है।कुछ विद्वान का मत है कि यह गाय के मस्तक में पाया जाता है,किन्तु वस्तुतः इसका नाम "गोपित्त" है,यानी कि गाय का पित्त। शरीर में सर्वव्यापी पित्त का मूल स्थान पित्ताशय(Gallbladar) होता है।पित्ताशय की पथरी आजकल की आम बीमारी जैसी है।मनुष्यों में इसे शल्यक्रिया द्वारा बाहर निकाल दिया जाता है।गाय की इसी बीमारी से गोरोचन प्राप्त होता है।वैसे स्वस्थ गाय में भी किंचित मात्रा में पित्त तो होगा ही- उसके पित्ताशय में,जिसे आसानी से प्राप्त किया जा सकता है। मस्तक के एक खास भाग पर भी यह पदार्थ- गोल,चपटे,तिकोने,लम्बे,चौकोर- विभिन्न आकारों में एकत्र हो जाता है,जिसे चीर कर निकाला जा सकता है।हल्की लालिमायुक्त पीले रंग का यह एक अति सुगन्धित पदार्थ है,जो मोम की तरह जमा हुआ सा होता है।ताजी अवस्था में लस्सेदार,और सूख जाने पर कड़ा- कंकड़ जैसा हो जाता है।
गोपित्त,शिवा,मंगला,मेध्या,भूत-निवारिणी,वन्द्य आदि इसके अनेक नाम हैं,किन्तु सर्वाधिक प्रचलित नाम गोरोचन ही है।शेष नाम साहित्यिक रुप से गुणों पर आधारित हैं।गाय का पित्त- गोपित्त।शिवा- कल्याणकारी।मंगला- मंगलकारी।मेध्या- मेधाशक्ति बढ़ाने वाला।भूत-निवारिणी- भूत से त्राण दिलाने वाला।वन्द्य- पूजादि अति वन्द्य- आदरणीय।
आयुर्वेद और तन्त्र शास्त्र में इसका विशद प्रयोग-वर्णन है।अनेक औषधियों में इसका प्रयोग होता है। यन्त्र-लेखन,तन्त्र-साधना,तथा सामान्य पूजा में भी अष्टगन्ध-चन्दन-निर्माण में गोरोचन की अहम् भूमिका है। हालाकि विभिन्न देवताओं के लिए अलग-अलग प्रकार के अष्टगन्ध होते हैं,किन्तु गोरोचन का प्रयोग लगभग प्रत्येक अष्टगन्ध में विहित है।
गोरोचन को रविपुष्य योग में साधित करना चाहिए।सुविधानुसार कभी भी प्राप्त हो जाय,किन्तु साधना हेतु शुद्ध योग की अनिवार्यता है।साधना अति सरल है- विहित योग में सोने या चांदी,अभाव में तांबे के ताबीज में शुद्ध गोरोचन को भर कर यथोपलब्ध पंचोपचार/षोडशोपचार पूजन करें।तदुपरान्त अपने इष्टदेव का सहस्र जप करें,साथ ही शिव / शिवा के मंत्रो का भी एक-एक हजार जप अवश्य कर लें।इस प्रकार साधित गोरोचन युक्त ताबीज को धारण करने मात्र से ही सभी मनोरथ पूरे होते है- षटकर्म-दशकर्म आदि सहज ही सम्पन्न होते हैं।गोरोचन में अद्भुत कार्य क्षमता है।सामान्य मसी-लिखित यन्त्र की तुलना में असली गोरोचन द्वारा तैयार की गयी मसी से कोई भी यन्त्र-लेखन का आनन्द ही कुछ और है।ध्यातव्य है कि कर्म शुद्धि,भाव शुद्धि को साथ द्रव्य शुद्धि भी अनिवार्य है।
गोरोचन के कतिपय तान्त्रिक प्रयोग-
साधित गोरोचन युक्त ताबीज को घर के किसी पवित्र स्थान में रख दें,और नियमित रुप से,देव-प्रतिमा की तरह उसकी पूजा-अर्चना करते रहें।इससे समस्त वास्तु दोषों का निवारण होकर घर में सुख-शान्ति-समृद्धि आती है।
नवग्रहों की कृपा और प्रकोप से सभी अवगत हैं।इनक प्रसन्नता हेतु जप-होमादि उपचार किये जाते हैं। किन्तु गोरोचन के प्रयोग से भी इन्हें प्रसन्न किया जा सकता है।साधित गोरोचन को ताबीज रुप में धारण करने, और गोरोचन का नियमित तिलक लगाने से समस्त ग्रहदोष नष्ट होते हैं।
प्रेतवाधा युक्त व्यक्ति को गुरुपुष्य योग में साधित गोरोचन से भोजपत्र पर सप्तशती का "द्वितीय बीज" लिख कर ताबीज की तरह धारण करा देने से विकट से विकट प्रेतवाधा का भी निवारण हो जाता है।
मृगी,हिस्टीरिया आदि मानस व्याधियों में गोरोचन(रविपुष्य योग साधित) मिश्रित अष्टगन्ध से नवार्ण मंत्र लिख कर धारण कर देने से काफी लाभ होता है।
उक्त बीमारियों में गोरोचन को गुलाबजल में थोड़ा घिसकर तीन दिनों तक लागातार तीन-तीन बार पिलाने से अद्भुत लाभ होता है।यह कार्य किसी रवि या मंगलवार से ही प्रारम्भ करना चाहिए।
षटकर्म के सभी कर्मों में तत् तत् यंत्रों का लेखन गोरोचन मिश्रित मसी से करने से चमत्कारी लाभ होता है।
धनागम की कामना से गुरुपुष्य योग में विधिवत साधित गोरोचन का चांदी या सोने के कवच में आवेष्ठित कर नित्य पूजा-अर्चना करने से अक्षय लक्ष्मी का वास होता है।
विभिन्न सौदर्य प्रसाधनों में भी गोरोचन का प्रयोग अति लाभकारी है।हल्दी,मलयागिरी चन्दन,केसर, कपूर,मंजीठ और थोड़ी मात्रा में गोरोचन मिलाकर गुलाबजल में पीसकर तैयार किया गया लेप सौन्दर्य कान्ति में अद्भुत विकास लाता है।इस लेप को चेहरे पर लगाने के बाद घंटे भर अवश्य छोड़ दिया जाय ताकि शरीर की उष्मा से स्वतः सूखे।


+91 9896153833